बॉलीवुड एक्टर मनोज बाजपेयी की फिल्म गुलमोहर हाल ही में रिलीज हुई है. फिल्म में उन्होंने दमदार भूमिका निभाई है. अब एक्टर के दायर मानहानि मामले में फिल्म समीक्षक कमाल राशिद खान उर्फ केआरके के खिलाफ इंदौर की जिला अदालत ने गिरफ्तारी वॉरंट जारी किया है. यह मामला सोशल मीडिया मंच ट्विटर पर बाजपेयी को केआरके द्वारा ‘‘चरसी और गंजेड़ी’’ कहे जाने के आरोप में दर्ज कराया गया है.
केआरके के खिलाफ जारी हुआ अरेस्ट वारंट
मनोज बाजपेयी के वकील परेश जोशी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. परेश ने बताया कि उनके मुवक्किल की अर्जी पर दोनों पक्षों को सुनने के बाद एक प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट (जेएमएफसी) ने केआरके के खिलाफ बृहस्पतिवार को गिरफ्तारी वॉरंट जारी किया और अदालत में उनकी हाजिरी के लिए 10 मई की तारीख तय की. इस अर्जी में बाजपेयी की ओर से कहा गया कि केआरके को इंदौर की जिला अदालत में लंबित मानहानि मामले की पूरी जानकारी है, लेकिन वह प्रकरण की सुनवाई में कथित तौर पर देरी कराने के लिए न्यायालय के सामने जान-बूझकर हाजिर नहीं हो रहे हैं.
केआरके की ओर से किया गया ये अनुरोध
केआरके की ओर से जेएमएफसी से अनुरोध किया गया कि जिला अदालत में उनके खिलाफ कार्यवाही स्थगित की जाए क्योंकि उनकी ओर से मामले में शीर्ष न्यायालय में एक याचिका पेश की गई है जिसमें उन्हें स्थगन आदेश की राहत मिलने की पूरी उम्मीद है. केआरके की ओर से जेएमएफसी को यह भी बताया गया कि वह कैंसर से पीड़ित हैं.
जानें पूरा मामला
गौरतलब है कि मनोज बाजपेयी द्वारा केआरके के खिलाफ इंदौर की जिला अदालत में दर्ज कराया गया मानहानि का मामला रद्द कराने को दायर याचिका मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने 13 दिसंबर, 2022 को खारिज कर दी थी. मनोज ने जिला अदालत में दायर मुकदमे में आरोप लगाया है कि केआरके ने उनकी प्रतिष्ठा धूमिल करने के इरादे से अलग-अलग ट्विटर हैंडल से 26 जुलाई, 2021 को दो ट्वीट कर उन्हें ‘‘चरसी और गंजेड़ी’’ कहा था.
केआरके के वकील ने कही थी ये बात
उच्च न्यायालय में दायर याचिका पर बहस के दौरान केआरके के वकील ने उक्त आरोप को खारिज करते हुए कहा था कि इनमें से एक ट्विटर हैंडल ‘‘केआरके बॉक्स आफिस’’ 22 अक्टूबर, 2020 को सलीम अहमद नामक शख्स को ‘‘घोषणा या समझौता विलेख’’ के जरिये बेचा जा चुका है और बाजपेयी के बारे में कथित ट्वीट किए जाने के वक्त केआरके इस हैंडल का इस्तेमाल नहीं कर रहे थे. केआरके की ओर से उच्च न्यायालय में अपने बचाव में यह भी कहा गया था कि उन्होंने बाजपेयी या भारतीय फिल्म जगत के किसी भी अन्य कलाकार का अपमान करने के इरादे भी कभी कोई टिप्पणी नहीं की है.