जस्टिस यूयू ललित ने अपनी अलग शैली से शीर्ष क्रिमिनल लायर के रूप में पहचान बनाई,कैसे?

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तीन तलाक के अलावा इन मामलों पर सुनाया था अहम फैसला

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

जस्टिस उदय उमेश ललित नए सीजेआइ बन गए हैं। वकालत के क्षेत्र में यूयू ललित के परिवार का एक लंबा इतिहास रहा है। यूयू ललित के दादा, पिता और पुत्र भी वकालत के पेशे में हैं। इनका परिवार एक सदी यानि 100 साल से भी ज्‍यादा समय से विधि और न्‍यायशास्‍त्र के विद्वान रहे हैं। अब जस्टिस यूयू ललित सीजेआइ के पद पर पहुंचकर परिवार की परंपरा को एक नई ऊंचाई पर ले गए हैं।

जस्टिस यूयू ललित के दादा सोलापुर में करते थे वकालत

जस्टिस ललित के दादा रंगनाथ ललित महाराष्ट्र के शहर सोलापुर में वकालत करते थे। इस दौरान उन्‍होंने वकालत के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बनाई। रंगनाथ ललित ने बेटे उमेश रंगनाथ ललित को भी अपने पेशे में लेकर आए। उन्‍होंने भी वकालत के क्षेत्र में पहचान बनाई। जस्टिस यूय ललित के पिता ने भी वकालत सोलापुर से ही शुरू की थी।

जस्टिस यूयू ललित के पिता

जस्टिस यूयू ललित के पिता उमेश रंगनाथ ललित ने भी वकालत शुरुआत सोलापुर से ही की थी। इन्‍होंने मुंबई और महाराष्ट्र में वकालत के क्षेत्र में काफी नाम कमाया। इसके बाद वह मुंबई हाई कोर्ट में जज भी बने। अब जस्टिस यूयू ललित पिता से कई कदम आगे बढ़ गए हैं। ऐसे में 90 वर्षीय पिता उमेश रंगनाथ ललित का सीना यकीनन चौड़ा हो गया होगा।

जस्टिस यूयू ललित का मुंबई से दिल्‍ली तक का सफर

जस्टिस यूयू ललित ने मुंबई से दिल्‍ली तक का एक लंबा सफर तय किया है। दिल्ली में वह मयूर विहार के फ्लैट में रहते थे। दिल्ली में अपनी अलग शैली से वकालत के क्षेत्र में पहचान बनाते हुए उन्‍होंने शीर्ष क्रिमिनल लायर के रूप में पहचान बनाई। कई मुकदमों की सुनवाई के दौरान उनकी दलीलों और मृदु भाषी व्‍यक्तित्‍व से लोग कायल हो गए।

यूयू ललित से पहले जस्टिस एसएम सीकरी ऐसे पहले वकील थे। सीकरी 1971 में देश के 13वें मुख्य न्यायाधीश बने थे।

कौन हैं जस्टिस यूयू ललित

जस्टिस यूयू ललित का पूरा नाम उदय उमेश ललित है। यूयू ललित सुप्रीम कोर्ट के दूसरे वरिष्ठतम जज हैं। उनका जन्म 9 नवंबर 1957 को हुआ था। उदय ललित ने 1983 में वकालत शुरू की थी। 1985 तक उन्होंने बांबे हाईकोर्ट में प्रैक्टिस की थी। इसके बाद जनवरी 1986 में वह दिल्ली में वकालत शुरू करने लगे। 2004 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील बनाया गया था। 13 अगस्त 2014 को ललित को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया। सुप्रीम कोर्ट के जज के पद पर रहते हुए उन्होंने कई ऐतिहासिक फैसले सुनाए हैं।

