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खादी भारत की आत्मा है, खादी आत्मनिर्भरता की पहचान है - रवि शंकर प्रसाद - श्रीनारद मीडिया

खादी भारत की आत्मा है, खादी आत्मनिर्भरता की पहचान है – रवि शंकर प्रसाद

खादी भारत की आत्मा है, खादी आत्मनिर्भरता की पहचान है – रवि शंकर प्रसाद

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

पटना साहिब संसदीय क्षेत्र के सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि खादी भारत की आत्मा और आजादी का स्वर बनी थी। उन्होंने खादी को आज भी प्रासंगिक बताते हुए कहा कि वर्ष 2015-16 में जहां खादी से 34500 करोड़ की आमद हुई थी, वहीं वर्ष 2020-21 में यह बढ़कर 95700 करोड रुपए हो गई।

गांधी जयंती के अवसर पर भारतीय नृत्य कला मंदिर, पटना में आयोजित तीन दिवसीय गांधी चित्र-प्रदर्शनी सह खादी मेले के दूसरे दिन वे मुख्य अतिथि के रूप में ‘गांधी एवं आत्मनिर्भर भारत’ विषय पर एक संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। इस तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के रीजनल आउटरीच ब्यूरो, पटना द्वारा किया गया है।

उन्होंने कहा कि गांधीजी बहुत पावरफुल स्पीकर नहीं थे, लेकिन उन्होंने हजारों-लाखों लोगों को आवाज दी। उस दौर में ना टेलीफोन था, ना ही इंटरनेट। लेकिन इसके बावजूद गांधीजी के संदेश दूर-दूर तक पहुंचते थे। यह वास्तव में एक जागृति थी, जिसे लाने का काम गांधीजी ने किया था। उन्होंने कहा कि यह आजादी हमने बहुतों के त्याग और बलिदान से पाई है। उन्होंने वीर सावरकर का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें अंडमान के जेल में एक ही सेल में 11 वर्षों तक कैद रखा गया था। हम आज आजाद हैं, क्योंकि इन जैसे महापुरुषों ने अपनी आहुति दी थी।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नारे को दोहराते हुए कहा कि हमें ‘खादी फॉर नेशन, खादी फॉर फैशन’ के संदेश को आगे बढ़ाना है, जन-जन तक पहुंचाना है। आत्मनिर्भरता की बात करते हुए उन्होने कहा कि 2014 में जब मोदी की सरकार आई थी, तब मात्र दो मोबाइल कंपनियां थीं। लेकिन आज भारत में 240 मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां हैं और चीन के बाद भारत दूसरा ऐसा सबसे बड़ा देश है। उन्होंने कहा कि पल्स पोलियो का टीका आने में 20 वर्ष लगे थे, लेकिन भारत ने एक वर्ष के अंदर ही कोविड-19 का टीका बना लिया। उन्होंने कहा कि हम जल्द ही 100 करोड़ टीकाकरण के आंकड़े को प्राप्त कर लेंगे।

इस मौके पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार के रीजनल आउटरीच ब्यूरो, पटना के अपर महानिदेशक एस.के. मालवीय ने कहा कि खादी एक विचार है। उन्होंने कहा कि सभी संकटों से लड़ने और उससे पार पाने का एकमात्र उपाय है आत्मनिर्भरता। हमें सभी क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बनने की आवश्यकता है। आत्मनिर्भरता की दिशा में खादी एक विशेष क्षेत्र बन सकता है।

वरिष्ठ इतिहासकार रत्नेश्वर मिश्र ने संगोष्ठी में कहा कि आजादी में सभी महापुरुषों का योगदान है, लेकिन अगर एक नाम नेतृत्वकर्ता के रूप में लिया जाए तो वे गांधी ही थे। गांधीजी ने लोगों में वैचारिक चेतना जगाने का काम किया। गांधीजी का कहना था कि गांव को गांव ही रहने दिया जाए, उसे शहर ना बनाया जाए। उन्होंने कहा कि लोगों को अपने विचार और कर्म में सामंजस्य बिठाना चाहिए। गांधी ने सबको आत्मनिर्भर बनने का संदेश दिया था और चरखे को आत्मनिर्भरता का प्रतीक बताया था। उन्होंने कहा कि अगर हम गांधी के अट्ठारह नियमों का पालन करें, तो भारत को आत्मनिर्भर बनाने में सफल हो सकते हैं।

संगोष्ठी में एनसीसी निदेशालय बिहार-झारखंड के मेजर जनरल इंद्रबालन ने कहा कि भारत युवाओं का देश है। उन्होंने कहा कि अगर हमें आत्मनिर्भर भारत के मुकाम को हासिल करना है तो इसमें युवाओं की भागीदारी अनिवार्य है।

चित्र-प्रदर्शनी सह खादी मेले के दूसरे दिन कार्यक्रम स्थल पर प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया, जिसमें छात्रों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। मौके पर उन्हें पुरस्कृत भी किया गया। साथ ही सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के पंजीकृत सांस्कृतिक दल के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी मंचन किया गया। इस अवसर पर एसएसबी पटना के फ्रंटियर पाइप बैंड टीम के द्वारा देश भक्ति धुन भी पेश किया गया।

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