जस्टिस संजीव खन्ना ने सीजेआई के तौर पर शपथ ली

जस्टिस संजीव खन्ना ने सीजेआई के तौर पर शपथ ली

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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जस्टिस संजीव खन्ना ने 11 नवंबर देश के 51वें सीजेआई के तौर पर शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने उन्हें शपथ दिलाई।राष्ट्रपति भवन के अशोक हॉल में संजीव खन्ना ने शपथ ली। इस दौरान समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

कैसे हुई नियुक्ति?

16 अक्टूबर को मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ की सिफारिश के बाद केंद्र ने 24 अक्टूबर को आधिकारिक तौर पर न्यायमूर्ति खन्ना की नियुक्ति को अधिसूचित किया। शुक्रवार को सीजेआई के रूप में न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ का आखिरी कार्य दिवस था और उन्हें शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों, वकीलों और कर्मचारियों द्वारा जोरदार विदाई दी गई।

तीस हजारी कोर्ट से भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश तक का सफर

जस्टिस संजीव खन्ना दिल्ली के रहने वाले हैं और उन्होंने अपनी सारी पढ़ाई-लिखाई दिल्ली से ही की है। उनका जन्म 14 मई 1960 को हुआ था। उनके पिता न्यायमूर्ति देस राज खन्ना थे, जो दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्त हुए थे।

जस्टिस खन्ना कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे

18 जनवरी, 2019 से सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में कार्य कर रहे जस्टिस खन्ना कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे हैं जिनमें चुनाव में ईवीएम की उपयोगिता बनाए रखना, चुनावी बांड योजना को खारिज करना, अनुच्छेद-370 के निरस्तीकरण के फैसले को कायम रखना और दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लोकसभा चुनाव के दौरान प्रचार के लिए अंतरिम जमानत प्रदान करना शामिल हैं।

पिता भी थे हाईकोर्ट क जज

दिल्ली स्थित एक प्रतिष्ठित परिवार से ताल्लुक रखने वाले जस्टिस खन्ना, दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस देव राज खन्ना के पुत्र और शीर्ष कोर्ट के पूर्व जज एचआर खन्ना के भतीजे हैं। वह हाई कोर्ट का जज नियुक्त होने से पहले अपने परिवार में तीसरी पीढ़ी के वकील थे।

जस्टिस एचआर खन्ना उस वक्त सुर्खियों में आए थे जब आपातकाल के दौरान 1976 में एडीएम जबलपुर केस में उन्होंने असहमति वाला फैसला दिया था। संविधान पीठ के बहुमत के फैसले ने आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकार खत्म किए जाने को सही ठहराया था। इस फैसले को न्यायपालिका पर ‘काला धब्बा’ माना जाता है।

जस्टिस एचआर खन्ना ने कदम को असंवैधानिक करार दिया था और कानून के विरुद्ध बताया था। इसकी उन्हें कीमत चुकानी पड़ी थी और केंद्र सरकार ने उनकी अनदेखी करके जस्टिस एमएच बेग को अगला प्रधान न्यायाधीश बना दिया था।14 मई, 1960 को जन्मे जस्टिस संजीव खन्ना ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के कैंपस ला सेंटर से कानून की पढ़ाई की है। 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में वकील के रूप में पंजीकृत होने के बाद शुरुआत में उन्होंने तीस हजारी परिसर में जिला अदालतों में और फिर दिल्ली हाई कोर्ट में प्रैक्टिस की है।

न्यायमूर्ति खन्ना के चाचा न्यायमूर्ति एच आर खन्ना 1976 में आपातकाल के दौरान कुख्यात एडीएम जबलपुर मामले में असहमतिपूर्ण फैसला लिखने के बाद इस्तीफा देकर सुर्खियों में आये थे, आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकारों के हनन को बरकरार रखने वाले संविधान पीठ के बहुमत के फैसले को न्यायपालिका पर “काला धब्बा” माना गया।

अब वह मॉर्निंग वॉक पर नहीं जा पा रहे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक जस्टिस खन्ना को प्रतिदिन 10 किलोमीटर पैदल चलने की आदत है। वह हमेशा अकेले ही मॉर्निंग वॉक पर निकलते थे और लोधी गार्डन में सैर करते थे।

सुरक्षाकर्मियों के साथ जाने की दी गई सलाह

लेकिन सीजेआई बनने के बाद उन्हें प्रोटोकॉल फॉलो करना होगा, जिसके तहत उन्हें सुरक्षाकर्मियों के साथ सैर पर जाना होगा। ऐसे में उन्होंने सैर करना ही छोड़ दिया है। रिपोर्ट्स की मानें तो जस्टिस खन्ना को सीजेआई का नोटिफिकेशन जारी होने के बाद सलाह दी गई थी कि वे अकेले सैर पर न जाएं, बल्कि सुरक्षाकर्मियों के साथ जाएं। ऐसे में उन्होंने फैसला किया कि वे सिक्योरिटी के साथ सैर करने नहीं जाएंगे।

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