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एक साथ चुनाव पर कोविन्द समिति ने की प्रगति की समीक्षा - श्रीनारद मीडिया

एक साथ चुनाव पर कोविन्द समिति ने की प्रगति की समीक्षा

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर उच्चस्तरीय समिति ने पिछले साल सितंबर में अपने गठन के बाद से की गई प्रगति की सोमवार को समीक्षा की। वहीं समिति के अध्यक्ष एवं पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के साथ अलग से बातचीत जारी रखी।

एक राष्ट्र एक चुनाव पर उच्चस्तरीय समिति ने पिछले साल सितंबर में अपने गठन के बाद से की गई प्रगति की सोमवार को समीक्षा की। वहीं समिति के अध्यक्ष एवं पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के साथ अलग से बातचीत जारी रखी। कोविन्द ने पूर्व प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा व एसए बोबडे और दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल से मुलाकात की।

पूर्व राष्ट्रपति ने की न्यायविदों से मुलाकात

एक बयान के अनुसार, कोविन्द ने पूर्व प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा व एसए बोबडे और दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल से मुलाकात की। बयान में कहा गया है कि समिति ने सोमवार को अपनी बैठक में अब तक की गतिविधियों और प्रगति की समीक्षा की।

बैठक में कोविंद के अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और समिति के अन्य सदस्य मौजूद थे। समिति को मौजूदा संवैधानिक ढांचे को ध्यान में रखते हुए लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के एक साथ चुनाव कराने की पड़ताल और सिफारिशें करने का काम सौंपा गया है।

बैठक में आगे के रोडमैप हुई चर्ची

बैठक में गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह, 15 वें वित्त आयोग के अध्यक्ष रहे एन.के. सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव, संविधान और विधि विशेषज्ञ डॉ. सुभाष सी. कश्यप, पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त यानी सीवीसी संजय कोठारी और वरिष्ठ विधि वेत्ता सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे ने भी भाग लिया. बैठक में इस लक्ष्य के लिए अब तक की गतिविधियों और प्रगति की समीक्षा की गई.

 एक्सपर्ट की राय में, वन नेशन, वन इलेक्शन के लिए संविधान संशोधन जरूरी होगा. संविधान के अनुच्छेद 83, 172 और 356 के प्रावधानों में संशोधन के लोकसभा और राज्यों का विधानसभा चुनाव एक साथ कराया जाना संभव नहीं है. संविधान विशेषज्ञों के मुताबिक, अनुच्छेद 83 और 172 में संशोधन करना होगा जिसमें ये कहा गया है कि सदन का कार्यकाल पांच साल का होगा. इनमें ये भी कहा गया है कि इस अवधि के पहले सदन को भंग करना होगा

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई में एक राष्ट्र, एक चुनाव विषय पर गठित समिति ने देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए मौजूदा कानूनी प्रशासनिक ढांचे में उचित बदलाव को लेकर जनता से सुझाव मांगे हैं. उच्चस्तरीय समिति ने एक सार्वजनिक नोटिस जारी कर कहा कि 15 जनवरी तक प्राप्त सुझावों पर विचार किया जाएगा. नोटिस में कहा गया है कि सुझाव समिति की वेबसाइट पर दिए जा सकते हैं या ईमेल के जरिए भेजे जा सकते हैं.

राजनीतिक पार्टियों से मांग चुके हैं विचार

समिति का गठन पिछले साल सितंबर में किया गया था और तब से दो बैठकें की गई हैं. हाल में समिति में राजनीतिक दलों को पत्र लिखकर देश में एक साथ चुनाव कराने पर उनके विचार मांगे थे. यह पत्र छह राष्ट्रीय दलों, 22 क्षेत्रीय दलों और सात पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त दलों को भेजे गए थे. समिति ने एक साथ चुनाव कराने पर विधि आयोग के विचार भी सुने. विधि आयोग को इस मुद्दे पर दोबारा बुलाया जा सकता है.

सभी चुनाव एक साथ कराने का है उद्देश्य

विचारार्थ विषय के अनुसार, समिति का उद्देश्य भारत के संविधान और अन्य वैधानिक प्रावधानों के तहत मौजूदा ढांचे को ध्यान में रखते हुए लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर निकायों और पंचायतों के चुनाव एक साथ कराने के लिए सिफारिशें करना है. इस उद्देश्य के लिए संविधान, जन प्रतिनिधित्व कानून, 1950, जन प्रतिनिधित्व कानून, 1951 और नियमों और अन्य कानूनों में विशेष संशोधनों की सिफारिश करना है, जो एक साथ चुनाव कराने के लिए आवश्यक होंगी.

समिति के सदस्यों के नाम

इस समिति में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, गृहमंत्री अमित शाह, राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद, 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एनके सिंह, पूर्व लोकसभा महासचिव सुभाष सी कश्यप और पूर्व चीफ विजिलेंस कमिश्नर संजय कोठारी शामिल हैं। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल इस समीति के विशेष आमंत्रित सदस्य और कानून सचिव नितिन चंद्रा सचिव हैं.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू लोकसभा और विधानसभा के चुनाव साथ कराने के समर्थन में है। जेडीयू ने वन नेशन वन इलेक्शन के प्रति अपना समर्थन जाहिर किया है। जेडीयू संसदीय दल के नेता राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह के साथ बिहार के पूर्व मंत्री संजय कुमार झा ने शनिवार को दिल्ली में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली हाईलेवल कमिटी से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने समिति को जेडीयू का ज्ञापन सौंपा।

संजय झा ने सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि जेडीयू अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शुरू से ही एक देश एक चुनाव की नीति के समर्थक रहे हैं। उनका और पार्टी का मानना है कि सुशासन की संरचना को मजबूत करने की दिशा में एक देश एक चुनाव महत्वपूर्ण कदम होगा। विधि आयोग की रिपोर्ट और इससे संबंधित तमाम तथ्यों एवं बहसों पर गंभीरता से विचार करते हुए जेडीयू ने लोकसभा और राज्य विधानमंडल के चुनाव एक साथ कराने, जबकि पंचायतों और नगर पालिकाओं के चुनाव एक साथ कराने, लेकिन संसदीय चुनाव और पंचायती राज के चुनाव अलग-अलग कराने के पक्ष में अपना समर्थन व्यक्त किया है।

श्री झा ने कहा कि जदयू ने इस संदर्भ में देशभर में सीआईआई, फिक्की, एसोचैम सहित विभिन्न संगठनों के साथ हुए विमर्श में उभरी राय पर गंभीरता से विचार किया है। साथ ही, भारत में एक साथ चुनाव कराने के इतिहास को भी ध्यान में रखा है। वर्ष 1947 में आजादी मिलने के बाद से लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव अधिकतर एक साथ आयोजित हुए थे, लेकिन 1960 के दशक के अंतिम वर्षों से एक साथ चुनाव का सिलसिला विभिन्न कारणों से बाधित हो गया। इससे पहले वर्ष 2018 में भारत के विधि आयोग द्वारा आमंत्रित सुझावों के जवाब में भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जदयू ने लोकसभा तथा विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की नीति को अपना समर्थन दिया था।

 

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