‘खेला इन बंगाल 2021’ रिपोर्ट में BJP के हिंदू वोटर्स से हिंसा का जिक्र.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के रिजल्ट के बाद राजनीतिक हिंसा में कई लोगों की मौत हो गई. आज भी हिंसा पीड़ितों को इंसाफ का इंतजार है. करीब एक लाख हिंसा पीड़ित बंगाल को छोड़कर असम के शरणार्थी शिविरों में रहने को मजबूर हैं. पश्चिम बंगाल चुनाव के रिजल्ट के बाद हिंसा को लेकर खूब हंगामा भी हुआ है. अब, ग्रुप ऑफ इंटेलेक्चुअल्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद बेहद खतरनाक हिंसा हुई है. ग्रुप ऑफ इंटेलेक्चुअल्स ने अपनी रिपोर्ट को केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी को सौंप दिया है. केंद्रीय गृह राज्यमंत्री ने रिपोर्ट मिलने की पुष्टि की. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से ग्रुप ऑफ इंटेलेक्चुअल की रिपोर्ट पर चर्चा के बाद जरूरी कदम उठाएंगे.

ग्रुप ऑफ इंटेलेक्चुअल्स की रिपोर्ट में क्या है?

ग्रुप ऑफ इंटेलेक्चुअल्स की इस रिपोर्ट का शीर्षक ‘खेला इन बंगाल 2021: शॉकिंग ग्राउंड स्टोरीज’ (Khela In Bengal 2021: Shocking Ground Stories) है. इस रिपोर्ट में जिक्र किया गया है कि बंगाल चुनाव के रिजल्ट के बाद की हिंसा को सिर्फ राजनीतिक घटना मान लेना गलत है. यह इससे कहीं ज्यादा है. बीजेपी को समर्थन देने या वोट देने वालों के साथ ज्यादती की गई है. यहां तक कि महिलाओं के साथ जघन्य कृत्य को अंजाम दिया गया है. रिपोर्ट में जिक्र किया गया है कि पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव जीतने और सत्ता पर अपनी पकड़ को बनाए रखने के लिए टीएमसी (तृणमूल कांग्रेस) समर्थकों ने हिंसा के मॉडल का सहारा लिया था.

हिंसा के लिए सरकारी मशीनरी का उपयोग…

रिपोर्ट में पश्चिम बंगाल की सरकार को भी निशाने पर लिया गया है. जिक्र किया गया है कि राज्य में हिंसा के लिए सरकारी मशीनरी का सहारा लिया गया. बीजेपी समर्थकों या उन्हें वोट देने वालों को चुन-चुनकर निशाना बनाया गया है. रिपोर्ट को बनाने वाले ग्रुप ऑफ इंटेलेक्चुअल्स में कई बुद्धिजीवी, शिक्षा से जुड़े लोग शामिल हैं. इन्होंने एक दर्जन से ज्यादा पीड़ितों से बात की. इसके लिए वर्चुअल मीडियम का सहारा लिया गया. बताते चलें कि बंगाल हिंसा को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय की स्पेशल टीम भी राज्य का दौरा कर चुकी है. जबकि, राज्यपाल जगदीप धनखड़ भी बंगाल चुनाव के बाद हुई हिंसा के पीड़ितों से मुलाकात कर चुके हैं. इस मुद्दे को लेकर राज्यपाल जगदीप धनखड़ और राज्य की सीएम ममता बनर्जी के बीच तीखी बयानबाजी भी हो चुकी है.

पश्चिम बंगाल की राजनीति में पीएम मोदी के यास चक्रवात के बाद के हालात को लेकर शुक्रवार को हुई मीटिंग पर खूब बयानबाजी देखने को मिल रही है. एक तरफ बीजेपी सीएम ममता बनर्जी पर पीएम मोदी को 30 मिनट इंतजार कराने का आरोप लगा रही हैं. दूसरी तरफ टीएमसी सुप्रीमो और सीएम ममता बनर्जी ने शनिवार को कोलकाता में पत्रकारों से बात करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी से हाथ जोड़कर विनती कर डाली. ममता बनर्जी ने कहा कि वो पीएम मोदी के पैर छूने को भी तैयार हैं. इस दौरान ममता बनर्जी ने कई सवालों का जवाब भी दिया.

मैं तो आपके पैर छूने के लिए भी तैयार: ममता

कोलकाता में शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सीएम ममता बनर्जी ने पीएम मोदी से हाथ जोड़कर खास आग्रह किया. ममता बनर्जी ने कहा वो पीएम के पैर छूने के लिए भी तैयार हैं. लेकिन, हमारे साथ ऐसा काम मत करिए, जिससे बंगाल की जनता को दुख पहुंचे. ममता बनर्जी ने आगे कहा कि कृपया इस तरह से मुझे बदनाम ना करें. मुझे अपमानित भी ना करें. आपको अभी पश्चिम बंगाल में मिली हार नहीं पची है. यही कारण है आप सभी मुझे अपमानित कर रहे हैं. सीएम ममता बनर्जी ने आगे कहा कि मेरे लिए बंगाल की जनता सबसे पहले है. आप सीएम और मुख्य सचिव के खिलाफ ऐसे खेल नहीं खेलें. मैं आपसे हाथ जोड़कर आग्रह करती हूं मुख्य सचिव को काम करने दीजिए. हमें कोरोना संकट और यास चक्रवात से पैदा हुए हालात से मिल कर लड़ना है.

पीएम को इंतजार कराने पर सियासी हंगामा

बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने पीएम की मीटिंग में शामिल नहीं होने पर भी सफाई दी. उन्होंने कहा कि हमें पीएम के कॉन्फ्रेंस रूम में जाने की खबर मिली. मैं और मुख्य सचिव आलापन बंदोपाध्याय उनसे मिलने गए. यह मीटिंग पीएम और सीएम के लिए नहीं थी. हम शिष्टाचार के नाते भी पीएम मोदी से मिलने गए. हम उनकी अनुमति से मिलने गए और कागजात सौंपकर लौट गए. हमें दूसरी जगह भी जाना था. दरअसल, ममता बनर्जी पर आरोप लगाए जा रहे थे कि उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी को करीब 30 मिनट तक वेट कराया था. इसके बाद वो पीएम से मिलने पहुंची. वहीं, शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में ममता बनर्जी ने खुद 20 मिनट वेट करने की बात कही.

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