सरसों की फसल पर लाही का प्रकोप, किसान परेशान
50 से 80 फीसदी तक फसल के नुकसान की आशंका
लाही के बढ़ते प्रकोप से प्रखंड के किसानों की बढ़ी चिंता
श्रीनारद मीडिया, सुवाष शर्मा, सीवान (बिहार):
सरसों की फसल पर लाही का प्रकोप बढ़ गया है। इससे किसान परेशान हैं। मौसम में लगातार उतार-चढ़ाव के कारण यह स्थिति बनी है। लाही को माहू, एफीड व चेफ कीट के नाम से भी जाना जाता है। यह कीट काफी छोटा होता है।
इसकी शिशु अवस्था ही सबसे अधिक हानिकारक होती है। यह कीट सरसों फसल की कोमल कलियों, पुष्पों व विकसित हो रही फलियां के अंदर सूड़ गड़ाकर रस चूस लेते हैं। इससे पौधों को मिलने वाला पोषक तत्व अवरुद्ध हो जाता है। इससे कलियां विकसित नहीं हो पाती।
इसके चलते उपज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। यह कीट एक स्थान पर यानी एक सेंटीमीटर लंबाई में एक सौ से पांच सौ तक होते हैं। प्रकोप बढ़ने पर 50 से 80 फीसदी तक फसल के नुकसान की संभावना रहती है। प्रखंड क्षेत्र में इस बार सरसों की व्यापक स्तर पर खेती की गई है। जब भी पूरवा हवा का प्रभाव बढ़ता है, लाही फसलों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है। इसको लेकर किसानों में निराशा छाई हुई है।
ठंड और शीतलहर का असर दलहनी फसल चना, मटर, अरहर व मसूर पर भी दिख रहा है। ठंड की वजह से इन फसलों में कम फूल आये हैं। जिसके कारण बाजारों में इनकी कीमत काफी बढ़ गई है। जहां मटर की फसल 1560 हेक्टेयर में बोई गई है, वहीं 1150 चना की फसल लगाई गई है। खरीफ सीजन में बोई गई अरहर रबी सीजन में तैयार होती है।
पहले बारिश कम होने और कीड़े-मकोड़े के प्रकोप होने से इसपर असर हुआ था। अब ठंड के कारण फूल व फलियां कम दिख रहे हैं। मटर, चना और मसूर में कम फूल लगने से किसान चिंतित हैं। मटर का उत्पादन कम होने से बाजारों में इसकी कीमत काफी है।