आइए जानते हैं वामपंथी और दक्षिणपंथी विचारधारा को ?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
आपने वामपंथी और दक्षिणपंथी शब्द बहुत सुने होंगे। भारत की बात करें तो यहां मार्क्सवादी पार्टियों को वामपंथी पार्टियां और हिंदुत्व की विचारधारा वाली पार्टियों को दक्षिणपंथी पार्टियां कहा जाता है। वैश्विक स्तर पर बात की जाए तो उदार कहे जाने वाले तबके के लिए वामपंथी यानी लेफ्ट विंग और कंजर्वेटिव के लिए दक्षिणपंथी यानी राइट विंग का इस्तेमाल किया जाता है। यानी आज के समय में वामपंथ और दक्षिणपंथ को विचारधारा से जोड़ दिया गया है, लेकिन शुरुआत में इसका विचारधारा से कोई लेना-देना नहीं था। यह सिर्फ असेंबली में बैठने की एक व्यवस्था थी।
कब वजूद में आया यह टर्म?
साल 1789 और गर्मी का मौसम था। फ्रेंच नैशनल असेंबली के सदस्य संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए जमा हुए। 16वें किंग लुई को कितना अधिकार मिलना चाहिए, इसको लेकर सदस्यों के बीच काफी मतभेद था। सदस्य दो हिस्से में बंट गए। एक हिस्सा उन लोगों का था जो राजशाही के समर्थक थे और दूसरे वे सदस्य थे जो राजशाही के खिलाफ थे। उन्होंने अपने बैठने की जगह भी बांट ली।