Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
देश के सर्वागीण विकास की राह हम सभी प्रशस्त करें,कैसे? - श्रीनारद मीडिया

देश के सर्वागीण विकास की राह हम सभी प्रशस्त करें,कैसे?

देश के सर्वागीण विकास की राह हम सभी प्रशस्त करें,कैसे?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भारत जब स्वतंत्र हुआ तब हमारे पास अपना कोई संप्रभु संविधान नहीं था। गणतंत्र दिवस इसीलिए बहुत महत्वपूर्ण है कि आज ही के दिन हमारा संविधान लागू हुआ था। भारतीय संविधान दुनिया का सबसे बड़ा हस्तलिखित संविधान है। मैं इसे मानव अधिकारों और कर्तव्यों का वैश्विक दस्तावेज मानता हूं। मानव अधिकारों की सुरक्षा की विश्वसनीय व्यवस्था कहीं पर है तो वह भारतीय संविधान में ही है।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कभी कहा था कि ‘कर्तव्यों के हिमालय से अधिकारों की गंगा बहती है।’ गणतंत्र के इस पर्व पर आज भारतीय संविधान को इसी दृष्टि से देखे और समङो जाने की जरूरत है। संविधान आजादी की मर्यादा है। पूरा देश इस समय आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है।

गणतंत्र दिवस पर इस महोत्सव के संदर्भ में भी गहराई से विचार करने की जरूरत है। इसलिए कि पहली बार देश में ऐसा हुआ है, जब हमारे स्वाधीनता सेनानियों की स्मृतियों को जीवंत रखने, आजादी के आंदोलन से जुड़ी घटनाओं के आलोक में, देश की संस्कृति और लोगों के शानदार इतिहास को अक्षुण्ण रखने का यह पर्व देश भर में विविध स्तरों पर मनाया जा रहा है।

विचार करें, सूर्य से हम सभी आलोकित होते हैं और सूर्य का यह प्रकाश ही चंद्रमा में चांदनी बनकर धरती पर प्रति¨बबित होता है। चंद्रमा अमृतांशु है। अमृत किरणों वाला। इसकी किरणों कभी मिटती नहीं हैं। अमृत तत्व से ओतप्रोत होने के कारण यह अक्षीण है। भारतीय संस्कृति को भी मैं इसी तरह अक्षीण मानता हूं। इकबाल ने इसे इन शब्दों में व्यक्त किया है, ‘यूनान, मिस्र, रोमा सब मिट गए जहां से, कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी। सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा।’

आजादी का अमृत महोत्सव दरअसल हमें हमारे राष्ट्रीय प्रेम, सौहार्द और अध्यात्म की गौरवशाली परंपराओं के आलोक में स्वतंत्रता के वास्तविक रहस्य की अनुभूति कराने वाला पर्व है। यह उन लोगों के प्रति समर्पित है, जिनके कारण देश विभिन्न क्षेत्रों में आत्मनिर्भर हुआ। यह उन लोगों की उपलब्धियों को समर्पित है, जिन्होंने देश को सशक्त और समृद्ध बनाने की अतुल्य सफल गाथाएं लिखीं।

ये गाथाएं यही बताती हैं कि देश के सर्वागीण विकास में किस तरह जन भागीदारी सुनिश्चित की गई। हमारा लक्ष्य यह होना चाहिए कि स्थानीय स्तर पर देश का गौरव बढ़ाने वाले जो छोटे-छोटे प्रयास और बदलाव आत्मनिर्भर भारत की भावना को पुष्ट करने के लिए हुए हैं, वे राष्ट्रीय उपलब्धि का रूप ग्रहण कर सकें। अमृत महोत्सव का वास्तविक उद्देश्य भारत के प्रत्येक राज्य और प्रत्येक क्षेत्र में महान सफलताओं के लिए किए गए प्रयासों के इतिहास को संरक्षित करना है, ताकि भावी पीढ़ियों को प्रेरणा मिल सके। मैं इसे नई पीढ़ी का प्रेरणा पर्व भी कहता हूं।

