आओ सुनाए अपराध की एक कहानी सीवान के दक्षिणांचल में बसे टारी बाजार की जुबानी।

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तबके रघुनाथपुर विधानसभा क्षेत्र की मुख्य हृदय स्थली मानी जाती थी

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

सन् 92-93 के दौर में अपराध की मंडी जो सजी अनवरत लगभग 13 बरसों तक चली।बजार के आसपड़ोस के इलाके प्रथम दौर में डाका कांडों से तबाह रहे। सबसे अधिक डाके भांटी में होने से महीनों तक दर्जनों पुलिस तंत्र उसी गांव में जमे रहे। फिर भी उनके होते हुए भी आस पास के गांव तक अटैक जारी रहा।

सन् 1994 के दरम्यान पहला अपहरण कांड बब्लू प्रसाद। फिर तो अपराधियों के लिए यह सही बिजनेस बन गया और एक के बाद एक आधा दर्जन अपहरण जिसमें टारी लोहबरा भाटी के व्यवसाई और परिवार अधिक शिकार हुए। ठीक 1995 में राष्ट्रपति शासन हटने के साथ ही राजनीतिक तापमान बढ़ने लगा था।

टारी नेवारी के बिच ठीक सात बजे संध्या के आस पास पहली हत्या कर दी गई थी योगेन्द्र सिंह की। बम मार कर। लगातार कई हुए। फिर पुलिस चौकी बजार में लग गई थी। पर निरिह रहे।अब रंगदारी और बजार पर वर्चस्व कायम करने वालो की होड़ लग चुकी थी। सुबह दोपहर शाम तीन दफे के अंतराल पर अलग अलग गिरोहों का जंग यहां के व्यवसायियों का चैन छीन लिया था।लोग दिन में ही जाने से कतराते थे।रात को कौन कहे।चलता रहा अनवरत लुटते पिटते मरते रहे लोग।

सन् 2005 के अवतरण के साथ ही तस्वीरें राहत भरी आने लगी। सब कुछ ठीक चलने लगा बजार फिर से सजने संवरने लगा। शैक्षणिक वातावरण बना व्यवसायिक वर्ग बाजार को उन्नत बनाने लगे। जबर्दस्त उछाल उत्साह आया।

अब फिर से कुछ महीने पहले से जो हालात पैदा हुए हैं बरबस उस दौर को लोगों को याद करना पड़ गया है। फिर पुलिस चौकी सजने की बात पर मुहर लगने की उम्मीद बढ गई है। हालांकि उस दौर में ना तो मिडिया घराना हाइटेक था ना समाज।
शैक्षणिक वातावरण भी उतना मजबूत नहीं था।

पर सवाल वही के वही पुरानी ही है •••• आज आधुनिक काल है सब कुछ मजबूत है पर क्षेत्रीय जनता का दिल जबाव दे रहा है ••• ऐसे में हर एक गरीब हो या सम्भ्रांत मन ही मन निर्णय और विचार विमर्श पर आ लटक चुका है •

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