अहंकार के कारण जीवन कष्टमय हो जाता है,इसी कारण नारद जी ने पाया था बंदर का मुंह-त्रिपाठी साधना

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श्रीनारद मीडिया, सीवान (बिहार):

सीवान जिला के बड़हरिया प्रखंड के पहाड़पुर के शिवमंदिर के परिसर में श्रीरुद्र महायज्ञ के तत्वावधान में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दौरान राष्ट्रीय कथावाचिका त्रिपाठी साधना ने नारद मोह कथाप्रसंग सुनाकर श्रोताओं को भावविभोर और रोमांचित कर दिया। उन्होंने कहा कि जब देवर्षि नारद मोह,माया और अहंकार के भंवर में फंस जाते हैं तो भगवान विष्णु उन्हें सभी मार्ग पर लाने के लिए उद्यम करने लगते हैं।

उन्होंने कहा कि हिमालय पर्वत पर तपस्या कर रहे नारद जी की तपस्या से इंद्र का सिंहासन हिलने लगता है। इंद्र द्वारा कामदेव को बुला कर नारद जी की तपस्या भंग करने के लिये कामदेव को भेजा जाता है। कामदेव द्वारा जब नारद जी का तपस्या भंग नहीं हो पाती है तो कामदेव नारद जी से माफी मांगते हैं।यह सुनकर नारद जी के मन मे अहंकार आ जाता है। नारद जी इस बात को विष्णु जी से जाकर बताते हैं।

इसके पहले नारद जी को रास्ते में एक अति सुंदर कन्या मिलती है। वे उससे विवाह का प्रस्ताव रखते हैं। कथावाचिका त्रिपाठी साधना ने कथा क्रम में बताया कि ये सभी लीला तो भगवान विष्णु की होती है। नारद जी विष्णु जी से उनका सुंदर चेहरा मांगते है। उसी चेहरे के साथ स्वयंबर में नारद जी जयमाला के लिये जाते हैं और विश्वमोहिनी नारद जी वरमाला नहीं डालकर विष्णु जी के गले में माला डाल देती है।

यह देख नारद जी अपना चेहरा शीशे में बन्दर का देख विष्णु जी को श्राप दे देते हैं। उसी श्राप के चलते त्रेतायुग में भगवान में मां सीता के वियोग में भटकते हैं और बानर ही आपके काम आयेंगे। जब भगवान विष्णु त्रेता में भगवान राम के रुप हुए तो उन्हें अपनी पत्नी सीता के वियोग भटकना पड़ा और उन्हें बानर-भालूओं के साथ रहना पड़ा। इस दौरान कथावाचिका त्रिपाठी कथा को सामाजिकता से जोड़कर खूब तालियां बटोरती रहीं। इस मौके पर रवींद्र पांडेय,प्रो अनिल सिंह,अमरेश सिंह, सत्येन्द्र पांडेय, ओमप्रकाश पांडेय, किशोर श्रीवास्तव, अश्विनी कुमार, दयानंद यादव, उपेंद्र गुप्ता, अवधेश पटेल,उमाशंकर यादव,राजाराम पासवान आदि गणमान्यों के अलावे बड़ी संख्या में श्रद्धालु महिलाएं मौजूद थीं।

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