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साहित्य, शिक्षा और व्यवसाय की त्रिवेणी से युक्त रचनाकार है कुमार बिहारी पांडेय - श्रीनारद मीडिया

साहित्य, शिक्षा और व्यवसाय की त्रिवेणी से युक्त रचनाकार है कुमार बिहारी पांडेय

साहित्य, शिक्षा और व्यवसाय की त्रिवेणी से युक्त रचनाकार है कुमार बिहारी पांडेय

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श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्क :


प्रकाशित कृतियां: हरि अनन्त हरि कथा अनंता, नारायणी, फुलवारी, कभी आंखे मेरी नम नहीं, पैट्रिशिया डिक, अनुभवकों का आकास, अनुभूतियां आदि।

सम्मान: आईकॉन ऑफ मुम्बई, टाइम्स ऑफ इंडिया के अलावा सैकड़ों सम्मान और प्रतिष्ठा पुरस्कार उन्हें प्राप्त हो चुके हैं। परंतु उनका कहना है कि मैं तो सेवक और कर्मी हूं। मेरे लिए कर्म ही सर्वोच्च है। यह ईश्वर का न्यायालय है।

कुमार बिहारी पांडेय एक सुप्रसिद्ध लेखक, विचारक, शिक्षाविद व सफल उद्योगपति है। वे हिन्दी साहित्य में अपने आप में स्वयं एक विधा के जन्मदाता है। उन्होंने अपने साहित्य में अपनी अनुभूतियों और अनुभव को एक किरदार के रूप में साझा किया है। उनका कहना है कि मैं जिस जगह में जाता हूं, उस संस्थान के सफल किरदार को मैं देखता हूं, समझने का कोशिश करता हूं और उस किरदार के रूप में मैं भी एक किरदार बनकर अपनी कृति में उसी किरदार को उतार कर अपने साहित्य की रचना करता हूं। उनका यह भी कहना है कि मेरा पूरा साहित्य मेरे व्यक्तिगत अनुभव का लेखा-जोखा और भोगा हुअ सत्य है।

वह यह भी कहते हैं कि मैने अपने जीवन में जो अनुभव किया है, मां नारायणी से प्राप्त शक्ति और बुद्धि से अपने साहित्य की रचना करता हूं।
मेरा साहित्य मेरा अनुभव संसार है। उनका कहना है कि मेरी नजर में साहित्य वह भूमि है, जहां से प्रगति का पथ प्रशस्त होता है। यदि साहित्य व्यक्ति या सामाज को कुछ भी नया न दे तो वह साहित्य किस काम का घ् एक जगह उन्होंने लिखा है कि –
न हारा हूं न हारूंगा कटिली राह पर चलकर, कठिन है रास्ता लेकिन, इरादों को लगे हैं पर, अटल मेरे इरादों को जरा सम्मान कर जाते।

कुमार बिहारी पांडेय एक ऐसे साहित्यिक मनीषी है, जिन्होंने साहित्य की रचना के साथ-साथ शिक्षा का भी एक बड़ा संसार निर्मित किया है। आज उनके द्वारा अपनी मातृभूमि में स्थापित जे0 आर0 कान्वेंट विद्यालय की चर्चा होती है और जॉन ईलियट के नाम से उन्होंने आईटीआई की भी स्थापना की है। कुमार बिहारी पांडेय का कहना है कि किसी से भी मुस्कुरा कर बोले साहेब। यह महामंत्र हैं, दुनिया की मोहब्बत जितने के लिए। प्रेम के लिए तो कहा गया है प्रेरम रेश्मी डोर है, इससे चाहे जिसे बांध ले। हे मानव तुम मानव बनकर प्रेम सुधा बरसाओं, निर्विकार चंदन बन महको सबको गले लगाओं।

कुमार बिहारी पांडेय
जन्म तिथि – 7 मार्च 1936
जन्मस्थान – दोन, सीवान बिहार

पिता- राम सेवक पांडेय,

माता  – जूना देवी 

आलेख: डॉ दयानन्द तिवारी

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