दुर्गा पूजा में छठें दिन Katyayani Mata – कात्यायनी माता की कैसे होती है पूजा, मंत्र, स्तोत्र
Katyayani Mata – कात्यायनी माता – इस अंक में हम माँ कात्यायनी देवी की पूजा आराधना के लिए कात्यायनी मंत्र (Katyayani Mantra), कात्यायनी माता स्तुति मंत्र (Katyayani Mata Stuti Mantra), कात्यायनी स्तोत्र (Katyayani Stotra), माँ कात्यायनी कवच (Maa Katyayani Kavach), तथा कात्यायनी माता की आरती प्रकाशित कर रहें हैं.
नवरात्रि के छठे दिन अर्थात षष्ठी तिथि को माँ दुर्गा के छठे स्वरुप माँ कात्यायनी देवी की पूजा आराधना की जाती है.
माँ कात्यायनी देवी पार्वती का ही स्वरुप है.
कात्यायनी माता को उमा, कात्यायनी, गौरी, काली, हेेमावती व ईश्वरी आदि नामों से भी जाना जाता है.
कुछ धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कात्यायन महर्षि के यहाँ जन्म लेने के कारण माँ कात्यायनी के नाम से जानी जाती है.
धार्मिक मान्यता है की सम्पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ माँ कात्यायनी देवी की उपासना करने से मनुष्य को अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति हो जाती है।
नवरात्रि में षष्ठी तिथि को माँ कात्यायनी की आराधना करना अत्यंत ही शुभ और मंगलकारी माना गया है. इस दिन माँ कात्यायनी के साधक का मन आज्ञा चक्र में स्थित होता है.
आइए अब हम सब भक्तिपूर्वक कात्यायनी माता की आराधना प्रारंभ करतें हैं.
विषय सूची
Katyayani Mantra – माँ कात्यायनी मंत्र
Katyayani Mata Stuti Mantra – कात्यायनी माता स्तुति मंत्र
माँ कात्यायनी देवी प्रार्थना मंत्र (Maa Katyayani Devi Prarthna Mantra)
Katyayani Mata Dhyan Mantra – कात्यायनी माता ध्यान मंत्र
Katyayani Devi Stotra – कात्यायनी देवी स्तोत्र
Katyayani Mata Kavach Mantra – माँ कात्यायनी कवच मंत्र
कात्यायनी माता की आरती
कात्यायनी माता से संबंद्धित कुछ धार्मिक जानकारी
Katyayani Mantra – माँ कात्यायनी मंत्र
माँ कात्यायनी की आराधना के लिए यहाँ दिए गए कात्यायनी मंत्र का कम-से-कम 108 बार अत्यंत ही श्रद्धापूर्वक पाठ करना चाहिए.
ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥
Katyayani Mata Stuti Mantra – कात्यायनी माता स्तुति मंत्र
नवरात्रि में षष्ठी तिथि को माँ कात्यायनी की पूजा आराधना के लिए इस दिए गए कात्यायनी माता स्तुति मंत्र का जाप करना अत्यंत ही शुभ और मंगलकारी माना गया है.
या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
माँ कात्यायनी देवी प्रार्थना मंत्र (Maa Katyayani Devi Prarthna Mantra)
अब माँ कात्यायनी के साधक को अपने हाथों को प्रणाम की मुद्रा में जोड़कर सम्पूर्ण भक्तिपूर्वक ह्रदय से माँ कात्यायनी से सर्वमंगल के लिए प्रार्थना करना चाहिए.
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥
Katyayani Mata Dhyan Mantra – कात्यायनी माता ध्यान मंत्र
अब सम्पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ दिए गए मंत्र का पाठ करें और ह्रदय में माँ कात्यायनी का ध्यान करें. यह मंत्र अत्यंत ही सिद्ध और शक्तिशाली कात्यायनी मंत्र है. सम्पूर्ण श्रद्धापूर्वक इस मंत्र के पाठ से शुभ फल की प्राप्ति होती है.
वन्दे वाञ्छित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहारूढा चतुर्भुजा कात्यायनी यशस्विनीम्॥
स्वर्णवर्णा आज्ञाचक्र स्थिताम् षष्ठम दुर्गा त्रिनेत्राम्।
वराभीत करां षगपदधरां कात्यायनसुतां भजामि॥
पटाम्बर परिधानां स्मेरमुखी नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रसन्नवदना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्।
कमनीयां लावण्यां त्रिवलीविभूषित निम्न नाभिम्॥
Katyayani Devi Stotra – कात्यायनी देवी स्तोत्र
हमने यहां माँ कात्यायनी की उपासना के लिए कात्यायनी देवी स्तोत्र का प्रकाशन किया हुआ है. सम्पूर्ण भक्ति के साथ इस कात्यायनी स्तोत्र का पाठ करें.
नवरात्रि में षष्ठी पूजा के दिन इस कात्यायनी स्तोत्र का पाठ करना अत्यंत ही शुभ और मंगलकारी माना गया है.
