“सत्य के अनुसंधान की यात्रा जीवन है” —-प्रो.संजीव कुमार शर्मा.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

संस्कृत विभाग, महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय बिहार और मानव संसाधन विकास केंद्र, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर, मध्यप्रदेश के संयुक्त तत्वावधान में ‘हिंदी एवं संस्कृत साहित्य-काव्यशास्त्र’ विषयक राष्ट्रीय पुनश्चर्या कार्यशाला का समापन आभासीय मंच से संपन्न हुआ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो.कपिल देव मिश्र(माननीय कुलपति,रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर, मध्यप्रदेश) ने की। मुख्य अतिथि के रूप में प्रो.संजीव कुमार शर्मा (माननीय कुलपति, महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिहार) ने अपने उद्बोधन में कहा कि, यह कार्यशाला सैद्धांतिक ज्ञान को व्यावहारिक रूप देने का मंच है।

सत्य के अनुसंधान की इस यात्रा में जीवन अपने विविध रूपों में पुष्पित और पल्लवित होता है। इस यात्रा में आप सभी ने जो कुछ भी शुभ,सुंदर,कोमल सहेज कर रखा है उसकी चमक अपने विद्यार्थियों तक प्रसारित करेंगे, ऐसी मैं आशा करता हूँ। जीवन-जगत एवं उससे सृजित अनुभवों से जुड़े प्रश्नों का स्वागत करें, यही सीखने का सबसे सरल मार्ग है।


अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए प्रो.कपिल देव मिश्र(माननीय कुलपति, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर, मध्यप्रदेश) ने कहा कि, साहित्य के विराट फलक को दिनों में समेट पाना मुश्किल है लेकिन उसे महसूस करते हुए हम आगे की यात्रा तय कर सकते हैं। आध्यात्मिकता का रास्ता साहित्य से होकर ही गुजरता है। मन,बुद्धि,हृदय का विकास ही शिक्षा का लक्ष्य है। आत्मसंयम,आत्मत्याग,आत्मज्ञान,आत्मविश्वास एवं आत्मनिर्भरता पंच सूत्रों के संयोग से हम जीवन को सार्थक रूप प्रदान कर सकते हैं। आज ‘शस्त्र’ और ‘शास्त्र’ दोनों की ही अवश्यकता है। अतः आने वाली पीढ़ी का निर्माण कैसा हो, यह प्रश्न अति-आवश्यक है।

सभी का स्वागत करते कार्यशाला समन्वयक प्रो.प्रसून दत्त सिंह(अध्यक्ष, संस्कृत विभाग, महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिहार) ने कहा कि, वक्ता विद्वानों के विचारों ने कार्यशाला को वैविध्य प्रदान किया है। समय और सत्र में बंटे यह सिर्फ व्याख्यानों का प्रतिवेदन नहीं है बल्कि साहित्य,समाज,कला,संस्कृति से पूरित गंगा की धारा है जिसमें हम सभी डूबना चाहते थे। अपने विजन को मूर्त रूप देने में हम कहाँ तक सफल हुए हैं, यह आप सभी की प्रतिक्रियाओं से स्पष्ट होगा लेकिन मैं यह कह सकता हूँ कि एक मंच के माध्यम से सबको सुनना, हमारे लिए उपलब्धि है।


समापन कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि प्रो.प्रज्ञा मिश्र(संस्कृत विभागाध्यक्ष, महात्मा गाँधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय,चित्रकूट,सतना,मध्य प्रदेश) ने कहा कि इस कार्यशाला के माध्यम से हमने अपनी निज भाषा की यात्रा को तय किया है। भाषा,साहित्य के विभिन्न रूपों को आत्मसात करने की दिशा में हम सभी ने अपनी संस्कृति, परम्परा के विभिन्न पहलुओं का भी अवलोकन किया है।


कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. अनिल प्रताप गिरी(सह-आचार्य,संस्कृत विभाग, महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय बिहार) ने किया। इस दौरान प्रतिभागी साथियों ने कार्यशाला से जुड़े अनुभव भी प्रस्तुत किये।

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