पहलगाम में मारे गये आईबी अफसर मनीष रंजन का हुआ अंतिम संस्कार
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
पहलगाम में हुए आतंकी हमले में मारे गये झालदा निवासी आइबी अधिकारी मनीष रंजन मिश्रा गुरुवार को पंचतत्व में विलीन हो गये. झालदा की सपाही नदी श्मशान घाट पर पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया गया. हजारों लोगों ने नम आंखों से उन्हें विदाई दी. 10 साल का पुत्र रो-रोकर विचलित हो गया तो भाई विनीत मिश्रा ने मनीष रंजन को मुखाग्नि दी. इस दौरान लोगों ने जमकर भारत माता के जय और पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाये. आतंकी घटना के विरोध में गुरुवार को पूरा झालदा बंद रहा. स्थानीय लोगों ने स्वतः ही बंद रखीं दुकानें बंद रखी थी.
लोगों ने पार्थिव शरीर के साथ मुरी से झालदा तक की पैदल यात्रा
इससे पहले स्थानीय लोगों ने तिरंगा लहराते हुए मुरी से झालदा तक मनीष के पार्थिव शरीर के साथ स्काउट करते 15 किमी गये. झालदा में भी भारत माता की जय और पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाये गये. इससे पहले मनीष रंजन मिश्रा का पार्थिव शरीर गुरुवार को रांची से मुरी होते हुए दोपहर करीब 12:30 बजे उनके पैतृक निवास झालदा लाया गया. जैसे ही पार्थिव शरीर उनके घर पहुंचा, माहौल गमगीन हो गया. शहीद मनीष रंजन को अंतिम बार देखने के लिए झालदा सहित आसपास के गांवों से भारी संख्या में लोग उमड़ पड़े.
अंतिम यात्रा में बंगाल भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार समेत ये लोग हुए शामिल
शव पहुंचने के बाद घर के आंगन में मनीष रंजन के पार्थिव शरीर को रखा गया. यहां सबसे पहले राज्य प्रशासनिक अधिकारियों ने पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी. इसके बाद परिजनों और स्थानीय लोगों ने भी श्रद्धांजलि दी. इससे पूर्व जैसे ही शहीद के पिता मंगलेश मिश्रा और परिजन उनके अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे. सबकी आंखें नम हो गयी. लोगों ने ‘भारत माता की जय’ और ‘पाकिस्तान मुर्दाबाद’ के नारे लगाये. दोपहर 2:30 बजे उनके निवास स्थान से शवयात्रा प्रारंभ हुई, जो न्यू बाघमुंडी रोड होते हुए बिरसा चौक और बस स्टैंड स्थित हिंदी प्राथमिक विद्यालय परिसर पहुंची.
वहां स्थानीय नागरिकों और जनप्रतिनिधियों ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी. अंतिम यात्रा में केंद्रीय मंत्री व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार, पुरुलिया सांसद ज्योतिर्मय महतो, पूर्वविधायक नेपाल महतो, झालदा नगर के लोग शामिल हुए. बता दें कि शहीद मनीष रंजन केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन खुफिया विभाग में कार्यरत थे और वर्तमान में हैदराबाद में पदस्थापित थे. उनके पिता मंगलेश मिश्रा झालदा में एक उच्च विद्यालय से सेवानिवृत्त शिक्षक हैं.
आईबी अधिकारी मनीष रंजन के शव को लेने के लिए उनके भाई समेत परिवार के कई सदस्य और गांव के लोग रांची पहुंचे थे। मूल रूप से बिहार के सासाराम के रहने वाले मनीष रंजन का पूरा परिवार इन दिनों पश्चिम बंगाल के झालदा में रह रहा है। एयरपोर्ट पर मनीश रंजन के दोस्तों ने बताया कि वो एक अच्छे क्रिकेट खिलाड़ी भी थे काफी मिलनसार थे। उन्होंने बताया कि मनीष को घूमने का काफी खुश था, इसी कारण वो पहलगाम गए थे। वो इसके बाद वैष्णो देवी में भी माता-पिता के साथ दर्शन करने के लिए जाने वाले थे। लेकिन उससे पहले यह हादसा हो गया।
पांच साल तक रांची में रहे कार्यरत
मनीष रंजन पांच साल रांची के आईबी यूनिट में भी कार्यरत रहे थे। रांची में साल 2017 से 22 तक वो बतौर सेक्शन अफसर तैनात थे। इसके बाद उनकी पोस्टिंग हैदराबाद आईबी में हुई थी। मनीष के पिता पश्चिम बंगाल में शिक्षक है, इसलिए पूरा परिवार झालदा में रहता है।
तबादले की वजह से पत्नी को छोड़नी पड़ी थी नौकरी
मनीष रंजन की पत्नी की नौकरी रांची में पोस्टिंग के दौरान ही बिहार में शिक्षिका के तौर पर हो गई थी, तब उन्होंने बिहार में पोस्टिंग की गुजारिश की थी, लेकिन तबादला हैदराबाद होने के कारण उनकी पत्नी ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया था।
मनीष रंजन के दोस्तों के मुताबिक कश्मीर जाने के बाद वहां उनके साथी श्रीभूषण ने उन्हें रिसीव किया था। तब मनीष की पत्नी ने कहा था कि यहां आकर अजीब लग रहा है। मनीष आईबी में नौकरी ज्वाइन करने के पहले तमिलनाडु में एक्साइज में नौकरी करते थे। आईबी में नौकरी लगने के बाद उन्हें एक्साइजल की नौकरी छोड़ दी थी।
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