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 सीवान के लाल हरिनारायणचारी मिश्र  इंदौर के बने पुलिस कमिश्‍नर  - श्रीनारद मीडिया

 सीवान के लाल हरिनारायणचारी मिश्र  इंदौर के बने पुलिस कमिश्‍नर 

 सीवान के लाल हरिनारायणचारी मिश्र  इंदौर के बने पुलिस कमिश्‍नर

मकरंद देउस्कर को भोपाल  का बनाया गया कमिश्‍नर

श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्‍क:

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मध्य प्रदेश  के शिवराज सिंह चौहान सरकार ने मकरंद देउस्कर को भोपाल और हरिनारायणचारी मिश्र को इंदौर का पुलिस कमिश्नर बनाने का फैसला कर लिया है। दोनों ही शहरों में कमिश्नरेट सिस्टम लागू करने का नोटिफिकेशन गुरुवार को जारी हुआ था।

मकरंद देउस्कर 1997 बैच के IPS अफसर हैं। हाल ही में मुख्यमंत्री के OSD के तौर पर उनका ट्रांसफर हुआ था। उन्हें सीएम के सबसे भरोसेमंद अफसरों में से एक माना जाता है।

इंदौर पुलिस कमिश्‍नर हरिनारायणचारी मिश्रा

वहीं, हरिनारायणचारी मिश्रा 2003 बैच के IPS अफसर हैं। मिश्रा इस समय इंदौर IG हैं। मिश्रा इससे पहले ग्वालियर, जबलपुर, बालाघाट, खंडवा में SP रह चुके हैं। इंदौर ASP, महू SDOP और राज्यपाल के ADC भी रहे हैं। इधर, मौजूदा वक्त तक भोपाल के ADG रहे साई मनोहर का दिल्ली ट्रांसफर कर दिया गया। उन्हें मध्यप्रदेश भवन में OSD बनाया गया है। इंदौर में यह पद नहीं था।

खबर लिखे जाने तक भोपाल और इंदौर कमिश्नरी सिस्टम से जुडे 12 अफसरों की पोस्टिग हुई है। इसके बाद एडीशनल DCP और असिस्टैंट पुलिस कमिश्नर के पोस्टिंग आदेश भी देर शाम तक हो जाएंगे। गौरतलब है कि पुलिस कमिश्नरी में

भोपाल पुलिस कमिश्‍नर मकरंद देउस्कर 

जाने क्‍या है भोपाल-इंदौर में पुलिस कमिश्नर सिस्टम

चार जोन में बंटा शहर, कई मामलों में कलेक्टर के बराबर पावर

जानिए और क्या-क्या बदला आज से

मध्यप्रदेश सरकार ने भोपाल-इंदौर में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू किया है। गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि इससे स्मार्ट पुलिसिंग के साथ कानून व्यवस्था सुदृढ़ होगी। ऐसे में आम लोगों के मन में सवाल उठता है कि पुलिस कमिश्नर सिस्टम क्या है? यह कैसे काम करता है? इसके लागू होने से पुलिस को कौन सी शक्तियां मिल जाती हैं। इससे जुड़ी हर बात जानिए…

पुलिस को ये अधिकार मिलेंगे

पुलिस एक्ट: मेट्रोपोलिटिन में पुलिस आयुक्त के अधीन पुलिस का प्रशासन रहेगा। वे डीजीपी के नियंत्रण व परिवेक्षण में रहेंगे।

बंदी अधिनियम: जेल में बंद कैदियों को पैरोल और आपातकाल में पैरोल बोर्ड की अनुशंसा पर सशर्त छोड़ा जाएगा।

विष अधिनियम: गैर कानूनी जहर या तेजाब रखने अथवा बेचने वालों की तलाश और उनसे जब्ती की जाएगी।

अनैतिक व्यापार अधिनियम: वेश्यावृत्ति के खिलाफ कार्रवाई की जा सकेगी। इस पेशे में धकेली गईं महिलाओं को मुक्त कराया जा सकेगा। संरक्षण गृह में भेजा जा सकेगा।

