भगवान श्री कृष्ण का जीवन हर इंसान के लिए अनुकरणीय – रामनारायण दास
श्रीनारद मीडिया, जीरादेई, सीवान (बिहार):
सीवान जिले के जीरादेई प्रखण्ड क्षेत्र के भरौली मठ परिसर में बुधवार को भगवान श्री कृष्ण की छठ्ठीयार मनाया गया तथा परम संत रामनारायण दास जी महाराज ने भगवान श्री कृष्ण के जीवन दर्शन पर प्रकाश डाला।रामनारायण दास जी महाराज ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण हर परिस्थिति से निपटने की कला जानते थे उनके जीवन दर्शन पर चलने से किसी की हार नहीं हो सकती ।
उन्होंने ने बताया कि जब कृष्ण ८९ वर्ष के थे; महायुद्ध (कुरुक्षेत्र युद्ध) हुआ था । उन्होंने बताया कि भिन्न भिन्न जगहों पर भिन्न भिन्न रूपों में उनकी पूजा होती है । स्वामी जी ने बताया कि बिल्कुल भी सामान्य नहीं था। उनकी मां उग्रा वंश से थीं, और पिता यादव वंश से, अंतरजातीय विवाह ,वह गहरे रंग के पैदा हुये थे।जीवन भर उनका नाम नहीं लिया गया।
गोकुल का सारा गाँव उन्हें काला कहने लगा; कान्हा काले, छोटे और गोद लिए हुए होने के कारण उनका उपहास किया गया और उन्हें चिढ़ाया गया। उनका बचपन जीवन के लिए खतरनाक स्थितियों से भरा था।
‘सूखा’ और ‘जंगली भेड़ियों के खतरे’ ने उन्हें 9 साल की उम्र में ‘गोकुल’ से ‘वृंदावन’ में स्थानांतरित कर दिया।
फिर भी उन्होंने हर परिस्थिति को अपने अनुकूल ढाल लिया ।महाराज जी ने बताया कि श्री कृष्ण बचपन से ही अन्याय के खिलाफ लड़ते थे
तथा नर संहार रोकने का भरपूर प्रयास करते थे तथा समझौता भी करते थे वो तभी लड़ते थे जब दुष्ट प्रवृत्ति वाला लड़ने के लिए बाध्य कर देता था ।
महाराज जी ने बताया कि सिंधु राजा कला यवन की धमकी के कारण उन्हें मथुरा से द्वारका की ओर पलायन करना पड़ा तथा उन्होंने
गोमंतका पहाड़ी (अब गोवा) पर ‘वैनथेय’ जनजातियों की मदद से ‘जरासंध’ को हराया। फिर 16 साल की उम्र में अपनी स्कूली शिक्षा शुरू करने के लिए वे उज्जैन के सांदीपनि ऋषि के आश्रम चले गए।
रामनारायण दास ने कहा कि श्री कृष्ण कभी कोई चमत्कार नहीं किया। उनका जीवन सफल नहीं रहा। एक भी क्षण ऐसा नहीं था जब वह जीवन भर शांति से रहे। हर मोड़ पर उनके सामने चुनौतियाँ थीं और उससे भी बड़ी चुनौतियाँ।
उन्होंने जिम्मेदारी की भावना के साथ हर चीज और हर किसी का सामना किया और फिर भी अनासक्त बने रहे। उन्होंने बताया कि
वह मनुष्य रूप में एकमात्र ऐसे व्यक्ति हुए जो भूत और भविष्य को जानता थे; फिर भी वे हमेशा उस वर्तमान क्षण में रहते थे। इसलिए
वह और उनका जीवन वास्तव में हर इंसान के लिए उदाहरणीय और अनुकरणीय है। इस मौके पर उपेंद्र सिंह,कमलवास दुबे ,अर्जुन कुशवाह सहित काफी संख्या में भक्त गण उपस्थित थे ।
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