जज न्याय देने के बजाय न्यायाधीशों की नियुक्ति में व्यस्त- किरेन रिजिजू,कानून मंत्री

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

देश के कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने सोमवार को अहमदाबाद में आयोजित एक कार्यक्रम में न्यायिक नियुक्तियों में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया। किरेन ने कहा कि कालेजियम प्रणाली की प्रक्रीया बहुत अपारदर्शी है और न्यायपालिका में आंतरिक राजनीति मौजूद है।

आरएसएस द्वारा प्रकाशित साप्ताहिक पत्रिका ‘पांचजन्य’ द्वारा सोमवार को आयोजित ‘साबरमती संवाद’ में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि संविधान सबसे पवित्र दस्तावेज है। लोकतंत्र के तीन स्तंभ विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका हैं। कार्यपालिका और विधायिका अपने कर्तव्यों में बंधें हुए हैं और न्यायपालिका उन्हें सुधारती है। लेकिन जब न्यायपालिका भटक जाती है तो उन्हें सुधारने का कोई भी उपाय नहीं बचता है।

न्यायाधीश आदेश के माध्यम से अपनी राय दें

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जब न्यायपालिका को नियंत्रित करने का कोई भी तरीका नहीं बचता तो ज्यूडिशियल एक्टिविज्म शब्दों का इस्तेमाल होता है। उन्होंने कहा कि न्यायाधीश मामलों पर टिप्पणी करते हैं जो उनके निर्णय का हिस्सा नहीं होती हैं। एक न्यायधीश के रूप में आप कठिनाइयों और वित्तीय समस्याओं को नहीं समझ सकते। यह एक तरीके से उनकी सोच को उजागर करती हैं। उन्होंने आगे कहा अच्छा होगा अगर जज अपने आदेश के माध्यम से अपनी राय दें।

इंदिरा गांधी का भी किया जिक्र

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल का जिक्र करते हुए रिजिजू ने कहा कि सीजेआई तीन वरिष्ठ न्यायाधीशों को पछाड़कर बनाया गया था। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार इस तरह की हरकतों में लिप्त नहीं है। अब अगर हम न्यायपालिका को विनियमित करने के लिए कुछ कदम उठाते हैं तो वे लोग आरोप लगाते हैं कि हम न्यायपालिका को नियंत्रित या प्रभावित करना चाहते हैं या न्यायाधीशों की नियुक्ति में बाधा उत्पन्न करना चाहते हैं।”

कॉलेजियम सिस्टम पर उठाया सवाल

रिजिजू ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 1998 में कॉलेजियम सिस्टम का विस्तार किया। दुनिया में कहीं भी जज जजों की नियुक्ति नहीं करते हैं। जजों का प्राथमिक कर्तव्य न्याय देना होता है। उन्होंने कहा कि जजों का प्राथमिक कार्य न्याय देना है न कि न्यायाधीश नियुक्तियों को तय करना। आधे से अधिक समय, न्यायाधीश न्याय देने के बजाय न्यायाधीशों की नियुक्ति में समय व्यतीत करते हैं।

न्यायपालिका की आंतरिक राजनीति को बाहर से नहीं देखा जाता है। बता दें यह पहली बार नहीं है जब कॉलेजियम सिस्टम पर किरेन रिजिजू ने सवाल उठाया हो। इससे पहले उन्होंने पिछले महीने उदयपुर में एक सम्मेलन के दौरान कहा था कि उच्च न्यायपालिका में नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली पर पुनर्विचार करने की जरूरत है।

 

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