भोजपुरी भाषा के सुरीला सुर रहलीं स्व.मैनावती श्रीवास्तव ‘मैना’ उर्फ मैनावती देवी जी।

भोजपुरी भाषा के सुरीला सुर रहलीं स्व.मैनावती श्रीवास्तव ‘मैना’ उर्फ मैनावती देवी जी।

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श्रीनारद  मीडिया सेंट्रल डेस्क

भोजपुरी भाषा के साहित्यकार का साथे सुरीला सुर के साधिका….

“जहाँ मेढ़िये खेतवा चरि जाला
का करिहें भइया रखवाला।
जहाँ नदिये पानी पी जाई,
जहाँ फेड़वे फलवा खा जाई,
जहवाँ माली गजरा पहिरे
ऊ फूल के बाग उजरि जाला।
जहाँ गगन पिये बरखा पानी,
धरती निगले सोना-चानी,
जहवाँ भाई-भाई झगड़े
उहवें सब बात बिगड़ि जाला।”

उहाँ के जनम 1 मई,1940 में बिहार के सीवान जिला के हसुआ गाँव में भइल रहे आ कर्मभूमि गोरखपुर के बनवले रही।

‘गौरा धीरे-धीरे शंकर चरन दबावे लगली’ आ ‘कृष्ण गोदनहारी बन के राधे के नगरिया गइले’ जइसन पारम्परिक गीतन के रचना के साथे ओकरा के आपन आवाज में प्रस्तुति देके लोगन के मंत्रमुग्ध क देवे वाली मैनावती श्रीवास्तव उर्फ मैना देवी अपना सुरीलापन में कवनो मैना से कम ना रही।

उहाँ के गोरखपुर से 1980 में अर्थशास्त्र में एम.ए. कइले रहनी।गीत लेखन आ गायन में रुचि उहाँ के बचपने से रहे।

1977 में उनकर दू गो पुस्तक “गाँव के गीत” भाग-1 आ “गाँव के गीत” भाग-2 प्रकाशित भइल रहे।
लोकगीतन के संग्रह “पपिहा सेवाती” सन 2000 में प्रकाशित भइल रहे।
लोकगीत आउर कविता के पुस्तक “पुरखन के थाती”, “चोर के दाढ़ी में तिनका”, “बिन घरनी घर भूत के डेरा” आ “याद करे तेरी मैना” प्रकाशित बाड़ी सन।

उहाँ के जमशेदपुर से भी जुड़ाव रहे,उहाँ के हमरा आवास पर भी आइल रहीं, छोटागोविंदपुर में। 1981 में भइल भोजपुरी सम्मेलन में मैनावती देवी जी जमशेदपुर आइल रहीं उनका साथ मे उनकर लइका राकेश श्रीवास्तव भी आइल रहले, ओह घरी उ छोट रहले। हमहुँ ओह घरी छोट रही।
आज राकेश श्रीवास्तव भोजपुरी पारम्परिक गीतन के देश-दुनिया मे प्रचार कर रहल बाड़े आ अपना थाती के बचवले बाड़न।

लोकपरंपरा में भारतीय सामाजिक परिवेश में रहन-सहन,जीवन-मरण से लेके हर परिवेश के उहाँ के बड़ा कुशलता से आपन रचनन में उकेरत रहीं। उहाँ के एगो नीमन कवयित्री के साथे लेखिका भी रही। उहाँ के प्रयाग संगीत समिति से संगीत प्रभाकर के डिग्री भी प्राप्त कइले रहीं।

स्व मैनावती देवी जी के भोजपुरी पारम्परिक गीतन के प्रचार-प्रसार आ संजो के राखे खातिर कई गो सम्मान-अलंकरण से सम्मानित भी कइल गइल रहे,जवना में- भिखारी ठाकुर के मंच से “लोक साधिका उपाधि”, अखिल भारतीय भोजपुरी परिषद लखनऊ के द्वारा “भोजपुरी शिरोमणि” सम्मान , विश्व भोजपुरी सम्मेलन के द्वारा “भोजपुरी रत्न” सम्मान आ बलिया भोजपुरी परिषद के द्वारा “भोजपुरी श्रम रत्न” सम्मान प्रमुख रही सन।एकरा अलावा कई गो संस्थन द्वारा उहाँ के मंच से सम्मानित कइल गइल रहे।

उहाँ के अखिल भारतीय विश्व भोजपुरी सम्मेलन के संरक्षिका भी रहीं। देश के मंचन पर लोकभाषा भोजपुरी के ख्यातिप्राप्त गीतकार,कवयित्री होखे के साथे-साथ आकाशवाणी आ दूरदर्शन के पटना,गोरखपुर, वाराणसी,दिल्ली के केन्द्रन से उहाँ के गीत,कविता के प्रसारण लगातार होत रहे।

मैनावती देवी जी पारम्परिक लोकगीतन के संग्रह करे के अलावा कई गो संस्कार गीतन आउर लोक कथा के रचना भी कइले रहीं।
स्तरीय गीतन के गायन कके उहाँ के भोजपुरी संस्कृति के संरक्षण में बड़ भूमिका निभवले रही। ई कहे में कवनो संकोच नइखे कि स्व मैनावती श्रीवास्तव उर्फ मैना देवी एगो नीमन साहित्यकार होखे के साथे एगो बहुत बढ़िया भोजपुरी गायिका रही।

उहाँ के 16 नवम्बर,2017 के हमनी का बीच से अलविदा कह गइनी,बाकिर स्मृति शेष बा।
उहाँ के परम्परा के आगे बढ़ा रहल बानी उहाँ के लइका राकेश श्रीवास्तव जी,जवन कि गोरखपुर के ही निवासी बानी। राकेश श्रीवास्तव जी से बातचीत होत रहेला।राकेश जी पारम्परिक गीतन के देश-दुनिया के सामने रख रहल बानी।

आभार- राजेश भोजपुरिया

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