स्वतंत्रता प्राप्त होने के बाद संविधान के अंतर्गत प्रत्येक क्षेत्र में नियोजित विकास के आधार पर देश में विकास की सुदृढ़ नींव रखी गई। भारतीय संस्कृति से जुड़ा जो दर्शन है, हमारी जो उदात्त जीवन परंपराएं हैं, संविधान एक तरह से उन्हें व्याख्यायित करता है। मैं यह मानता हूं कि राष्ट्र कोई भू-भाग भर नहीं होता। यह अपने आप में विचार है। देश को विचार संज्ञा में देखने का अर्थ ही है,

ऐसा राष्ट्र जिसमें स्त्री-पुरुष, जाति और धर्म के आधार पर मनुष्य-मनुष्य में किसी तरह का कोई भेद नहीं है। जहां अनुभव और ज्ञान सहभागी हैं। भारत का अर्थ ही है-ज्ञान और दर्शन की वह महान परंपरा जिसमें वैदिक ऋचाओं से लेकर आदि शंकराचार्य के अद्वैत दर्शन तक का सार आ जाता है। संपूर्ण विश्व को ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ के सूत्र के साथ अपना परिवार मानने का संदेश हमारे राष्ट्र ने दिया है।

आज देश महिलाओं, सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गो, दिव्यांगों, आदिवासियों और वंचित तबकों को सामाजिक, आर्थिक, मानसिक और राजनीतिक स्वतंत्रता प्रदान कर तेजी से आगे बढ़ रहा है। फिर भी मैं यह मानता हूं कि वास्तविक लक्ष्य तभी पूरा होगा जब कतार में खड़े अंतिम व्यक्ति को समानता और न्याय मिले। इसके लिए सभी को अपने-अपने स्तर पर प्रयास करने होंगे,

क्योंकि तभी हमारा गणतंत्र सच्चे अर्थो में सशक्त बनेगा और वे सपने पूरे होंगे, जो हमारे स्वाधीनता सेनानियों और संविधान निर्माताओं ने देखे थे। आज यह भी बहुत आवश्यक है कि हमारी नई पीढ़ी आत्मनिर्भर हो और उन मानवीय मूल्यों से ओतप्रोत हो जिनके लिए भारत पूरे विश्व में जाना जाता है। हम सभी का यह कर्तव्य है कि आत्मनिर्भरता के और बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने में हम पूरी तन्मयता से जुट जाएं।

कोविड महामारी ने जिस तरह पूरी दुनिया पर व्यापक असर डाला है और जिस प्रकार वह खत्म होने का नाम नहीं ले रही है, उससे यह स्पष्ट है कि कोविड के बाद का विश्व नया होगा। नई व्यवस्था होगी। मुङो विश्वास है कि यह नई व्यवस्था भारतीय संस्कृति के उदात्त मूल्यों से प्रेरित होगी। इसलिए कि हमने कोविड के विकट दौर में भी केवल अपने लिए ही नहीं, बल्कि समग्र विश्व और मानवता को दृष्टिगत रखते हुए औषधियांे एवं वैक्सीन की आपूर्ति विश्व के दूसरे देशों में भी की।

कठिन चुनौतियों के बावजूद पिछले दशकों में देश ने विभिन्न क्षेत्रों में महान सफलताओं को अर्जित किया है। कभी अनाज की कमी से जूझने वाला भारत आज विश्व का बड़ा अनाज निर्यातक है। स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव की स्थिति से उबरकर महामारी के दौर में देश आज टीकों का वैश्विक आपूर्तिकर्ता हो गया है। उभरते राष्ट्रवाद के साथ सूचना प्रौद्योगिकी और विशेष ज्ञान आधारित उद्योगों में आज देश ने ऊंची छलांग लगा ली है। हमने विशाल जनसंख्या के लिए खाद्य सुरक्षा प्राप्त भी कर ली है। कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है, जिसमें भारत तेजी से आगे नहीं बढ़ रहा है।

आजादी के अमृत महोत्सव के आलोक में गणतंत्र दिवस पर राष्ट्र को ज्ञान और विकास के पथ पर ले जाने के लिए हम सभी को संकल्पबद्ध होकर प्रयास करना चाहिए। इस क्रम में देश की उन्नति की नवीन राहों का सृजन करना होगा। यह भाव बढ़ना चाहिए कि सबका सुख सामूहिक सुख हो और दुख सामूहिक दुख। इसी तरह राष्ट्र के गौरव में ही हम सबका गौरव हो।

Leave a Reply

error: Content is protected !!