कञ्चनाभां वराभयं पद्मधरा मुकटोज्जवलां।
स्मेरमुखी शिवपत्नी कात्यायनेसुते नमोऽस्तुते॥
पटाम्बर परिधानां नानालङ्कार भूषिताम्।
सिंहस्थिताम् पद्महस्तां कात्यायनसुते नमोऽस्तुते॥
परमानन्दमयी देवी परब्रह्म परमात्मा।
परमशक्ति, परमभक्ति, कात्यायनसुते नमोऽस्तुते॥
विश्वकर्ती, विश्वभर्ती, विश्वहर्ती, विश्वप्रीता।
विश्वाचिन्ता, विश्वातीता कात्यायनसुते नमोऽस्तुते॥
कां बीजा, कां जपानन्दकां बीज जप तोषिते।
कां कां बीज जपदासक्ताकां कां सन्तुता॥
कांकारहर्षिणीकां धनदाधनमासना।
कां बीज जपकारिणीकां बीज तप मानसा॥
कां कारिणी कां मन्त्रपूजिताकां बीज धारिणी।
कां कीं कूंकै क: ठ: छ: स्वाहारूपिणी॥
Katyayani Mata Kavach Mantra – माँ कात्यायनी कवच मंत्र
सभी प्रकार के संकटों और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा करने की सामर्थ्य संपन्न माँ कात्यायनी कवच मंत्र हमने यहाँ दिया हुआ है. धार्मिक मान्यता के सनुसार सम्पूर्ण श्रद्धापूर्वक इस माँ कात्यायनी कवच मंत्र का पाठ साधक के चारों और एक सुरक्षा कवच बना देता है.
कात्यायनौमुख पातु कां स्वाहास्वरूपिणी।
ललाटे विजया पातु मालिनी नित्य सुन्दरी॥
कल्याणी हृदयम् पातु जया भगमालिनी॥
कात्यायनी माता की आरती
सम्पूर्ण श्रद्धा और भक्तिपूर्वक माँ कात्यायनी की पूजा आराधना करने के पश्चात कात्यायनी माता की आरती अवस्य करें.
यहाँ हमने कात्यायनी माता की आरती का प्रकाशन किया हुआ है. साथ ही आरती के पश्चात माँ दुर्गा की आरती का लिंक भी दिया हुआ है. आप माँ दुर्गा की आरती वाले पोस्ट को भी अवस्य देखें.
|| कात्यायनी माता की आरती ||
जय जय अम्बे जय कात्यायनी।
जय जग माता जग की महारानी॥
बैजनाथ स्थान तुम्हारा।
वहावर दाती नाम पुकारा॥
कई नाम है कई धाम है।
यह स्थान भी तो सुखधाम है॥
हर मन्दिर में ज्योत तुम्हारी।
कही योगेश्वरी महिमा न्यारी॥
हर जगह उत्सव होते रहते।
हर मन्दिर में भगत है कहते॥
कत्यानी रक्षक काया की।
ग्रंथि काटे मोह माया की॥
झूठे मोह से छुडाने वाली।
अपना नाम जपाने वाली॥
बृहस्पतिवार को पूजा करिए।
ध्यान कात्यानी का धरिये॥
हर संकट को दूर करेगी।
भंडारे भरपूर करेगी॥
जो भी माँ को भक्त पुकारे।
कात्यायनी सब कष्ट निवारे॥
कात्यायनी माता से संबंद्धित कुछ धार्मिक जानकारी
- माँ कात्यायनी माँ पार्वती का ही रूप है.
- यही माँ दुर्गा की छठी शक्ति स्वरूपा है.
- नवरात्रि में छठे दिन अर्थात षष्ठी तिथि को माँ कात्यायनी की पूजा आराधना करने का विधान है.
- माँ कात्यायनी का स्वरुप अत्यंत ही चमकीला, तेज से भरा और अत्यंत ही मनोरम है.
- माँ दुर्गा के इस कात्यायनी रूप के चार भुजा है.
- माता के दाहिने तरफ का ऊपरवाला हाथ अभयमुद्रा में है. तथा निचे वाला हाथ वरमुद्रा में है.
- माता के बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार और निचे वाले हाथ में कमल फूल सुशोभित है.
- धार्मिक मान्यता के अनुसार कात्यायन ऋषि के यहाँ जन्म लेने के कारण माँ के इस स्वरुप को कात्यायनी के नाम से जाना जाता है.
- एक और धार्मिक मान्यता के अनुसार माँ के इस स्वरुप की सर्वप्रथम पूजा महर्षि कात्यायन ने की. जिस कारण से माता के इस स्वरुप को कात्यायनी के नाम से जाना जाता है.
- धार्मिक मान्यता के अनुसार कात्यायनी माता की सम्पूर्ण विधिवत उपासना करने से साधक को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष सभी की प्राप्ति हो जाती है.
- ऐसी धार्मिक मान्यता भी है की जिन कन्याओं के विवाह में विलम्ब हो रह हो उन्हें सम्पूर्ण भक्तिपूर्वक माँ कात्यायनी की पूजा आराधना करनी चाहिए.
- इसके लिए हमने एक मंत्र का प्रकाशन किया हुआ है.
- मान्यताओं के अनुसार वृहस्पति ग्रह पर माँ कात्यायनी का प्रभाव है. इस कारण से अगर किसी मनुष्य को वृहस्पति ग्रह के दोष के कारण कोई कठिनाई हो तो उसे सम्पूर्ण भक्तिपूर्वक माँ कात्यायनी की आराधना करनी चाहिए.
कात्यायनी माता की पूजा नवरात्रि के किस दिन की जाती है?
नवरात्रि के छठे दिन अर्थात षष्ठी तिथि को कात्यायनी माता की पूजा की जाती है.
माँ कात्यायनी को किस देवी का स्वरुप माना गया है?
माँ कात्यायनी को माँ पार्वती का स्वरुप माना गया है. कात्यायनी माता माँ दुर्गा की छठी शक्ति स्वरुप है.
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