कानून के खिलाफ एक्टिविटी: केंद्र सरकार द्वारा प्रतिबंधित संगठनों की गैरकानूनी गतिविधियों को प्रतिबंधित किया जा सकेगा।

मोटरयान अधिनियम: वाहनों की पार्किंग अथवा उनके रुकने के स्थान अधिकारियों से समन्वय कर निर्धारित किए जा सकेंगे। वाहनों की गति सीमा निर्धारित होगी।

मप्र सुरक्षा अधिनियम: गुंडे बदमाशों को और ऐसे अपराधी तत्वों के गैंग व आदतन अपराधियों को जिलाबदर किया जा सकेगा।

शासकीय गुप्त बात अधिनियम: सरकारी गोपनीय दस्तावेज रखने और इस अधिनियम के विरुद्ध की गई गतिविधियों पर कार्रवाई की जा सकेगी।

भोपाल : इस तरह चार जोन में बांटे

पुलिस उपायुक्त जोन- 1
टीटी नगर, कमला नगर, रातीबड़, जहांगीराबाद, ऐशबाग, स्टेशन बजरिया, हबीबगंज, शाहपुरा और अशोका गार्डन।

पुलिस उपायुक्त जोन- 2
गोविंदपुरा, पिपलानी, अवधपुरी, एमपी नगर, अरेरा हिल्स, अयोध्या नगर, मिसरोद, कटारा हिल्स और बागसेवनिया।

पुलिस उपायुक्त जोन- 3
कोतवाली, तलैया, श्यामला हिल्स, शाहजहांनाबाद, टीला जमालपुरा, कोहेफिजा, हनुमानगंज, गौतम नगर और मंगलवारा।

पुलिस उपायुक्त जोन- 4
निशातपुरा, छोला मंदिर, गांधी नगर, बैरागढ़, खजूरी सड़क, चूनाभट्‌टी और कोलार।

भोपाल के ये अन्य थाने SP ग्रामीण के दायरे में

बैरसिया, गुनगा, नजीराबाद, ईटखेड़ी, सूखी सेवनिया, बिलखिरिया और परवलिया सड़क।

 

इंदौर : 36 थाने शामिल, जोनवाइज जानकारी जल्द अपडेट होगी
कोतवाली, एमजी रोड, तुकोगंज, संयोगितागंज, छोटी ग्वालटोली, पलासिया, विजय नगर, लसूड़िया, एमआईजी, खजराना, कनाडिया, तिलकनगर, परदेशीपुरा, हीरानगर, आजाद नगर,
तेजाजी नगर, बाणगंगा, रावजी बाजार, राऊ, जूनी इंदौर, सराफा, भवंरकुआं, पंढरीनाथ, मल्हारगंज, छतरीपुरा, द्वारकापुरी, चंदन नगर, सदर बाजार, एरोड्रम,राजेंद्र नगर, अन्नपूर्णा नगर, गांधीनगर, महिला थाना, अजाक थाना, ट्रैफिक थाना व क्राइम ब्रांच। अभी इन थानों को किस तरह जोन वाइज बांटा जा रहा है, इसकी जानकारी मिलना शेष है।
इंदौर के ये थाने SP ग्रामीण दायरे में – महू, मानपुर, किशनगंज, बड़गौंदा, खुड़ैल, सांवेर, चंद्रावतीगंज, हातौद, क्षिप्रा, गौतमपुरा, देपालपुर, सिमरौल और बेटमा।

क्या है कमिश्नर सिस्टम?
आजादी से पहले अंग्रेजों के दौर में कमिश्नर प्रणाली लागू थी। इसे आजादी के बाद भारतीय पुलिस ने अपनाया। इस वक्त यह व्यवस्था देश के 72 से अधिक महानगरों में लागू है। भारतीय पुलिस अधिनियम, 1861 के भाग 4 के तहत जिला अधिकारी के पास पुलिस पर नियंत्रण करने के कुछ अधिकार होते हैं। इसमें दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट को कानून और व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए कुछ शक्तियां देती है।

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