जेएनयू के कुलपति एम जगदीश कुमार यूजीसी के चेयरमैन नियुक्त.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
जवाहर लाल नेहरू (जेएनयू) विश्वविद्यालय के कुलपति एम जगदीश कुमार को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) का चेयरमैन नियुक्त किया गया है। बता दें कि यूजीसी के पूर्व अध्यक्ष डीपी सिंह का कार्यकाल दिसंबर के पहले हफ्ते में खत्म हो चुका है। तभी से यूजीसी चेयरमैन का पद खाली है। डीपी सिंह का चयन दिसंबर 2017 में हुआ था।
इससे पहले यूजीसी अध्यक्ष का पद लंबे समय तक प्रभार पर रखा गया था। यूजीसी अध्यक्ष का कार्यकाल पांच साल या 65 वर्ष की आयु, जो पहले हो, तक के लिए होता है। उच्च शिक्षा सचिव संजय मूर्ति के पास यूजीसी चेयरमैन का अतिरिक्त प्रभार था।
यूजीसी चेयरमैन पद के लिए तीन नाम थे शामिल
यूजीसी चेयरमैन पद के लिए तीन लोगों के नाम आगे चल रहे थे। इनमें एम जगदीश कुमार के अलावा पुणे यूनिर्सिटी के कुलपति प्रो. नितिन आर कर्मलकार और आईयूएसी निदेशक प्रो. अविनाश चंद्र पांडेय का नाम शामिल था।
शिक्षा, संस्कृति, खेल और संबद्ध क्षेत्रों में जानकारी और सहयोग को साझा करके, विश्वविद्यालय के क्रियाकलापों को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 1925 में अंतर्विश्वविद्यालय बोर्ड (जिसे बाद में भारतीय विश्वविद्यालय संघ के रूप में जाना जाने लगा) की स्थापना की गई।
देश में युद्धोपरांत शिक्षा के विकास पर केन्द्रीय सलाहकार बोर्ड जिसे सार्जेंट रिपोर्ट के नाम से भी जाना जाता है ; के साथ ही भारत में राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली तैयार करने का पहला प्रयास वर्ष 1944 में किया गया। इसमें विश्वविद्यालय अनुदान समिति के गठन की सिफारिश की गयी, जिसका गठन वर्ष 1945 में अलीगढ़, बनारस और दिल्ली के तीन केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के कामकाज की देखरेख करने के लिए किया गया था। वर्ष 1947 में समिति को उस समय मौजूदा विश्वविद्यालयों के साथ कार्य व्यवहार करने का उत्तरदायित्व सौंपा गया था।
स्वतन्त्रता प्राप्ति के तुरंत पश्चात “भारतीय विश्वविद्यालयी शिक्षा पर रिपोर्ट तैयार करने के लिए और उन सुधारों और विस्तारों का सुझाव देने के लिए जो वर्तमान और भविष्य की जरूरतों और देश की आकांक्षाओं के अनुरूप वांछनीय हो सकते हैं” डॉ एस राधाकृष्णन की अध्यक्षता में ,विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग की स्थापना वर्ष 1948 में की गई थी। । उन्होंने अनुशंसा की कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का पुनर्गठन यूनाइटेड किंगडम के विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सामान्य मॉडल पर किया जाए जिसमें विख्यानत् शिक्षाविदों में से पूर्णकालिक अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति् की जाए।
वर्ष 1952 में केंद्र सरकार ने फैसला किया कि सार्वजनिक निधियों से केन्द्रीय विश्वविद्यालयों और अन्य विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा के संस्थानों को अनुदान सहायता के आवंटन से संबंधित सभी मामलों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को संदर्भित किया जा सकता है। परिणामस्वरूप, तत्कालीन शिक्षा मंत्री, प्राकृतिक संसाधन और वैज्ञानिक अनुसंधान मंत्री श्री मौलाना अबुल कलाम आजाद ने दिनांक 28 दिसंबर 1953 को औपचारिक रूप से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (वि0अ0आ0) का उद्घाटन किया।
तथापि, देश में विश्वविद्यालयी शिक्षा के मानकों का समन्वय करने, निर्धारण करने तथा रखरखाव करने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को औपचारिक रूप से नवंबर 1956 में संसद के एक अधिनियम के माध्यम से भारत सरकार के एक सांविधिक निकाय के रूप में स्थापित किया गया था। पूरे देश में प्रभावी क्षेत्रवार कवरेज सुनिश्चित करने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने पुणे, हैदराबाद, कोलकाता, भोपाल, गुवाहाटी और बैंगलूरू में छह क्षेत्रीय केंद्र स्थापित करके अपना परिचालन विकेंद्रीकृत किए हैं। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का प्रधान कार्यालय नई दिल्ली में बहादुर शाह जफर मार्ग में स्थित है, जिसमें दो अतिरिक्त ब्यूरो 35 फिरोज शाह रोड तथा दिल्ली विश्वविद्यालय के दक्षिण कैंपस से भी चल रहे हैं।
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