Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
जानें, हमदर्द रूह-अफजा की शुरुआत होने की कहानी - श्रीनारद मीडिया
Breaking

जानें, हमदर्द रूह-अफजा की शुरुआत होने की कहानी

जानें, हमदर्द रूह-अफजा की शुरुआत होने की कहानी

श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्‍क:

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

शरबत का नाम हो और रूह-अफजा की बात ना आए…ऐसा हो ही नहीं सकता. गर्मी का मौसम है,  दो दशक पूर्व शादी विवाह के मौसम में  लोगों को रूह आफजा का शरबत किया जाता था। बारात, तिलक, घर आये अतिथियों को गर्मी में प्‍यास बुझाने के लिए रूह आफजा का शर्बत दिया जाता था। लेकिन बाजार में कई पेय पदार्थ आने से आज शादी विवाह में वह अपना स्‍थान जमा लिया है।

रूह-अफजा की शुरूआत एक हकीम ने गर्मी से बचाने वाले एक टॉनिक के रूप में की थी. चलिए आपको बताते हैं शुरूआती दिनों में बर्तन में बिकने वाला रूह-अफजा देखते ही देखते कैसे 400 करोड़ का ब्रांड बन गया.

बात 1907 की है, यूनानी हर्बल चिकित्सा के एक हकीम हाफिज अब्दुल मजीद ने रूह-अफजा की गाजियाबाद में ईजाद किया था. साल था 1906, उन्होंने पुरानी दिल्ली के लाल कुआं बाजार में हमदर्द नामक एक क्लीनिक खोला था और 1907 के दौरान दिल्ली में भीषण गर्मी और लू से काफी लोग बीमार पड़ने लगे. तब हकीम अब्दुल मजीद मरीजों को  इसी रूह-अफजा की खुराक देने लगे, लू और गर्मी से बचाने में हमदर्द का रूह-अफजा कमाल का साबित हुआ. देखते ही देखते यह दवाखाना रूह-अफजा की वजह से पहचाना जाने लगा. और यह सिर्फ दवा न होकर लोगों को गर्मी से राहत देने का नायाब नुस्खा बन गया और हमदर्द दवाखाना से बड़ी कंपनी बन गई. और लोग दवाखाने में दवा लेने नहीं, बल्कि रुह-अफजा लेने के लिए जाया करते थे, लेकिन अब रूह-अफजा दवा या टानिक ना रहकर एक प्यास बुझाने बाला शरबत बन गया है.
पहले रूह-अफजा को बर्तनों में दिया जाता था लेकिन बढ़ती मांगो को लेकर रूह-अफजा बोतलों में दिया जाने लगा है. रुह-अफजा की ब्रांड वैल्यू करीब  400 करोड़ रुपए है, तो ये थी टॉनिक से शुरु होकर करोड़ो लोगों तक पहुंचने वाली रूह-अफजा की कहानी.

यह भी पढ़े

6 साल की बच्ची से रेप के बाद हत्या, शव को पेड़ से बांधकर आरोपी फरार

पत्नी के चरित्र पर था शक कर पति हैवान बन कुल्हाड़ी से काट डाला गला

संजीव हत्याकांड के आरोपितों में से पांच गिरफ्तार कर भेजे गए जेल

बसंतपुर में लकडाउन के उल्लंघन करने पर चार दुकाने सील 

कानून की अनदेखी पर सीएम ममता बनर्जी के खिलाफ कार्रवाई के लिए सीबीआइ स्वतंत्र – सुप्रीम कोर्ट.

गुफा में हजारों साल से रखा है अकूत खजाना,कहाँ?

Leave a Reply

error: Content is protected !!