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हटाए गए बिहार के वारंट वाले कानून मंत्री कार्तिक कुमार

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बिहार के गन्ना उद्योग मंत्री कार्तिक कुमार ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने सीएम नीतीश को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। इससे पहले आज ही उन्हें कानून मंत्री से हाटकर गन्ना उद्योग मंत्री बनाया गया था।  अब उनकी जगह गन्ना उद्योग विभाग का अतिरिक्त प्रभार आलोक कुमार मेहता को दिया गया है।

गन्ना उद्योग मंत्री के पद से कार्तिक कुमार ने अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सौंप दिया है। मुख्यमंत्री ने उनका इस्तीफा स्वीकार करते हुए राज्यपाल फागू चौहान को अपनी अनुशंसा भेज दी। कार्तिक कुमार अब राज्यमंत्री परिषद के सदस्य नहीं रहे। अब गन्ना उद्योग विभाग का अतिरिक्त प्रभार राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री आलोक कुमार मेहता को दिया गया है।

इससे पहले बिहार के कानून मंत्री कार्तिक कुमार का विभाग बदल गया। उनको गन्ना उद्योग विभाग की जिम्मेदारी दी गई है। दरअसल, 10 अगस्त को शपथ लेने के साथ ही विवाद शुरू हो गया था। बीजेपी ने आरोप लगाया था कि जिस दिन वो शपथ ले रहे थे, उसी दिन उनको अपहरण के एक केस में दानापुर के कोर्ट में हाजिर होना था। बाद में इस मसले पर भारी बवाल हुआ था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को सफाई भी देनी पड़ी थी।

बिहटा का वो अपहरण केस जो बन गई मुसीबत
कानून मंत्री कार्तिक कुमार पर कई थानों में मामले दर्ज में हैं। मोकामा, मोकामा रेल थाना समेत बिहटा में भी इनके खिलाफ आपराधिक मामलों में एफआईआर है। हालांकि किसी भी मामले में अब तक कोर्ट ने इन्हें दोषी नहीं बताया है। फिलहाल जिस मामले को लेकर विवादों में हैं, वो बिहटा थाने से जुड़ा हुआ है।

यहां के कारोबारी राजीव रंजन की 2014 में किडनैपिंग हुई थी। इसके बाद कोर्ट ने इस मामले में संज्ञान लिया था। राजीव रंजन की किडनैपिंग मामले में कार्तिक कुमार भी आरोपी हैं। बिहटा थाने में उनके खिलाफ मामला दर्ज है। इसी मामले कोर्ट ने वारंट जारी किया है। धारा 164 के तहत बयान में नाम आया है। कार्तिक कुमार ने अब तक ना तो कोर्ट के सामने सरेंडर किया है ना ही जमानत के लिए अर्जी दी है। कल यानी 16 अगस्त को इनको कोर्ट में पेश होना था, लेकिन वो मंत्री पद की शपथ ले रहे थे। इसी बात को लेकर बीजेपी नेता बयानबाजी कर रहे हैं।

मंत्री कार्तिक कुमार कौन हैं?
बिहार के नए नवेले मंत्री कार्तिक कुमार अपने समर्थकों के बीच ‘कार्तिक मास्टर’ के नाम से मशहूर हैं। अनंत सिंह जब से राजनीति में आए, उसी समय से कार्तिक कुमार उनके करीबी रहे हैं। 2005 के बिहार विधानसभा चुनाव के बाद कार्तिक मास्टर और अनंत सिंह की दोस्ती परवान चढ़ी। बाद में अनंत सिंह के अहम चुनावी रणनीतिकार के रूप में कार्तिक मास्टर को पहचान मिली। कहा तो यहां तक जाता है कि अनंत सिंह के साम्राज्य को भी कार्तिक मास्टर संभालते हैं।

पर्दे के पीछे रहकर तमाम गोटियां सेट करते हैं। राजद विधायक अनंत सिंह के अच्छे-बुरे और हर सुख-दुख के सबसे बड़ा साथी मास्टर कार्तिक ही रहे हैं। अनंत सिंह उन्हें ‘मास्टर साहेब’ कहकर बुलाते हैं। वैसे सियासत की राह पकड़ने से पहले कार्तिक कुमार स्कूल में पढ़ाते थे। वो एक शिक्षक थे। यही वजह रही कि उनके नाम के साथ ‘मास्टर’ शब्द जुड़ गया। कार्तिक सिंह भी मोकामा के रहनेवाले हैं और उनके गांव का नाम शिवनार है। कार्तिक मास्टर की पत्नी रंजना कुमारी लगातार दो बार से मुखिया हैं।

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