हिंदी में हो कानून की पढ़ाई, कोर्ट में बहस आसान हो- डीवाई चंद्रचूड़

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डा. डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के मामलों की सुनवाई अंग्रेजी में होती है। कई बार इस विषय में बहस होती है, वह समझ ही नहीं पाता है कि क्या बहस हुई है। ऐसे में कोर्ट में हिंदी में बहस होनी चाहिए। साथ ही कानून की पढ़ाई को भी आसान बनाने की जरूरत है। उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में विधि विश्वविद्यालयों को हिंदी में भी एलएलबी पाठ्यक्रम शुरू किए जाने चाहिए।

क्षेत्रीय भाषाओं के माध्यम से ही कानून को आम जन तक आसानी से पहुंचाया जा सकता है। वह शनिवार को डा. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षा समारोह में विद्यार्थियों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कानून की प्रक्रिया को सरल बनाने पर जोर देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का अनुवाद किया जा रहा है। वर्ष 1950 से अब तक सुप्रीम कोर्ट के 37 हजार जजमेंट का हिंदी अनुवाद किया जा चुका है। उन्होंने आग्रह किया कि वह इसका प्रयोग करें।

अंग्रेजी बनी समस्या

उन्होंने बताया कि हाल ही सुप्रीम कोर्ट के रिसर्च विभाग को आदेश दिया था। इसमें 81 विश्वविद्यालयों और कालेजों में एक सर्वे से पता चला कि आम जनता को अंग्रेजी न समझने की वजह से उन्हें कई योजनाओं को सही जानकारी नहीं हो पा रही है। ऐसे में कानून की पढ़ाई क्षेत्रीय भाषाओं में भी होनी चाहिए। अगर छात्र को जमीनों के मामले में खसरा- खतौनी की जानकारी नहीं है तो वह जमीन से जुड़े मामले में लोगों की कैसे मदद कर पाएंगे।

विशिष्ट अतिथि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि विधि का शासन ही सुशासन की पहली शर्त है। हर व्यक्ति को न्याय संगत व्यवस्था पसंद है। न्याय सही और समय से हो, इसके लिए न्याय के विशेषज्ञ उतने ही महत्वपूर्ण होते हैं। विधि के शासन के लिए आज देश को जाना जाता है। न्यायिक व्यवस्था पर लोग आंख बंद कर भरोसा करते हैं।

कई बार पारिवारिक विवादों में लोग किसी की बात नहीं सुनते, लेकिन वकील जहां कहते हैं, वह साइन कर देते हैं। यह विश्वास ही सबसे बड़ी पूंजी है। दीक्षा समारोह में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश विक्रम नाथ और इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली भी उपस्थित रहे। मुख्य अतिथि ने बीए. एलएलबी. और एलएल.एम. के 18 टापर्स को स्वर्ण पदक देकर सम्मानित किया। कुलपति प्रो. अमरपाल सिंह ने सभी अतिथियों का स्वागत किया।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि डॉ. राम मनोहर लोहिया नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (आरएमएलएनएलयू) को हिंदी में एलएलबी कोर्स शुरू करना चाहिए। वह संस्थान के तीसरे दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे विश्वविद्यालयों में क्षेत्रीय मुद्दों से जुड़े कानूनों को भी पढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मान लीजिए पड़ोस के गांव का कोई व्यक्ति विश्वविद्यालय के विधिक सहायता केंद्र में जमीन से जुड़ी समस्या के लिए आता है। लेकिन यहां के स्टूडेंट को खसरा और खतौनी का मतलब ही नहीं पता है तो उसकी मदद कैसे हो पाएगी। इसलिए जमीन संबंधित क्षेत्रीय कानूनों के बारे में भी स्टूडेंट्स को जानकारी देनी चाहिए।

बतौर सीजेआई उन्होंने ऐसे कई निर्देश दिए हैं, जिससे न्याय की प्रक्रिया को आसान बनाया जा सके। उदाहरण के तौर पर सुप्रीम कोर्ट के अंग्रेजी में दिए गए निर्णयों को कई भाषाओं में अनुवाद किया जा रहा है। जिससे आम लोग इसे समझ सके। बताया कि 1950 से 2024 तक सर्वोच्च न्यायालय के 37000 निर्णय है। इनका हिंदी में अनुवाद हो गया है। इन्हें डिजिटलाइज भी कर दिया गया है। सभी नागरिकों के लिए यह मुफ्त है। इन अनुवादित फैसलों को वकील और विधि क्षेत्र से जुड़े लोग पढ़े और कोर्ट में बहस करें। जिससे कि आम लोगों को उनकी बहस समझ में आए। यह भी कहा कि 81 यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में सर्वे के बाद यह बात सामने आई है कि अंग्रेजी न जानने के कारण आम लोग अपने अधिकार नहीं समझ पाते हैं। सीजेआई ने लखनवी मेहमान नवाजी की भी तारीफ की।

बार और बेंच दोनों पर विश्वास बना रहे : CM
उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि विश्वविद्यालय की राह सही और सकारात्मक है। साथ ही यह भी कहा कि बार और बेंच का बेहतर समन्वय महत्वपूर्ण है। एक आम आदमी आपके पास उम्मीद लेकर आता है। परिवारिक विवाद जिसमें लोग किसी की नहीं सुनते, पर अधिवक्ता के कहने पर वह आंख बंद कर साइन कर देते हैं।

अधिवक्ता पर उनका यह विश्वास आपकी सबसे बड़ी पूंजी है। लोगों का यह विश्वास बार और बेंच दोनों पर बना रहना चाहिए। बताया कि विश्वास पर खरा उतरना चुनौती है। क्योंकि बदलते हुए परिवेश में लोगों की आवश्यकताएं, तौर तरीके, टेक्नॉलजी बदली है। ऐसे में बदलाव की राह सकारात्मक हो या नकारात्मक ये हमको तय करना है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र हमारे जीवन में सर्वोच्च होना चाहिए।

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