प्रत्येक वर्ष 7 मार्च को कुमार बिहारी पाण्डेय की जयंती एवं विद्यालय स्थापना दिवस मनाया जाएगा-
सतीश कुमार बिहारी पाण्डेय।
कर्मयोगी कुमार बिहार पाण्डेय-1936-2023।
कुमार बिहारी पाण्डेय का मतलब है शौर्य,सृजन, सहनशीलता, समन्वय, सद्भावना, समयबोध और संवेदनशीलता।
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
सीवान जिले के दरौली प्रखंड अंतर्गत दोण ग्राम में जे. आर. कान्वेंट विद्यालय की स्थापना दिवस एवं इसके संस्थापक स्वर्गीय कुमार बिहारी पाण्डेय की 87 वीं जयंती बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।
कार्यक्रम में अतिथि के तौर पर दरौली प्रखंड के पूर्व प्रखंड विकास पदाधिकारी व सेवानिवृत्त सचिव अजय कुमार द्विवेदी ने कहा कि कुमार बिहारी पाण्डेय हार मानने वाले व्यक्ति नहीं थे। 2011 में इस विद्यालय की स्थापना के समय उन्होंने जो सपने देखे थे वह आज पूरा होता दिख रहा है। स्कूल स्थापित करने से पहले उन्होंने जॉन इलियट प्राइवेट आईटीआई की स्थापना करके इस क्षेत्र में व्यवसायिक शिक्षा का श्रीगणेश किया। इस धरती पर जहां कुछ लोग भोजपुरी नहीं बोल पाते थे आज इस विद्यालय के बच्चे निर्वाध रूप से अंग्रेजी में नाटक खेल रहे हैं। यह व्यक्तित्व के विकास के लिए एक मील का पत्थर है।
सीवान में लक्ष्मी नर्सिंग होम के स्वामी डॉ.राजन कल्याण सिंह ने कहा कि बाबा के प्रयासों से इस क्षेत्र में आर्थिक और बौद्धिक विकास की धारा बह रही है। बाबा जैसे व्यक्तित्व हम जैसे लोगों के लिए सदैव प्रेरणास्रोत रहेंगे।
अपने सारगर्भित उद्बोधन में केंद्रीय विद्यालय पटना में कार्यरत शिक्षक व सीवान के लाल पुष्पेंद्र पाठक ने कहा कि कुमार बिहारी पाण्डेय जैसा गुरु कभी नहीं मरता। वह हमारे बीच सदैव रहेंगे। कुमार बिहारी पाण्डेय सचमुच में चाणक्य थे और उन्होंने न जाने कितने चंद्रगुप्तों को पैदा किया है। उनकी प्रत्येक विषय पर मौलिक चिंतन थी और मैं यह कह सकता हूं कुमार बिहारी पाण्डेय का मतलब है शौर्य,सृजन, सहनशीलता, समन्वय, सद्भावना, समयबोध और संवेदनशीलता। वह समाधान प्रज्ञा व्यक्ति थे, कर्म का सिद्धांत उनमें कूट-कूट कर भरा हुआ था।अंतर्ज्ञान और चेतना के वह पर्याय थे। आज हम सभी ने मिलकर इस मनीषी के लिए जो दीप प्रज्वलित किया है वह शाश्वत,अक्षुण है। हम सभी का कर्तव्य है कि उसकी जोत को जगाए रखें।
“फूल से तुम मुस्कुराना सीख लो
राह कांटो पर बनाना सीख लो
जिन्दगी का क्या भरोसा दोस्तों
मौत से आँखे लड़ना सीख लो”।
कुमार बिहारी पाण्डेय।
वहीं विद्यालय के निदेशक सतीश कुमार बिहारी पाण्डेय ने कहा कि पापा का यह ध्येय था कि जब एक नौ वर्ष का लड़का बिना-पढ़े लिखे, यहां तक पहुंच सकता है और मुंबई में इतना कुछ कर सकता है तो इस क्षेत्र का एक पढ़ा-लिखा लड़का पूरी दुनिया में कामयाब व्यक्ति हो सकता है यही कारण है कि उन्होंने अपनी कर्मभूमि से दूर अपनी जन्मभूमि में इस विद्यालय की नींव डाली और नगर की सारी सुविधायें गांव में उतारने की कोशिश की और वह आज फलीभूत होता दिख रहा है।
वे कहा करते थे कि “जिंदगी को काबिल बनाने के लिए मेहनत व ईमानदारी की जरूरत है साहब
लोग आपके कद्रदान बन जाएंगे”।
आज उनकी 87 वीं जयंती है और मैं यह घोषणा करता हूं कि अब प्रत्येक वर्ष 7 मार्च को कुमार बिहारी पाण्डेय की जयंती एवं जे.आर. कॉन्वेंट विद्यालय का स्थापना दिवस मनाया जाएगा। आप सभी विद्यालय की आग्रह पर यहां पधारे आप सभी का स्वागत है।
वहीं इससे पहले सर्वप्रथम दीप प्रज्वलित करके कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया, तत्पश्चात समारोह में आए सभी गणमान्य अतिथियों को शॉल, स्मृति तैलचित्र व पुस्तक देकर भेंट किया गया।
विद्यालय के सभागार में बच्चों ने रंगारंग नृत्य,गायन प्रस्तुत कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। बच्चों ने अपनी समग्र विकास की प्रस्तुति देकर अपनी अपने व्यक्तित्व का परिचय दिया।जिसकी सभी ने एक स्वर से सराहना की ।
विद्यालय के प्रबंधक अनीश पाण्डेय ने पूरे कार्यक्रम का आयोजन किया था।
विद्यालय के पूर्व शिक्षक शत्रुधन पाण्डेय ने अपनी कविता से स्वर्गीय कुमार बिहारी पाण्डेय को श्रद्धा सुमन अर्पित किया।
“साहित्य के प्रखर पुरोधा आत्मनिर्भरता, इमानदारी, मेहनत की पहचान हो
कर्मयोगी के पुरोधा ईमानदारी के लाल थे
धन्य है इस सीवान की भूमि जहां आपने जन्म लिया
अनुशासन, संस्कार को अपने जीवन का लक्ष्य बनाया।”
कार्यक्रम को शिक्षाविद गणेश दत्त पाठक, राजेश पाण्डेय ने भी संबोधित किया। समारोह में मुख्य रूप से राजकिशोर भारती,दरौली अंचलाधिकारी,अनिल सिंह सहित सैकड़ो गणमान्य एवं छात्र-छात्रा उपस्थित रहे।
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