बिहार में सबसे अधिक कुर्मी जाति के पास गवर्नमेंट जॉब,क्यों?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

नीतीश सरकार ने बिहार में जातीय गणना पर आधारित विभिन्न जातियों की आर्थिक शैक्षणिक स्थिति का आंकड़ा जारी कर दिया है. बिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को हंगामे के बीच विधानसभा में रिपोर्ट पेश किया गया. इसकी कॉपी सभी सदस्यों के बीच बांटी गई.

इसके साथ ही यह स्पष्ट हो गया है कि किस जाति की कितनी आबादी आर्थिक और शैक्षणिक रूप सेकितना सबल या कमजोर है. सरकार द्वारा जारी आर्थिक सर्वे में बताया गया है कि किस जाति के लोगों के पास सरकारी नौकरी में हिस्सेदारी कितनी है. सरकार की तरफ से सभी जातियों के अलग-अलग आंकड़े जारी किए गए हैं. सरकार ने पिछड़ा वर्ग में सरकारी नौकरी की स्थिति की जानकारी दी है.

ओबीसी में यादव से दोगुना सरकारी नौकरी कुर्मी को

बिहार में सरकारी नौकरी परिवारों की आय का सबसे विश्वसनीय जरिया है. यहां अभी भी सरकारी नौकरी का क्रेज है. रिपोर्ट में बताया गया है कि किस जाति या वर्ग के कितने लोग सरकारी नौकरी में हैं, जिनकी सामाजिक स्थिति भी अच्छी है. पिछड़ा वर्ग की बात करें तो कुर्मी जाति का बोलबाला है. कम संख्या कम है,

लेकिन प्रतिशत के हिसाब से कुर्मी सबसे ऊपर हैं. आबादी ज्यादा होने से सरकारी नौकरी वाले यादवों की संख्या सबसे ज्यादा है लेकिन, कुर्मी जाति का प्रतिशत यादवों का दोगुना है. यादव जाति की सरकारी नौकरी में भागीदारी 1.55 फीसदी है तो कुर्मी की 3.11 फीसदी है. कुल पिछड़ी जातियों में 6 लाख 21 हजार 481 लोग सरकारी नौकरी में हैं जिसका प्रतिशत 1.75 फीसदी है. एक नजर में पिछड़ा वर्ग में सरकारी नौकरी की स्थिति इस प्रकार है.

यादवों में 1.55 फीसदी लोग ही सरकारी नौकरियों में

सरकार की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक बिहार मे यादवों में 2 लाख 89 हजार 538, 1.55 फीसदी लोग सरकारी नौकरियों में हैं. वहीं कुशवाहा जाति के 1 लाख 12 हजार 106, 2.04 फीसदी, कुर्मी जाति के 1 लाख 17 हजार 171, 3.11 फीसदी लोग सरकारी नौकरियों में हैं. वहीं पिछड़ा वर्ग में शामिल बनिया जाति के 59 हजार 286, 1.96 फीसदी, सुरजापुरी मुस्लिम के 15 हजार 359, 0.63 फीसदी, भांट जाति के 5 हजार 114, 4.21 फीसदी, मलिक मुस्लिम के 1 हजार 552, 1.39 फीसदी लोग सरकारी नौकरी करते हैं. पिछड़ी जाति के लोगों की सरकारी नौकरियों में कुल हिस्सेदारी 6 लाख 21 हजार 481, 1.75 फीसदी है.

सवर्णों में सात जातियां, कायस्थ सबसे आगे

इधर, बिहार सरकार ने जिन जातियों को सवर्णों की जमात में शामिल किया है, उसमें हिन्दू और मुसलमान धर्म की सात जातियां शामिल हैं. ऐसे में सरकार की रिपोर्ट कह रही है कि सवर्णों में सबसे ज्यादा नौकरी कायस्थ जाति के लोगों के पास है. बिहार सरकार की जातीय जनगणना की रिपोर्ट के मुताबिक सवर्णों की श्रेणी में सात जातियां शामिल हैं.

इनमें हिन्दू धर्म की चार जातियां ब्राह्मण, भूमिहार, राजपूत और कायस्थ के अलावा मुसलमान धर्म के शेख, सैयद और पठान शामिल हैं. ऐसे में सरकार ने इन वर्गों की आर्थिक स्थिति की रिपोर्ट पेश की है. जिसमें यह बतलाया गया है कि बिहार में सामान्य वर्ग को कितनी सरकारी नौकरी है. सरकार की रिपोर्ट कह रही है कि सामान्य वर्ग यानि सवर्णों में सबसे ज्यादा नौकरी कायस्थ जाति के लोगों के पास है.

