दरौली में कृष्णपाली के दक्खिन का पोखरा हुआ अतिक्रमण का शिकार.

दरौली में कृष्णपाली के दक्खिन का पोखरा हुआ अतिक्रमण का शिकार.

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया अमित कुमार,दरौली,सीवान

दरौली के कृष्णपाली के दक्खिन का पोखरा कभी अपने जल की शुद्धता और पवित्रता के लिए जाना जाता था। कार्तिक पूर्णिमा में सरयू स्नान को जाते पदयात्री इसी पोखरे के पानी से किनारे बैठ के सत्तू सानकर अपनी भूख मिटाते थे.आज जहां कब्रगाह की बाउंड्री दी गई है कभी वह पीपल के वृक्षों से हरे भरे थे- उसके छांव में बैठकर भरवा मरिचा ,अचार चटनी के साथ बिहारी व्यंजन का छककर मजा लेते, आराम करते और फिर परम- पुनीता, मुक्तिदायिनी, पूजनीया, प्रातः स्मरणीया और अहर्निश वंदनीया सरयू मैया के स्नान के लिए प्रस्थान करते । आते-जाते यात्रियों के लिए यह विश्राम स्थल था। कच्ची सड़क थी। सड़क पर बस गाड़ी नहीं चलती थी।

बैल गाड़ियां चलती थी ।पैदल का जमाना था। पोखरा के चारों किनारे मिट्टी के टीले थे। कुम्हार टीले में से ही मिट्टी निकाल कर मिट्टी के बर्तन बनाते थे। पोखरा के किनारों पर कोई बसावट नहीं थी। बरसात में वर्षा का पानी अधिक होने पर दक्षिणी छोर से दक्षिण ताल की ओर चला जाता था। मवेशियों के लिए इस जलाशय का बड़ा ही महत्व था।बहुरा, जिउतिया, तीज का पावन व्रत करने वाली महिलाएं शाम को पोखरा में स्नान के पश्चात किनारे पर पावन व्रत का कथा सुनती थी। गांव के बड़े, बुजुर्ग, बच्चे इसमें स्नान करते, तैरते। ग्राम वासियों व प्रशासनिक उपेक्षा के कारण आज यह सरकारी पोखरा अपने अस्तित्व के संकट के लिए जूझ रहा है।

कभी यह पोखरा इस गांव का आर्थिक मेरुदंड रहा होगा ग्रामीण संस्कृति की प्राणधारा को इसने पल्लवित किया होगा। खेत- खलिहान को लहलहाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया होगा। किंतु कुछ स्वार्थी लोगों ने अपने स्वार्थ- सम्पूर्ति में इसका अतिक्रमण कर अविवेकता पूर्ण संदोहन से इसका अस्तित्व खतरे में पर गया है।

ये भी पढ़े…..

 

Leave a Reply

error: Content is protected !!