  • अगस्त 2017 में तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने बड़ा फैसला सुनाया था। पांच जजों की बेंच ने तीन तलाक को गैरकानूनी, असंवैधानिक ठहराया था। तीन तलाक पर 3-2 के बहुमत से फैसला हुआ था। उन तीन जजों में यूयू ललित भी शामिल थे।
  • यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने पाक्सो कानून के तहत मुंबई हाईकोर्ट के ‘त्वचा से त्वचा’ संपर्क से संबंधित विवादित फैसले को खारिज कर दिया था।
  • यूयू ललित की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने एक और एतिहासिक फैसला सुनाया था। इस फैसले में त्रावणकोर के तत्कालीन शाही परिवार को केरल के ऐतिहासिक श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का प्रबंधन करने का अधिकार दिया था।
  • 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में सुनवाई के लिए उन्हें सीबीआई का विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया गया था।

तीन महीने का होगा कार्यकाल

भारत के 49वें चीफ जस्टिस का कार्यकाल करीब तीन महीने का होगा। अगले मुख्य न्यायाधीश 8 नवंबर, 2022 को सेवानिवृत्त होंगे।

सीजेआई के रूप में अपने 74 दिनों के कार्यकाल के दौरान उन सुधारों के संबंध में तीन प्रमुख घोषणाएं कीं जिन्हें वह लाने का प्रयास करेंगे।

निर्वतमान सीजेआई एनवी रमना के लिए सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित विदाई समारोह में बोलते हुए न्यायमूर्ति ललित ने ये तीन प्रमुख घोषणाएं की हैं।

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1. लिस्टिंग सिस्टम में और पारदर्शिता लाएंगे।

2. संबंधित पीठों के समक्ष अत्यावश्यक मामलों का स्वतंत्र रूप से उल्लेख करने के लिए एक प्रणाली होगी।

3. पूरे साल एक संविधान पीठ के कामकाज के लिए प्रयास करेंगे।

एनवी रमना के विदाई समारोह में बोलते हुए जस्टिस यूयू ललित ने कहा, ‘मैं 74 दिनों की अपनी अगली पारी में कुछ हिस्सों को रखने की इच्छा रखता हूं। ये तीन क्षेत्र हैं। उन्होंने कहा कि हमें प्रयास करना चाहिए लिस्टिंग को यथासंभव स्पष्ट, पारदर्शी बनाना कठिन है। दूसरा क्षेत्र जो अत्यावश्यक बात का उल्लेख करता है। मैं निश्चित रूप से उस पर गौर करूंगा। बहुत जल्द आपके पास एक स्पष्ट व्यवस्था होगी। जहां किसी भी जरूरी मामले को संबंधित अदालतों के समक्ष स्वतंत्र रूप से उल्लेख किया जा सकता है।’

उन्होंने तीसरे क्षेत्र के बारे में कहा कि मामलों को संविधान पीठों के समक्ष सूचीबद्ध करना और ऐसे मामले जो विशेष रूप से तीन न्यायाधीशों की पीठों को भेजे जाते हैं। मेरा हमेशा से मानना ​​रहा है कि सर्वोच्च न्यायालय की भूमिका स्पष्टता के साथ कानून बनाने की है। ऐसा करने का सबसे अच्छा तरीका है कि एक बड़ी बेंच हो, ताकि मुद्दों को तुरंत स्पष्ट किया जा सके। इससे एकरूपता बनी रहे और लोग इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हों कि कानून की अजीबोगरीब स्थिति की रूपरेखा क्या है। हम पूरे सालभर में कम से कम एक संविधान पीठ हमेशा काम करने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे।

जस्टिस ललित ने अपने संबोधन की शुरुआत यह कहकर की कि वह अपनी लोकप्रियता में सीजेआई रमना की बराबरी नहीं कर सकते हैं। उन्होंने सीजेआई रमना की दो प्रमुख उपलब्धियां भी गिनाईं। पहली न्यायिक रिक्तियों का समाशोधन और दूसरी न्यायिक बुनियादी ढांचे से संबंधित मुद्दों पर ध्यान देना।

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