सरकार के मुताबिक बिहार में 6.68 फीसदी कायस्थ सरकारी नौकरी में हैं. उनके कुल परिवारों की संख्या 52 हजार 490 है. हिन्दू सवर्णों में नौकरी के मामले में भूमिहार दूसरे नंबर पर हैं. सरकार के मुताबिक 4.99 फीसदी भूमिहार परिवार सरकारी नौकरी में हैं. बिहार में भूमिहार जाति की संख्या जो सरकारी नौकरी में हैं वो 1 लाख 87 हजार 256 है.

मुसलमानों में सबसे अधिक नौकरी शेख के पास

वहीं, सरकार के मुताबिक बिहार में 3.81 फीसदी राजपूत सरकारी नौकरी में हैं. राजपूत जाति का सरकारी नौकरी में हिस्सेदारी 1 लाख 71 हजार 933 है. उसके बाद सरकार ने मुसलमानों में सवर्ण माने जाने वाली तीन जातियों शेख, पठान और सैयद का भी आर्थिक लेखा जोखा दिया है. सरकार के मुताबिक शेख जाति के 0.79 परसेंट लोग सरकारी नौकरी में हैं. शेख जाति के कुल 39 हजार 595 परिवार सरकारी नौकरी में हैं.

वहीं, पठान जाति के 1.07 परसेंट परिवार सरकारी नौकरी में हैं. इस परिवार की संख्या जो सरकारी नौकरी में हैं वो 10 हजार 517 है। इसके साथ ही सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक मुसलमानों के सैयद जाति के2.42 परसेंट परिवार सरकारी नौकरी में हैं. इसके आलावा सैयद जाति के 7 हजार 231 लोग सरकारी नौकरी में हैं.

बिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन जातीय गणना से जुड़ी रिपोर्ट पेश की गई है. इसमें शिक्षा से जुड़े आंकड़े सामने आए है. इसके अनुसार राज्य में सात प्रतिशत से अधिक लोग ग्रेजुएट है. सात प्रतिशत लोग यहां स्नातक तक की पढ़ाई करते है. वहीं, 22.67 प्रतिशत लोगों को एक – पांच तक की शिक्षा मिलती है. 14.33 प्रतिशत लोग छह से आठवीं तक की शिक्षा ग्रहण करते हैं. जबकि, 9.19 प्रतिशत को 11 वीं और 12वीं तक की शिक्षा मिलती है. बिहार विधानमंडल में जाति गणना की आर्थिक एवं सामाजिक आंकड़े से संबंधित रिपोर्ट मंगलवार पेश की गई. सोमवार को शीतकालीन सत्र शुरू किया गया. पहले दिन की बैठक के बाद कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में सहमति बनी थी.

जाति गणना की रिपोर्ट हुई पेश

जाति गणना की आर्थिक एवं सामाजिक आंकड़े से संबंधित रिपोर्ट मंगलवार को बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों में पेश होने की बात सोमवार को कही गई थी. इसके बाद इसे पेश किया गया है. मंगलवार को दोनों सदनों में भोजनावकाश के पहले जाति गणना की रिपोर्ट पेश की गई. संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने इस माममे में जानकारी भी दी थी. उन्होंने बताया था कि सरकार दोनों सदनों में रिपोर्ट पटल पर रखेगी व बहस भी होगी. मंगलवार को रिपोर्ट सरकार की ओर से पेश की गई.

विधायकों को बांटी गई जातीय गणना की कॉपी

इस रिपोर्ट में शिक्षा के अलावा गरीबी पर भी बात कही गई है. इसके अनुसार राज्य में 24.89 % राजपूत परिवार के लोग गरीब की श्रेणी में आते है. जबकि, सामान्य वर्ग में मात्र 25.9 प्रतिशत लोग गरीब है. सदन में आज विधायकों को जातीय गणना की कॉपी बांटी गई. विपक्ष के विधायकों ने सदन की कार्यवाही चलने के दौरान जमकर हंगामा किया. विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन आंगनवाड़ी सेविकाओं ने भी प्रदर्शन किया है.

पुलिस ने इन्हें रोका और इन पर वाटर कैनन का प्रयोग किया. इस दौरान एक सेविका बेहोश भी हो गई. पुलिस सेविकाओं को गर्दनीबाग धरना स्थल में भेज रही थी. क्योंकि विधानसभा के बाहर इन्हें प्रदर्शन की अनुमति नहीं थी. मालूम हो कि राज्य में जातियों की कुल संख्या 215 है. इनमें बाहर अस्थायी प्रवास में रहने वाले लोगों की संख्या 53,72,022 है.

 

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