कलियुग केवल नाम अधारा, सुमिर-सुमिर नर उतरहि पारा : किशोरी साक्षी
श्रीनारद मीडिया‚ सीवान (बिहार)
सीवान सदर प्रखंड के चकरा गांव के मठ परिसर में चल रहे श्री श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के पांचवें दिन श्री श्री 108 उत्तम अयोध्या जी महाराज उर्फ तुरंत उत्तम फल देव बाबा जी महाराज के सानिध्य में यज्ञाचार्य पं. लक्ष्मी निधि मिश्र के नेतृत्व में श्रीधाम वृंदावन से पधारी राष्ट्रीय स्तर की कथावाचिका पूज्या किशोरी साक्षी दीदी ने कलयुग में रामनाम एवं रामकथा की महत्ता का वर्णन करते हुए श्रोताओं को कथा गंगा की पवित्र धाराओं में खूब डुबकी लगवाई। कहा कि इस मृत्युलोक में यदि कुछ श्रवणीय व कथनीय है तो सिर्फ और सिर्फ रामकथा।
इससे इतर सब वृथा यानि झूठा है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से बिना नमक के व्यंजन व्यर्थ है, उसी तरह से बिना रामनाम के यह जीवन भी व्यर्थ हैं। “कलियुग केवल नाम अधारा, सुमिर-सुमिर नर उतरहि पारा ।’अर्थात कलयुग में केवल ईश्वर के नाम का सुमिरन करने से मात्र से मनुष्य का उद्धार हो जाता है। कहा कि कलयुग में मनुष्य अपने कर्मों से भटक चुका है।
बूढ़े मां-बाप आज अपने ही घरों में अपमानित, अपाहिज व एकाकीपन का जीवन जीने को विवश हैं। ऐसे में कथा के श्रवण से भटके हुए प्राणियों को सन्मार्ग मिल सकता है। कलयुग में केवल नाम ही आधार है। सतयुग में तपस्या से त्रेता में यज्ञ व द्वापर में उपासना से जो फल प्राप्त होता था वही फल कलयुग में केवल नाम स्मरण के प्राप्त हो जाता है।
उन्होंने एक मार्मिक प्रसंग के दौरान बताया कि मनुष्य पानी का बुलबुला है। फिर किस बात का अहंकार? धन, संपत्ति, परिवार जिस पर अभिमान है सब यही धरा के धरा रह जाएगा। राम कथा जीवन जीने की कला सिखाती है। यह कथा नहीं, बल्कि जीवन का दर्शन है। मौके पर कथा वाचक अमित कुमार तिवारी, उपाचार्य अनूप पांडेय, कृपाशंकर मिश्र, दिलीप मिश्र, नारायण चौबे, निक्की पांडेय, कैलेंडर जी, पं. मनोज पांडेय, प्रभु शंकर पाठक, तबला वादक लालमणि राजेश भारती, ब्रजेश यादव, बेबी देवी, सुभाष साह, शारदा देवी, ब्रजेश शर्मा , पूनम देवी, शिक्षक शैलेश
कुमार, हरिनाथ यादव, शिक्षक वकील यादव, मुखियापति मंजेश बैठा, राजू सिंह, रंजन सिंह, केशव सिंह, बीरेंद्र चौधरी, शिवनाथ भगत, राजीव रंजन उर्फ सिंपू, राहुल कुमार श्रीवास्तव, टिंकू सिंह, केशव सिंह, लल्लन यादव, विनोद यादव, राजेश यादव, वीर बहादुर यादव उपेंद्र यादव, सुनील यादव, राजेश पटेल, भोला शर्मा, गुड्डू ओझा, डॉ. प्रेम ओझा, राजा शर्मा, विद्या ठाकुर, मनीष, मनोज, ब्रजेश, संदीप, गोलू, राजन, कनिष्क, बिट्टू, सोनू, दीपक, डॉ अनुपम, ज्योतिष, सुदामा जी समेत हजारों श्रद्धालु मौजूद थे।
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मुझे लग रहा था कि मुसलमानों के साथ गलत हो रहा है, बदला लेने का बीड़ा हम ही उठा लें–मुर्तजा.