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भोजपुरी भाषा के बिना साहित्य सृजन संभव नहीं-डॉ हरेंद्र - श्रीनारद मीडिया

भोजपुरी भाषा के बिना साहित्य सृजन संभव नहीं-डॉ हरेंद्र

भोजपुरी भाषा के बिना साहित्य सृजन संभव नहीं-डॉ हरेंद्र

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भोजपुरी को संविधानिक मान्यता के लिए बुलंद हुआ आवाज

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

सीवान जिले के महाराजगंज  में राष्ट्रीय भोजपुरी संस्थान के पांचवा राष्ट्रीय अधिवेशन 8-9 अप्रैल को बड़े ही धूमधाम से संपन्न हुआ । इस आयोजन में मुख्य रूप से देश के सात प्रदेश के भोजपुरी भाषा से जुड़े आंदोलन के प्रतिनिधि सहित नेपाल बिहार तथा उत्तर प्रदेश के 19 जिला के प्रतिनिधि ने भाग लिया । इस अधिवेशन में भोजपुरी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए एक सुर से प्रस्ताव को पारित किया गया। अधिवेशन में मुख्य रूप से पांच प्रस्ताव पारित किए गए।

1.भोजपुरी भाषा को संविधान में आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए,

२.विभिन्न प्रदेशों में भोजपुरी अकादमी का गठन एवं संचालन किया जाए.

3.भोजपुरी भाषा को आम जनमानस के साथ जोड़ने के लिए व्यवसायिक दृष्टिकोण से पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन किया जाए ,

4. भोजपुरी भाषा को संवैधानिक मान्यता नहीं दिलाने पर सरकार के खिलाफ लोकतांत्रिक तरीके से विरोध किया जाएगा,और
5. इस अधिवेशन में भाषा और संस्कृति के विकास के लिए किए गए प्रयास को और आगे ले जाया जाएगा ।

इस अधिवेशन का उद्घाटन माननीय सांसद श्री जनार्दन सिंह सिग्रीवाल ने किया ।वही मुख्य अतिथि के रूप में नवनिर्वाचित बिहार विधानसभा सदस्य डा वीरेंद्र नारायण यादव,विशिष्ट अतिथि जीप अध्यक्षा श्रीमती संगीता चौधरी,मुख्य पार्षद शारदा देवी,उपमुख्य पार्षद सुनीता देवी, डॉ गुरुचरण सिंह, श्री महामाया प्रसाद बिनोद, डॉ रविन्द्र त्रिपाठी, डॉ लालबाबु यादव, डॉ दिवाकर राय,भोला प्रसाद आग्नेय,प्रदीप सिंह भोजपुरिया,प्रकाश प्रियांशु,प्रो शिवनंदन जायसवाल, भोजपुरी के व्यंगकार गीतकार आनंद मोहन सहित अन्य साहित्यकार उपस्थित रहे।
अधिवेशन के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता राष्ट्रिय अध्यक्ष डॉ हरेंद्र सिंह एवम आगत अतिथियों का स्वागत स्वगताध्यक्ष हरिशंकर आशीष,संचालन कार्यकारी अध्यक्ष डॉ उमाशंकर साहू एवम धन्यवाद ज्ञापन दिनेश गुप्ता ने किया।

उद्घाटनकर्ता सांसद सिग्रीवाल जी ने कहा कि भोजपुरी को मान्यता देने के लिए हर संभव बात मैं सांसद के पटल पर रखूंगा। सरकार पर हम कैसे दबाव बनी यह एकजुट हो कर भोजपुरी संगठनों को निर्णय लेना होगा। मुख्य अतिथि डॉ वीरेन्द्र नारायण यादव ने संगठन के कार्यों को सराहते हुए भोजपुरी में होने वाले विभिन्न संगठनों के आंदोलनों और प्रयासों को संगठित निर्णय एवम सही नीति के साथ सरकार पर दबाव बनाने की अपील की। अध्यक्ष डा हरेंद्र सिंह ने आगे की रणनीति पर संगठन को विस्तारित करने की बात की जिससे आंदोलन को व्यापक किया जा सके। वही हास्य व्यंग के फिल्म जगत के मशहूर कलाकार श्री आनंद मोहन सके लिए आकर्षण के केंद्र रहे जो अपनी अलग अंदाज से लोगो को गुद गुदाया।


खुला अधिवेशन सत्र में भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने पर हुआ विचार

