ज्ञान और नवाचार से भारत बनेगा विश्वगुरु : डॉ. रमण
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
ज्ञान, कौशल और नवाचार के समावेश एवं सामंजस्य से ही भारत को पुनः विश्वगुरु बनाया जा सकता है। हमारी शिक्षा व्यवस्था को दुनिया की समकालीन चुनौतियों के हिसाब से परिवर्धित और परिमार्जित करना युगीन आवश्यकता है। तेजी से बदलती तकनीक से कदमताल मिलना भी जरूरी है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 इस दिशा में वर्तमान सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है।
यह देश को अपनी अस्मिता की पहचान करने, अपने अतीत की महान विरासत पर गर्व करने और भारत में भारतबोध की निर्माण को कृतसंकल्पित है। उक्त बातें भारतीय शिक्षण मंडल के प्रांत उपाध्यक्ष और महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी के सहा. प्रोफेसर डॉ. साकेत रमण ने कही। वह भारतीय शिक्षण मंडल, उत्तर बिहार और टी. पी. वर्मा महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भारतबोध विषयक परिचर्चा को सत्र को संबोधित कर रहे थे।
डॉ. रमण ने कहा कि हालांकि, हाल के दिनों में विरोध के लिए विरोध की प्रवृति में तेजी से इजाफा हुआ है। कोई भी दल, अवधारणा, विचार या तंत्र आलोचना विहीन नहीं होता। उसमें कुछ नकारात्मक तो कुछ सकारात्मक होता है। ऐसे में यह देखना भी लाजिमी है कि राष्ट्र के लिए क्या जरूरी है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में नीति और नीयत दोनों शामिल है ऐसे में हम शिक्षकों को इसको जमीन पर उतारने के लिए सार्थक और समावेशी प्रयास करने होंगे। भारतीय शिक्षण मंडल पूरे देश में वर्ष 2012 से ही इस दिशा में प्रयत्नशील है।
अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. राय ने कहा कि देश की नई शिक्षा नीति भारतीय शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता की बात करते हुए सभी को शिक्षा मिले इसकी बात करती है। भारतीय संस्कृति की समरसता कैसे आएगी। देश, समाज की संस्कृति कैसे मज़बूत हो इस पर नई शिक्षा नीति चिंतन करने की बात करती है।
कार्यक्रम के दौरान भारतीय शिक्षण मंडल के पूर्वी चंपारण के जिला सह संयोजक आकाश अस्थाना, पश्चिमी चंपारण के सह संयोजक अमुक कुमार टी. पी. वर्मा महाविद्यालय के प्रोफ़ेसर विकास मंडल, दशरथ राम, बिट्टू वर्मा, शोधार्थी आकाश कुमार, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के महाविद्यालय मंत्री आशीष व विद्यालय के छात्र और तमाम गणमान्य लोग उपस्थिति रहे। कार्यक्रम का संचालन व धन्यवाद ज्ञापन शोधार्थी रोशन कुमार ने किया।
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