नेता आनंद मोहन का पासपोर्ट जब्त व पुलिस स्टेशन में हाजिरी लगाने का आदेश- सुप्रीम कोर्ट
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
बिहार के बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई की. कोर्ट ने आनंद मोहन को तुरंत अपना पासपोर्ट सरेंडर करने का आदेश दिया है. इसके साथ ही हर 15 दिन में स्थानीय पुलिस के पास हाजिरी लगाने के आदेश दिए गए हैं. दिवंगत डीएम जी. कृष्णैया की विधवा उमादेवी कृष्णैया की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने यह निर्देश दिया है. कोर्ट ने हलफनामा दाखिल नहीं करने पर केंद्र सरकार और राज्य सरकार को कड़ी फटकार भी लगाई है. कोर्ट ने सरकार को एक हफ्ते के अंदर हलफनामा दाखिल करने का मौका दिया है. इस मामले की अगली सुनवाई अब 27 फरवरी को होगी.
जी कृष्णैया की पत्नी दायर की है याचिका
गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया की पत्नी उमा देवी कृष्णैया द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि बिहार सरकार ने 10 अप्रैल, 2023 के संशोधन के माध्यम से बिहार जेल नियम 2012 में संशोधन किया है. जो उचित और कानूनी नहीं. उन पर जेल में मारपीट से लेकर पुलिसकर्मियों पर हमला करने तक के कई मामले दर्ज थे. ऐसे में उन्हें अच्छे आचरण के आधार पर कैसे जेल से छोड़ा जा सकता है. हालांकि, बिहार सरकार ने कोर्ट को बताया है कि आनंद मोहन को नियमों के तहत रिहा किया गया है.
कोर्ट ने एक हफ्ते में सरकार से मांगा जवाब
सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आनंद मोहन का पासपोर्ट तत्काल प्रभाव से जब्त किया जाए. कोर्ट की बेंच ने कहा कि ये मामला लगातार टलता जा रहा है. कभी राज्य सरकार समय मांगती है तो कभी केंद्र सरकार जवाब नहीं देती. मामले को अब और टाला नहीं जा सकता. इस मामले में केंद्र सरकार से एक हफ्ते के अंदर जवाब देने को कहा गया है.
27 फरवरी को सुनाया जाएगा फैसला
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने इस मामले में आखिरी फैसला सुनने के लिए सुनवाई की आखिरी तारीख 27 फरवरी रखी है. कोर्ट ने कहा कि इतने महत्वपूर्ण मामले को अब और टाला नहीं जा सकता. इसलिए फैसला अगली तारीख पर सुनाया जाएगा.
जेल में क्यों थे आनंद मोहन
1994 में जी कृष्णैया की मुजफ्फरपुर में उस समय हत्या कर दी गई जब वे पटना से गोपालगंज लौट रहे थे. इस हत्या का आरोप बाहुबली नेता आनंद मोहन पर लगा था. इस मामले में सुनवाई के बाद वर्ष 2007 में कोर्ट ने आनंद मोहन को मौत की सजा सुनाई थी, जिसे बाद में उम्रकैद में बदल दिया गया था. इसके बाद 23 अप्रैल 2023 को बिहार सरकार ने अच्छे आचरण के बाधार पर आनंद मोहन को जेल से रिहा कर दिया था.
बिहार के गोपालगंज के तत्कालीन डीएम की हत्या के दोषी पूर्व सांसद आनंद मोहन को सुप्रीम कोर्ट ने अपना पासपोर्ट सरेंडर करने और स्थानीय पुलिस स्टेशन में हर पखवारे अपनी उपस्थिति दर्ज कराने को कहा है। इस मामले में पिछले साल बिहार सरकार से माफी मिलने के बाद उम्रकैद की सजा काट रहे बाहुबली सांसद जेल से बाहर आ गए थे।
बिहार सरकार ने माफ की थी सजा
जस्टिस सूर्यकांत और केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने केंद्र सरकार को मोहन को माफी देने के मामले में हलफनामा दायर करने का एक आखिरी मौका दिया है। बिहार सरकार ने आनंद मोहन गोपालगंज के डीएम जी.कृष्णैया की 1994 में हुई हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा माफ कर दी थी।
पुलिस स्टेशन में हर पखवारे लगानी होगी हाजिरी
खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि प्रतिवादी आनंद मोहन को स्थानीय पुलिस स्टेशन में तत्काल अपना पासपोर्ट जमा कराना चाहिए। साथ ही उसे पुलिस स्टेशन में हर 15 दिन पर अपनी हाजिरी सुनिश्चित करनी होगी। संक्षिप्त सुनवाई के बाद वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने मारे गए अफसर की पत्नी उमा कृष्णैया की ओर से पेश होते हुए खंडपीठ से कहा कि यह मामला कुछ अरसे से अटका पड़ा है, क्योंकि केंद्र ने माफी को चुनौती देने वाली याचिका पर अब तक अपना जवाब नहीं दिया है।
राजनीतिक भूमिका पर उठे सवाल
उन्होंने बताया कि पिछले साल मई में केंद्र सरकार को नोटिस भेजा गया था। लेकिन सरकार अभी तक हलफनामा दायर करने के लिए और समय मांग रही है। बिहार सरकार के हलफनामे का जिक्र करते हुए लूथरा ने कहा कि यह एक अजीबोगरीब मामला है जिसमें उम्रकैद की सजा पाए दोषी को समय से पहले रिहा कर दिया गया है और अब वह बाहर जाकर अपनी राजनीतिक भूमिका निभा रहा है।
उल्लेखनीय है कि आनंद मोहन को 14 साल की सजा काटने के बाद पिछले साल 24 अप्रैल को सहरसा जेल से रिहा किया गया था। इसके लिए बिहार सरकार ने राज्य सरकार के जेल नियमों में संशोधन करके यह विवादित फैसला लिया था।