अखबार एपल डेली के पत्रकार को हवाईअड्डे से किया गिरफ्तार.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

हांगकांग में लोकतंत्र समर्थक अखबार एपल डेली को बंद कराके भी चीन को संतोष नहीं हो रहा है। उसके इशारे पर इस अखबार के पत्रकारों का उत्पीड़न बदस्तूर जारी है। ड्रैगन की ज्यादती से तंग आकर देश छोड़कर जा रहे एपल डेली के एक वरिष्ठ पत्रकार को पुलिस ने हांगकांग हवाई अड्डे से रविवार रात को गिरफ्तार कर लिया। स्थानीय समाचारपत्र साउथ चाइना मार्निग पोस्ट और आनलाइन न्यूज आउटलेट सिटीजन न्यूज साइट के अनुसार, पत्रकार फंग वाइ-कोंग को राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में डालने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। उन पर विदेशी ताकतों से सांठगांठ कर हांगकांग के हितों को नुकसान पहुंचाने का भी आरोप लगा है। माना जा रहा है कि फंग ब्रिटेन जाने का प्रयास कर रहे थे।

हांगकांग के लोकतंत्र समर्थक अखबार ‘एपल डेली’ ने 24 जून को अंतिम संस्करण की दस लाख प्रतियां छापी थीं। अखबार ने पांच संपादकों और कार्यकारी अधिकारियों की गिरफ्तारी के बाद इसके प्रिंट और ऑनलाइन संस्करण को बंद करने का फैसला लिया था। इसके अलावा एक व्यापक नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून का उपयोग करते हुए अखबार की 2.3 करोड़ डॉलर की संपत्ति को भी फ्रीज कर लिया गया है। इससे पहले अखबार की तरफ से यह बयान दिया गया था कि हांगकांग की मौजूदा परिस्थितियों के कारण अखबार के प्रिंट और आनलाइन संस्करण बंद कर दिए जाएंगे।

लोकतंत्र समर्थक पेपर के पांच संपादकों और एग्‍जीक्‍यूटिव्‍स को अब तक पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है। ये गिरफ्तारियां राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने के लिए विदेशियों से मिलीभगत के संदेह पर की गई थीं। इस संबंध में पुलिस ने हांगकांग और चीन पर विदेशी प्रतिबंध लगाने की कथित साजिश के सबूत के तौर पर अखबार के 30 लेखों का हवाला दिया है। अखबार पर काफी समय से चीन और चीन समर्थित हांगकांग की सरकार की नजरें थीं। इस बीच चीन और हांगकांग की सरकार ने मीडिया को आगाह किया है कि वो कानून के दायरे में ही रहें।

एपल डेली ने अपने पाठकों को धन्यवाद दिया और कहा कि अंत भले चाहे वो ना हो जो हम चाहते हैं लेकिन जीना जारी रखना होगा और दृढ़ संकल्प को बनाए रखना होगा। अखबार के साथ ऐसा बर्ताव किए जाने पर अमेरिका ने चीन और हांगकांग सरकार की कड़ी आलोचना की है। अमेरिका के अलावा यूरोपीय संघ और ब्रिटेन ने भी इस कदम के लिए चीन और हांगकांग सरकार की निंदा की है। उनका कहना है कि चीन के दबाव में आकर हांगकांग की सरकार लोकतंत्र समर्थकों को टार्गेट कर रही है।

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