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नालंदा के सोनू के नाम पत्र  - श्रीनारद मीडिया

नालंदा के सोनू के नाम पत्र 

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प्रतिभाएँ तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद निखर कर सामने आती हैं।

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

प्रिय सोनू
शुभाशीष
प्रत्येक दिन तुम्हारी खबर लगातार न्यूज़ चैनल पर देखने को मिल रहा है।सुनकर व देखकर खुशी होती है।तुम्हारे जोश,जज्बा,उत्साह एवं आत्मविश्वास को देख कर मैं मंत्रमुग्ध हूँ।इसके लिए तुमको मेरी ओर से शुभकामनाएं।भगवान करे तुम्हारी यह उत्साह लगातार बनी रही।बीते दिन न्यूज़ चैनल पर तुम्हें रोते एवं माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कोसते और शिक्षक के बारे में गलत बातें कहते देखा गया।देख कर व सुन कर मेरा दिमाग सुन्न हो गया।सच पूछो तो तुम्हारा यह रवैया मुझे कतई पसंद नही आया।आज जो भी तुम्हारा आधार है वो सरकारी विद्यालय ही है।जिसके पास इतना टैलेंट होगा वो किसी के आगे क्यों गिरगिरायेगा।

टेलेंट को ईश्वर प्रदत्त माना जाता हैं। एक प्रतिभा संपन्न व्यक्ति की कई सारी विशेषताएं उन्हें एक साधारण इन्सान से पृथक करती हैं।उच्च स्तरीय बौद्धिक क्षमता, रचनात्मक उत्पादकता, शैलियों में वह सभी से स्वयं को हर बार सर्वश्रेष्ट साबित करता हैं।मौलिकता उसकी प्रथम विशेषता होती हैं। जीनियस के बनने में उन्हें कुछ गुण जन्मजात तथा कुछ वातावरण से मिलते हैं तब जाकर वह एक प्रतिभावान बनता हैं जो तुझमें विद्यमान है।

तुम्हें मालूम होना चाहिए कि प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती। कोई भी बाधा प्रतिभा को आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती हैं। चाहे आर्थिक संकट हो, चाहे कच्चे मकान या खपरैल के घर हों। प्रतिभा को कभी भी प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है। प्रतिभाएँ तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद निखर कर सामने आती हैं। भारतरत्न डॉ भीमराव अंबेडकर की जीवनी को शायद तुमने नही पढा।पढ़ों और आत्मसात करो।उन्होंने कैसे विपरीत परिस्थितियों में भी बेहतर लक्ष्य को निर्धारित किया।कठिन परिस्थितियों के बाद भी उनका निरंतर कार्य करते रहना, उनकी जीवटता और कर्मठता को प्रदर्शित करता है।

यह जानने की जरूरत है।यदि तुम्हारे पास प्रतिभा है तो किसी के आगे हाथ फैलाने की जरूरत ही नही है।सैनिक विद्यालय हो या सिमुतुल्ला क्या फर्क पड़ता है।दोनों विद्यालय में नामांकन के लिए प्रवेश परीक्षा होती है।प्रवेश परीक्षा दें औऱ पास कर जाएं।तुम्हारा नामांकन हो जाएगा।इसमें बड़ी कौन सी बात है।पढ़ाई मन से करो औऱ अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लो।यदि मीडिया में इसी तरह छाए रहोगे तो तुम अपने लक्ष्य से भटक जाओगे।यदि लक्ष्य को पाना है तो शोर मत मचाओ धीरे से निकल जाओ।देखने वाले देखते रह जाएंगे।

परिश्रम का कोई दूसरा विकल्प नही होता हैं।कुछ कर दिखाने का सपना या लक्ष्य पाने का सपना केवल परिश्रम के द्वारा ही पूरा किया जा सकता हैं।सही दिशा में निरंतर किया गया परिश्रम हमेशा मीठा फल देता हैं।जीवन में परिश्रम करना कभी न छोड़े क्योंकि जब तक आप परिश्रम करते हैं तब तक ही आप खुश रहते हैं।यह मेरी राय है।केवल मीडिया में छाए रहना है तो वही करो जो आज कल करते हो।अंत में मैं तो बस यही कहूंगा कि
टूटने लगे होसले तो ये याद रखना,
बिना मेहनत के तख्तों-ताज नही मिलते,
ढूंढ लेते हैं अंधेरों में मंजिल अपनी,
क्योंकि जुगनू कभी रौशनी के मोहताज नही होते…
तुम्हारा ही हितैषी

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