मातृभूमि के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले स्वतंत्रता सेनानी लाला हरदयाल.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
लाला हर दयाल जन्मदिवस पर विशेष
आज के ही दिन स्वतंत्रता सेनानी लाला हरदयाल का जन्म हुआ था। उनका जन्म 14 अक्टूबर 1884 को दिल्ली के एक पंजाबी परिवार में हुआ था। हरदयाल का जन्म भोली रानी और गौरी दयाल माथुर के घर हुआ था। लाला हरदयाल का निक नेम नहीं रखा गया था, बल्कि उस समय यह कायस्थ समुदाय के बीच एक उप-जाति का पद था। इतना ही नहीं अपनी जाति में वे ज्ञानी लोगों को ही पंडित कहा करते थे।
अब बात करें हरदयाल की तो वह अपने जीवन के शुरुआती दिनों में आर्य समाज से प्रभावित थे। इतना ही नहीं, उन्होंने द भीकाजी कामा, श्याम कृष्ण वर्मा और विनायक दामोदर सावर्टेक्स को जोईन किया था। उसके बाद, कार्ल मार्क्स, गुइसेपे मज्जिनी और मिखाइल बाकुनिन को बहुत प्रेरणा मिली और वे अपने रास्ते चले गए। उन्होंने कैम्ब्रिज मिशन स्कूल में पढ़ाई की और सेंट स्टीफंस कालेज, दिल्ली से संस्कृत में स्नातक की उपाधि प्राप्त की।
इसके बाद उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से संस्कृत में मास्टर डिग्री ली। लंबे समय तक पढ़ने के बाद, उन्होंने भारत के प्रसिद्ध समाचार पत्रों के लिए लेख लिखना शुरू किया। कहा जाता है कि जब ब्रिटिश सरकार ने उनके लेख देखे तो उन्होंने उन पर प्रतिबंध लगा दिया। इसके बाद, लाला लाजपत राय ने उन्हें भारत छोड़कर विदेश जाने की सलाह दी। बात मानते हुए हरदयाल सैन फ्रांसिस्को (यूएसए) वर्ष 1910 में पहुंचे। वहां उन्होंने भारत से मजदूरों को संगठित किया। इसके बाद ‘गदर’ नामक एक पत्रिका को हटा दिया गया और इसके आधार पर पार्टी का नाम ‘गदर पार्टी’ भी रखा गया।
ऐसा कहा जाता है कि ‘गदर’ पत्रिका ने भारत में अंग्रेजों द्वारा किए जा रहे अत्याचारों की ओर दुनिया का ध्यान आकर्षित किया। आपको बता दें कि 25 जून, 1913 को कई गदर पार्टी की स्थापना हुई थी और इस पार्टी की शुरुआत अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को के ‘एस्टोरिया’ में अंग्रेजी साम्राज्य को उखाड़ फेंकने के उद्देश्य से हुआ था। लाला हरदयाल इसके महासचिव थे। आपको बता दें कि लाला हरदयाल का निधन 4 मार्च 1938 को फिलाडेल्फिया में हुआ था, लेकिन उन्होंने लाखों दिलों में अपनी जगह बनाई। लाला हरदयाल ने मानवता, देशभक्ति, धर्म आदि कई विषयों को उठाया।
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