वसंत पंचमी पर सरस्वती देवी की पूजा से ज्ञान प्राप्त होता है,कैसे?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा कर आशीर्वाद लिया जाता है। हिंदू धर्म के अनुसार, बसंत पंचमी का पर्व माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाते हैं। बसंत पंचमी के दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा करने से बुद्धि व विद्या का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
– इस दिन किसी से झगड़ा नहीं करना चाहिए।
– किसी से अपशब्द नहीं बोलना चाहिए।
– मांस और मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।
– ब्रह्मचर्य का पालन जरूर करें।
– इस दिन बिना नहाए भोजन न करें।
– कोशिश करें रंग-बिरंगे कपड़े न पहनकर पीले कपड़े पहने।
– बंसत पंचमी के दिन पितृ-तर्पण भी करना चाहिए।
– इस शुभ दिन पेड़-पौधों को न काटें।
– दिन की शुरूआत हथेली देखकर करना चाहिए। उसके बाद हथेली देखकर सरस्वती मां का ध्यान करना चाहिए।
सरस्वती पूजा के दिन क्यों पहने जाते हैं पीले कपड़े
वसंत पंचमी के दिन पीले कपड़े पहनना शुभ होता है। इस दिन पीले कपड़े पहनना प्रकृति के साथ एक हो जाना या उसमें मिल जाने का प्रतीक है। यह दर्शाता है कि हम प्रकृति से अलग नहीं है। जैसी प्रकृति ठीक वैसे ही मनुष्य भी हैं। आध्यात्म के दृष्टिकोण से पीला रंग प्राथमिकता को भी दर्शाता है।
ऐसा माना जाता है कि जब ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई थी तब तीन ही प्रकाश की आभा थी लाल, पीली और नीली। इनमें से पीली आभा सबसे पहले दिखाई दी थी। इन्हीं कारणों से वसंत पंचमी को पीले कपड़े पहने जाते हैं। इस दिन पीला रंग खुशनुमा और नएपन को महसूस कराता है। वहीं पीला रंग सकारात्मकता का प्रतीक है और शरीर से जड़ता को दूर करता है।
इस दिन से वसंत ऋतु की शुरुआत होती है और इस मौसम में हर जगह पीला ही दिखाई देता है। पीला रंग हमारे स्नायु तंत्र को संतुलित और मस्तिष्क को सक्रिय रखता है। इस तरह यह ज्ञान का रंग बन जाता है। यही कारण है कि ज्ञान की देवी सरस्वती के विशेष दिन पर पीले वस्त्र पहने जाते हैं।
बसंत पंचमी के दिन पीले रंग का है खास महत्व
मांगलिक कार्य में पीला रंग प्रमुख होता है। यह भगवान विष्णु के वस्त्रों का रंग है। पूजा-पाठ में पीला रंग शुभ माना जाता है। केसरिया या पीला रंग सूर्यदेव, मंगल और बृहस्पति जैसे ग्रहों का कारक है और उन्हें बलवान बनाता है। इससे राशियों पर भी प्रभाव पड़ता है। पीला रंग खुशी का प्रतीक है। मांगलिक कार्यों में हल्दी का इस्तेमाल किया जाता है जो कि पीले रंग की होती है। वहीं धार्मिक कार्यों में पीले रंग के वस्त्र धारण किए जाते हैं जो कि शुभ होता है। यही कारण है कि वसंत पंचमी पर पीले रंग के कपड़े जरूर पहनने चाहिए।
बसंत पंचमी पर ऐसे करें पूजा
बसंत पंचमी का दिन बहुत खास होता है इसलिए इस दिन देवी सरस्वती की पूजा करनी चाहिए। मां सरस्वती की पूजा से पहले इस दिन नहा-धोकर सबसे पहले पीले वस्त्र धारण कर लें। उसके बाद देवी की मूर्ति अथव चित्र स्थापित करें और फिर सबसे पहले कलश की पूजा करें। इसके बाद नवग्रहों की पूजा करें और फिर मां सरस्वती की उपासना करें। इसके बाद पूजा के दौरान उन्हें विधिवत आचमन और स्नान कराएं। फिर देवी को श्रंगार की वस्तुएं चढ़ाएं। बसंत पंचमी के दिन देवी मां को सफेद वस्त्र अर्पित करें। साथ ही, खीर अथवा दूध से बने प्रसाद का भोग मां सरस्वती को लगाएं।
बसंत पंचमी से जुड़ी पौराणिक कथा
बसंत पंचमी का पर्व मां सरस्वती के अवतरण दिवस के रूप में मनाया जाता है। हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी मनाई जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार ब्रह्माजी संसार के भ्रमण पर निकले हुए थे। उन्होंने जब सारा ब्रह्माण्ड देखे तो उन्हें सब मूक नजर आया और हर तरफ खामोशी छाई हुई थी। इसे देखने के बाद उन्हें लगा कि संसार की रचना में कुछ कमी रह गई है।
इसके बाद ब्रह्माजी एक जगह पर ठहर गए और उन्होंने अपने कमंडल से थोड़ा जल निकालकर छिड़क दिया। तो एक महान ज्योतिपुंज में से एक देवी प्रकट हुई। जिनके हाथों में वीणा थी और चेहरे पर बहुत ज्यादा तेज। यह देवी थी सरस्वती, उन्होंने ब्रह्माजी को प्रणाम किया। मां सरस्वती के अवतरण दिवस के रूप में बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है।
ब्रह्माजी ने सरस्वती से कहा कि इस संसार में सभी लोग मूक है। ये सभी लोग बस चल रहे हैं इनमें आपसी संवाद नहीं है। ये लोग आपस में बातचीत नहीं कर पाते हैं। इसपर देवी सरस्वती ने पूछा की प्रभु मेरे लिए क्या आज्ञा है? ब्रह्माजी ने कहा देवी आप अपनी वीणा की मदद की इन्हें ध्वनि प्रदान करो। ताकि ये लोग आपस में बातचीत कर सकें। एक दूसरे की तकलीफ को समझ सकें। इसके बाद मां सरस्वती ने सभी को आवाज प्रदान करी।
बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की क्यों होती है पूजा
ज्ञान देवी मां सरस्वती शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ही ब्रह्माजी के मुख से प्रकट हुई थीं। इसलिए बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है। सरस्वती मां को ज्ञान देने वाली कहा जाता है। इसलिए इस दिन पूरे विधि विधान से मां सरस्वती की पूजा करने से वो प्रसन्न होती हैं और भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।
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