इस मंदिर में चढ़ता है लिंग का चढ़ावा,होता है यह लाभ
श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्क:
“सुनने और पढ़ने में कुछ अटपटा जरूर लग सकता है लेकिन यह पूरी तरह सच है कि इस मंदिर में लिंग का चढ़ावा चढ़ता है। मंदिर के आस-पास पहुंचने पर ही आपको यहां का अनोखापन हैरान कर देगा। मंदिर के आस-पास आपको लड्डू और मिठाइयों की दुकानें नजर नहीं आएंगी। यहां दुकानों पर आपको लकड़ी के बने हुए रंग-बिरंगे लिंग दिख जाएंगे जिन्हें खरीदकर लोग देवी को भेंट करते हैं।
यह अनोखा मंदिर थाइलैंड में स्यान नदी के किनारे बैंकाक में बना हुआ है। यह एक मठ है जिसमें चाओ माई तुप्तिम की पूजा होती है। श्रद्धालु इन्हें लकड़ी, पत्थर रबड़ के बने लिंग भेंट के रूप में लोग चढ़ाते हैं। इस परंपरा की शुरुआत कैसी हुई इसको लेकर कोई ठोस और अस्पष्ट जानकारी लोगों के पास नहीं है।
लिंग चढ़ाने की परंपरा और कथाएक कथा के अनुसार नाइ लर्ट नामक के व्यक्ति ने इस धारणा के कारण यहां पर एक मंदिर बनावा दिया कि यहां वृक्ष पर किसी पवित्र आत्मा का निवास है। लोग यहां पर सुगंधित फूल, चंदन चढ़ाते थे।
एक बार किसी महिला ने संतान प्राप्ति की इच्छा से यहां पर लकड़ी का लिंग भेंट किया उसके बाद वह गर्भवती हो गई। एक दूसरे से सुनकर इस कहानी का प्रचार होता चला गया और यहां लिंग चढ़ाने की परंपरा शुरू हो गई।
दुआचाओ माई को बुद्ध पूर्व काल की एक वृक्ष-देवी माना जाता है। चाओ माई तुप्तिम को प्रजनन शक्ति की देवी माना जाता है। इस मंदिर में पूर्वी एशिया के कई देशों सहित थाईलैंड से श्रद्धालु आकर अपने लिए प्रजनन शक्ति की प्रार्थना करते हैं और इन्हें चढ़ावे के रूप में लिंग भेंट करते हैं।
गौरतलब है कि प्रचीन सिंधु घाटी सभ्यता में भी लिंग और योनि पूजा के प्रमाण पाए गए हैं, इसी तरह यह मंदिर भी उसी प्राचीन संस्कृति की पहचान माना जाता है। लोगों में इस मंदिर और देवी चाओ माई के प्रति गहरी आस्था और विश्वास है। ऐसा कहा जाता है कि श्रद्धालुओं को यहां आकर संतान सुख की प्राप्ति होती है। मंदिर में चमेली के पुष्प की माला, अगरबत्ती और कमल के फूल की कलियां भी अर्पित की जाती हैं। चाओ माई को नर्तकी, घोड़े और हाथी की प्रतिमा भी लोग भेंट करते हैं।
मंदिर के लोग बताते हैं कि जो भी लोग पहली बार इस मंदिर में आते हैं वह यहां पर चढ़ाए जाने वाले लिंग की आकृतियां देखकर कभी-कभी असहज भी महसूस करते हैं। हालांकि थाई संस्कृति की सभ्यता से ताल्लुक रखने वाले लोग काफी खुले विचारों के हैं और आस्था की दृष्टि से मंदिर में लकड़ी से बने लिंग का चढ़ाया जाना उन लोगों के लिए सामान्य बात है। थाई संस्कृति में लिंग को लकी चार्म भी मानते हैं इसलिए लोग छोटे आकार के लिंग भी धारण करते हैं। लिंग को यहां ना सिर्फ संतान सुख से जोड़कर देखा जाता है बल्कि इसे सुख-समृद्धि से भी जोड़कर देखा जाता है। बौद्ध धर्म में आस्था रखने वाले थाई लोग अपने घर के आगे भी लिंग की आकृति लगते हैं ताकि घर में समृद्धि बनी रहे।
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