बिहार के नियोजित शिक्षकों को ले पटना हाईकोर्ट का बड़ा आदेश, टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेजों में बन सकेंगे लेक्चरर

बिहार के नियोजित शिक्षकों को ले पटना हाईकोर्ट का बड़ा आदेश,

टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेजों में बन सकेंगे लेक्चरर

श्रीनारद मीडिया‚ सेंट्रल डेस्क:

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बिहार के सरकारी स्‍कूलों में कार्यरत पंचायत एवं नियोजित शिक्षकों को पटना हाईकोर्ट   ने सुनहरा मौका दिया है। बुधवार को अजय कुमार एवं अन्य द्वारा दायर याचिका को निष्पादित करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि नियोजित शिक्षक भी बिहार के टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेजों  में व्याख्याता  बन सकते हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने सभी संबंधित याचिकाओं को निष्पादित करते हुए दो महीने के भीतर नियोजित शिक्षकों की पात्रता परीक्षा का  रिजल्ट प्रकाशित करने का आदेश दिया।

नियोजित शिक्षक बनेंगे व्‍याख्‍याता

यह आदेश न्यायाधीश अनिल कुमार उपाध्याय की एकलपीठ ने दिया। याचिकाकर्ताओं के वरीय अधिवक्ता पीके शाही ने बिहार शिक्षा सेवा संवर्ग नियमावली, 2014 और विज्ञापन संख्या 6/ 2016 के अनुरूप नियोजित शिक्षकों को व्‍याख्‍याता के पद पर नियुक्ति की लिए दलील दी थी, जिसपर कोर्ट ने सहमती जता दी।

क्‍या है पूरा मामला, जानिए

स्मरणीय है कि 2016 में सरकारी शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों में व्याख्याताओं की नियुक्ति की प्रक्रिया प्रारंभ हुई थी। शिक्षा विभाग ने बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा सीमित प्रतियोगिता परीक्षा के लिए विज्ञापन प्रकाशित किया था। इसके लिए बिहार सरकार ने विद्यालयों में न्यूनतम तीन वर्षों से कार्यरत शिक्षकों से आवेदन मांगे थे। विज्ञापन और प्राप्त आवेदनों के आधार पर आयोग द्वारा लगभग दो वर्षों बाद 2018 में लिखित परीक्षा ही ली गयी थी। मगर लिखित परीक्षा के उपरान्त शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव ने बिहार लोक सेवा आयोग को पत्र लिख कर नियोजित शिक्षकों को इस दायरे से बाहर करते हुए परिणाम घोषित करने को कह दिया। शिक्षा विभाग के इस आदेश के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गईं थीं।

प्रधान सचिव का आदेश निरस्‍त

कोर्ट ने शिक्षा विभाग के इस निर्णय को सही नहीं पाते हुए प्रधान सचिव के आदेश को निरस्त कर दिया। कोर्ट ने नियोजित शिक्षकों की पात्रता को सही ठहराया और दो महीने के अन्दर परीक्षा के परिणाम को भी प्रकाशित करने का आदेश दिया।

राज्य में 66 टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज

बताते चलें कि राज्य में 66 टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज हैं। नई शिक्षा नीति (1986) के लागू होने के बाद जिला शिक्षा प्रशिक्षण संस्‍थान अस्तित्व में आए। 1990 के दशक में लगभग सभी संस्थानों पर ताले लटक गए थे। प्रदेश में 2012 में सभी बंद पड़े शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों को खोल दिया गया और इन्ही संस्थानों से योग्य शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई थी।

 

 

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