मेहसी परिक्षेत्र में करीब साढ़े ग्यारह हजार हेक्टर में फैले लीची के बागों के लाखो टन लीची के पूरी तरह नष्ट हो जाने की संभावना है।
श्रीनारद मीडिया, प्रतीक कुमार सिंह, मेहसी, पूर्वी चंपारण बिहार
मेहसी(पूर्वी चम्पारण)भारत के सबसे बड़े लीची उत्पादन परिक्षेत्र मेहसी में वर्ष 2021 लीची के फसल का चक्र शुरू हो गया है । शाखों में मंजर निकलना भी आरम्भ हो गया है। मंज़र निकलते ही के लिची के डाली पर लाल रंग के किट का आक्रमण देख किसानों का होश उड़ गया है। अभी लिची के डंठलों में अभी तक दाना भी नही निकला हैं । इन कीटाणुओं के हमला से लग रहा है कि लीची खाने की बात दिल्ली दूर है। किसान सर पीट रहे हैं। *इस वर्ष फ़रवरी महीना से ही कीटाणुओं का हमला शुरू हो गया है। इस परिक्षेत्र के किसान और व्यवसायी सहम गए हैं। लाल रंग का कीटाणु अभी तक लीची फलने वाले करीब 10 प्रतिशत डंठलों और मंजरों को चट कर चुका है।*
अब तक कृषी विभाग या लिची अनुसंधान केंद्र लिची बागीचों में लाल रंग के किट से बचाव की कोई प्रक्रिया शुरू नही की है। अगर यही हाल रहा तो लीची टूटने के समय बगीचा खाली हो जाएगा। अगर अभी से सामूहिक तौर पर प्रतिरोधात्मक करवाई की जाती है तो लिची के फसल को बचाया जा सकता है। लीची अनुसंधान केंद्र पूसा या कृषि विज्ञान केंद्र पिपराकोठी की टीम का अबतक कोई पहल सामने नज़र नही आ रहा है। अगर इस वर्ष भी समय पर कोई ठोस कदम नही उठाया गया तो इस परिक्षेत्र के किसान बर्बाद हो जाएंगे और आत्म हत्या को विवश हो जाएंगे जिनके जीवकोपार्जन का साधन केवल लिची उत्पादन है। ज्ञातब्य हो कि पिछले 5 वर्षो से लीची के फसल पर कीटाणुओं का बड़ा हमला हो रहा है । किसान लतिफुर , शाहिद रज़ा,इमाम हसन कुरैशी,अबुल कलाम आज़ाद, मुखिया सतेंद्र सिंह, संजय सिंह, भगवान सिंह, सुरेंद्र प्रसाद कुशवाहा,नईमुल हक़ , रिज़वान अहमद सहित दर्जनों किसानों ने अपनी व्यथा सुनाई। मेहसी परिक्षेत्र को इस हालत से बचना किसानों के बस की चीज नही है। इस प्रकोप को भी आपदा घोषित कर किसानों को मुआवजा देने प्रावधान होना चाहिये।
यहाँ बतादें कि मेहसी परिक्षेत्र में करीब साढ़े ग्यारह हजार हेक्टर में फैले लीची के बागों के लाखो टन लीची के पूरी तरह नष्ट हो जाने की संभावना है। इससे किसानों का करीब 100 करोड़ से ज्यादा रुपए का नुकसान होने की संभावना है। यहाँ के किसान लिची के आमदनी से शादी-विवाह, पढ़ाई-लिखाई सहित सभी बड़े काम को अंजाम देते है। पुनः इस वर्ष भी ऐसा हुआ तो किसान भुखमरी के कारण फुटपाथ पर जाने व आत्महत्या करने को विवश हो जाएंगे ।