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लालबहादुर शास्‍त्री बैलगाड़ी से प्रचार कर इलाहाबाद के विधायक बने थे. - श्रीनारद मीडिया

लालबहादुर शास्‍त्री बैलगाड़ी से प्रचार कर इलाहाबाद के विधायक बने थे.

लालबहादुर शास्‍त्री बैलगाड़ी से प्रचार कर इलाहाबाद के विधायक बने थे.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की आज 56वीं पुण्यतिथि है। उनकी सादगी आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है।

पहले चुनाव में प्रयागराज के सोरांव में लाल बहादुर शास्त्री के सामने सब औंधे मुंह गिर गए थे। 1951 के इस चुनाव में उन्हें 70 फीसद मत मिला तो दूसरे नंबर पर रहने वाले लाल बहादुर सिंह को महज 10 प्रतिशत मतों से संतोष करना पड़ा। पूरे चुनाव में दिलचस्प यह था कि वह बैलगाड़ी और पैदल ही पूरा प्रचार करते थे। पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री का आज ही के दिन 1966 में ताशकंद में निधन हुआ था।

राजनीतिक करियर प्रयागराज से ही शुरू हुआ था

शास्‍त्री जी का प्रयागराज शहर (पूर्व में इलाहाबाद) से अटूट लगाव था। उनके राजनीतिक करियर को यहीं से रफ्तार मिली थी। यह संयोग है कि इस समय उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है। शास्त्री जी भी पहली बार सोरांव नार्थ और फूलपुर वेस्ट सीट से विधानसभा का चुनाव लड़े थे। मौजूदा समय में इस सीट को सोरांव विधान सभा के नाम से जाना जाता है। इस सीट पर जीत के बाद वह पं. वल्लभ भाई पंत की सरकार में मंत्री भी बने।

लालबहादुर शास्‍त्री को 70 प्रतिशत मत मिले थे

वरिष्ठ कांग्रेस नेता किशोर वार्ष्‍णेय ने बताया कि शास्त्री जी का वह चुनाव बेहद ही दिलचस्प था। वे सोरांव बैलगाड़ी से चुनाव प्रचार करने के लिए गए थे। तब सोरांव कस्बा छोटा सा गांव था, यहां पैदल ही लोगों से उन्होंने मुलाकात की थी। उन्हें देखने और मिलने के लिए लोगों में अलग ही उत्साह होता था। लालबहादुर शास्त्री ने इस चुनाव में 20930 वोट प्राप्त किया था और लगभग 70 प्रतिशत मत पाकर वह विजयी हुए थे। उन्होंने दूसरे स्थान पर रहे किसान मजदूर प्रजा पार्टी के लाल बहादुर सिंह को 17740 वोटों से हराया था। उन्हें कुल वैध मतों का 10.56 प्रतिशत वोट मिला था।

पूर्व प्रधानमंत्री के अनमोल विचारों से उनके संघर्ष, दृढ़ निश्चय और बुलंद इरादों की झलक साफ नजर आती है।

  • अनुशासन और एकजुट होकर काम करना राष्ट्र के लिए ताकत का असली स्रोत है।
  • हमें शांति के लिए बहादुरी से लड़ना चाहिए जैसे हम युद्ध में लड़े थे।
  • यह अत्यंत खेद की बात है कि आज परमाणु ऊर्जा का उपयोग परमाणु हथियार बनाने के लिए किया जा रहा है।
  • शासन का मूल विचार, समाज को एक साथ रखना है ताकि यह विकसित हो सके और कुछ लक्ष्यों की ओर अग्रसर हो सके।
  • सच्चा लोकतंत्र या जनता का स्वराज असत्य और हिंसक साधनों से कभी नहीं आ सकता!
  • मैं उतना सरल नहीं हू जितना मैं दिखता हूं।
  • हम न केवल अपने लिए बल्कि पूरी दुनिया के लोगों के लिए शांति और शांतिपूर्ण विकास में विश्वास रखते हैं।
  • हमारे लिए हमारी ताकत और स्थिरता के लिए हमारे लोगों की एकता और एकजुटता के निर्माण के कार्य से अधिक महत्वपूर्ण कोई नहीं है।
  • स्वतंत्रता की रक्षा करना केवल सैनिकों का कार्य नहीं है। पूरे देश को मजबूत होना है।
  • आर्थिक मुद्दे हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं और यह सबसे महत्वपूर्ण है कि हमें अपने सबसे बड़े दुश्मनों – गरीबी, बेरोजगारी से लड़ना चाहिए।
  • विज्ञान और वैज्ञानिक कार्यों में सफलता असीमित या बड़े संसाधनों के प्रावधान से नहीं बल्कि समस्याओं और उद्देश्यों के बुद्धिमान और सावधानीपूर्वक चयन से मिलती है। सबसे बढ़कर, जो आवश्यक है वह है कड़ी मेहनत और समर्पण।
  • देश के प्रति वह निष्ठा अन्य सभी निष्ठाओं से आगे आती है। और यह पूर्ण निष्ठा है क्योंकि कोई इसे प्राप्त करने के संदर्भ में नहीं तौल सकता है।
  • अब हमें शांति के लिए उसी साहस और दृढ़ संकल्प के साथ लड़ना है, जैसा कि हमने आक्रमण के खिलाफ लड़ा था।
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  • जय जवान, जय किसान ‘ का नारा देने वाले लाल बहादुर शास्त्री की पुण्यतिथि आज.

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