आलस्य संसार की सबसे बड़ी बीमारी और सबसे बड़ा शत्रु,कैसे?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

कालचक्र अर्थात समय की सुई कभी थमती नहीं है। वह निरंतर प्रवाहमान है। हम सभी को ईश्वर ने चौबीस घंटे दिए हैं। हम इसका नियोजन और उपयोग कैसे करते हैं, यह हमारे ऊपर निर्भर करता है। जो लोग अपने समय का उपयोग सार्थक कार्यो में करते हैं, वे मनुष्य सच में इस धरा पर धन्य हैं। उन्हीं से ये धरा आज भी जीवंत है। सार्थक कार्यो से तात्पर्य है-जिसमें अपने हित और उन्नति के साथ-साथ समाज का परहित न हो। इसके साथ ही दूसरों की उन्नति की भी सोचे। अर्थात अच्छा सोचे, अच्छा ही करे, अच्छा ही बोले। मन, वचन और कर्म से मानव जाति का उपकार करना ही अमूल्य समय की श्रेष्ठ सार्थकता है। यही मानवीय संवेदना है। यही मानवीय धर्म है।

एक विद्यार्थी के लिए उसके समय का धर्म है कि वह एकाग्रता के साथ मन लगाकर पढ़ाई करे। समय से खेले-कूदे या योग आदि करे। जो पढ़ाई का लक्ष्य है उसे पूरा करे, न कि वह अपने कीमती समय को मोबाइल, टीवी या फिर इधर-उधर की गप्पों में लगाए। सयम को व्यर्थ नष्ट करने से छात्र अपने ही भविष्य को बर्बाद करते हैं, इसका सदैव उन्हें ध्यान रखना चाहिए। उसी तरह एक गृहिणी के समय का कर्तव्य है कि वह अपने परिवार के प्रति समर्पित रहे। अपने समय को अच्छे कार्यो में लगाए, न कि वह बच्चों के हाथ में मोबाइल पकड़ाकर खुद टीवी से चिपक जाए और आलस्य वश मोटापा आदि गंभीर बीमारियों को सिर पर ढोकर डॉक्टर के यहां धन और समय गंवाए। इसी तरह सभी के लिए ही समय का अलग-अलग उपयोग और सार्थकता है। हमें अपने समय की कीमत अवश्य समझनी चाहिए।

जानेमाने विचारक स्वेट मार्टन कहते हैं कि इतिहास के पृष्ठों में कल की धारा पर कितने प्रतिभावानों का गला कट गया, कितनों के निश्चय बस यूं रह गए, कितनों की योजनाएं अधूरी रह गईं। कल असमर्थता और आलस्य का द्योतक है, जबकि आज अभी वर्तमान में सक्रिय जीवन की जीवंतता का प्रतीक है।

संत कबीर भी अपने दोहे में इस तरह से इसकी व्याख्या करते हैं- काल्ह करै सो आज कर, आज करै सो अब्ब। पल में परलै होयगी, बहुरि करैगा कब्ब।।वही मनुष्य योग्य और समझदार होते हैं, जो अपना समय आलस्य या निर्थक कार्यो में नहीं लगाते हैं। आलस्य ही संसार की सबसे बड़ी बीमारी और अपना ही सबसे बड़ा शत्रु है। हमें समझना चाहिए कि यही सब रोगों का मूल भी है।

रस्किन कहते हैं कि जिस तरह लोहा ठंडा पड़ जाने पर हथौड़ा पटकने से कोई लाभ नहीं होता, उसी तरह अवसर निकल जाने पर मनुष्य का प्रयत्न भी व्यर्थ चला जाता है। कुल मिलाकर कह सकते हैं कि हम सभी के लिए समय बहुत अमूल्य है, इसका नियोजन सही ढंग से करिए और जीवन को सार्थक बनाइए।

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