झारखंड महिला हॉकी की नर्सरी है,कैसे?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भारत में रूर ऑफ इंडिया के उपनाम से मशहूर झारखंड की रत्नगर्भा भूमि खनिजों के साथ खेल प्रतिभाओं के लिए भी विख्यात है. जनजातीय बहुल झारखंड के आदिवासी महिला हॉकी खिलाड़ियों ने शारीरिक क्षमता, परिश्रम, अनुशासनप्रियता, सहनशीलता व जुनून के बल पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है. गत चार दशकों से झारखंड ‘महिला हॉकी की नर्सरी’ के रूप में प्रसिद्ध है. झारखंड महिला एशियन चैंपियंस ट्रॉफी इसकी बानगी है.

जहां ओलंपियन सलीमा टेटे ‘प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट’ बनीं, वहीं फारवर्ड खिलाड़ी संगीता कुमारी देश की ओर से सर्वाधिक छह गोल दाग ‘राइजिंग प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट’ रहीं. सलीमा सिमडेगा जिले की बड़कीछापर और संगीता करंगागुड़ी गांव की रहनेवाली हैं. टीम में राज्य की पहली महिला हॉकी ओलंपियन हेसल (खूंटी) निवासी निक्की प्रधान और करंगागुड़ी की ब्यूटी डुंगडुंग भी शामिल रहीं.

बर्थडे ब्वॉय विराट कोहली के इडेन में 49वें शतक जमाकर सचिन तेंडुलकर के सर्वाधिक शतक के रिकॉर्ड की बराबरी का जश्न देशभर में मन रहा था, तब रांची के मोरहाबादी में हॉकी प्रेमियों का हुजूम उमड़ पड़ा था. सात हजार की क्षमता वाले स्टेडियम में 12 हजार की उपस्थिति और स्टेडियम के बाहर लगभग 20 हजार दर्शकों की भीड़ थी. दर्शकों की दीवानगी देखने लायक थी. हॉकी के एक दिग्गज की टिप्पणी थी कि महिला हॉकी को लेकर ऐसा जुनून दुनिया में और कहीं नहीं है.

अंतरराष्ट्रीय हॉकी फेडरेशन के अध्यक्ष तैयब इकराम व हॉकी इंडिया के अध्यक्ष पद्मश्री दिलीप तिर्की ने भी दर्शकों की प्रशंसा की. आयोजन को सफल बनाने में झारखंड सरकार ने कोई कसर नहीं छोड़ी. अगले वर्ष जनवरी में हॉकी क्वालिफायर की मेजबानी भी झारखंड को मिली है. इस प्रतियोगिता के आधार पर पेरिस ओलिंपिक के लिए तीन टीमों को प्रवेश दिया जायेगा. झारखंड ‘महिला हॉकी की नर्सरी’ से महिला हॉकी का ‘मक्का’ बनने की ओर अग्रसर है.

अविभाजित बिहार के जमाने से खूंटी, सिमडेगा गुमला व रांची की महिला हॉकी खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय फलक पर अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करायी है. इसका उत्कृष्ट उदाहरण राजकीय बालिका उच्च विद्यालय (अब सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस गर्ल्स, बरियातु) है, जहां से पांच दर्जन से अधिक अंतरराष्ट्रीय महिला हॉकी खिलाड़ी निकले हैं.

इसमें ओलंपियन निक्की प्रधान, सीनियर टीम की कप्तान सुमराय टेटे व असुंता लकड़ा, जूनियर टीम की कप्तान दयामनी सोय, हेलेन सोय, आसरिता लकड़ा, पुष्पा टोपनो व पुष्पा प्रधान शामिल हैं. हॉकी झारखंड के आदिवासी समाज के जीवन में रचा-बसा है. खूंटी, सिमडेगा, गुमला व रांची के सुदूर ग्रामीण इलाके में भी हॉकी के खस्सी-मुर्गा टूर्नामेंट बड़े पैमाने पर आयोजित किये जाते हैं. विधिवत रूप से महिला हॉकी की शुरुआत 1974-75 से माना जाता है.

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