विभिन्न प्रदेश से आए प्रतिनिधियों के द्वारा खुला अधिवेशन सत्र में भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए आने वाली समस्याएं नीति और कार्य योजनाओं के बारे में चर्चा किया गया । खुला अधिवेशन सत्र के विषय को विस्तृत रूप से रखते हुए डॉ लाल बाबू यादव ने कहां कि भोजपुरी आदिकाल से बोले जाने वाली और लिखी जाने वाली पौराणिक भाषा है जो आम जनमानस और भोजपुरी प्रदेश में गरीब गुरबा के पूर्वज बोलते आ रहे हैं ।

सरकार इसे आठवीं अनुसूची में शामिल ना करके देश के लगभग 25 करोड़ भोजपुरी भाषा भाषी को अपने अधिकार से वंचित कर रही है। वही नेपाल से आए प्रतिनिधि ने भोजपुरी को नेपाल में राजकीय भाषा की दर्जा प्राप्त करने के लिए हो रहे विभिन्न प्रकार के प्रयासों के बारे में बताया। मुख्य वक्ता गुरु चरण सिंह ने समृद्धि भोजपुरी साहित्य चिंतन और आवश्यक पहलुओं को गिनाते हुए सरकार के सभी मानकों को पूरा करते हुए इसके प्रभाव को लोगों के बीच रखा और कहा कि सरकार अब इसे मान्यता देने में काफी देर कर रही है ।

कोलकाता से आए प्रतिनिधि प्रशांत प्रियांशु ने पश्चिम बंगाल में भोजपुरी के विकास और भोजपुरी अकादमी के लिए किए गए प्रयासों को मंच से लोगों के बीच रखा, वही सांस्कृतिक सामाजिक और देश के विकास में भोजपुरी भाषा के योगदान को विस्तृत रूप से रखा। इसके अतिरिक्त बिहार और उत्तर प्रदेश के जिलों से आए प्रतिनिधियों ने भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए इसके समर्थन में अपनी बातों को रखा। सत्र का संचालन महासचिव डा कुमार कौशल तथा धन्यवाद ज्ञापन अनिल कुमार गुप्ता ने किया।

सांध्य समय श्री दिलीप सिंह पत्रकार के निर्देशन में भव्य रंग परंपरा सांस्कृतिक जुलूस महाराजगंज के विभिन्न सड़क चौराहों से गुजारा तो शहर के लोगों में उत्साह और भोजपुरी के आंदोलन के प्रति एक अद्भुत उत्साह देखने को मिला। इस रंग जुलूस में भोजपुरी परिधान धोती कुर्ता और गमछा के साथ लगभग 200 प्रतिनिधि आकर्षण का केंद्र बने हुए थे जबकि बैलगाड़ी खोज सिंगर और विभिन्न प्रकार की जीवंत झांकियां बैंड बाजों के साथ शहर के लोगों को अपनी तरफ खींच रहे थे इस अद्भुत सांस्कृतिक रंग यात्रा में लगभग 1000 लोगों ने हिस्सा लिया।

संस्कृति सत्र में सोनम मिश्र और रमेश सजल में बंधा सम्मा प्रथम दिन के रात्रि सत्र में सांस्कृतिक कार्यक्रम सोनम मिश्रा और टीम ने लोगों को भोजपुरी और पारंपरिक गीत नृत्य के साथ खूब मनोरंजन कराया लोक गायक रमेश से जलने अपने भक्ति भोजपुरी अंदाज में लोगों को एक स्वस्थ मनोरंजन के लिए प्रेरित किया इसके साथ ही सुनीता साक्षी रोशनी गोस्वामी प्रणव प्रयाग के कार्यक्रमों को भी लोगों ने खूब सराहा। इस सत्र का संचालन कवि साहित्यकार अभिषेक भोजपुरिया ने किया।

सम्मेलन के दूसरे दिन विभिन्न प्रदेशों से आए हुए प्रतिनिधियों और जिला प्रतिनिधियों के साथ सांगठनिक बैठक किया गया। जिसमें सर्व समिति से भोजपुरी के लिए काम कर रहे हैं विभिन्न संगठनों के बीच संबंध स्थापित करने के लिए एक कमेटी बनाई गई जिसके लिए समन्वयक के रूप में बलिया के श्री फतेहचंद बेचैन सह समन्वयक के रूप में आरा के डॉक्टर नरेंद्र सिंह तथा छपरा से डॉक्टर हरेंद्र सिंह का नाम प्रस्तावित एवं स्वीकृत किया गया ।

इस दौरान युवा इकाई का गठन करते हुए श्री प्रफुल्ल तिवारी बेतिया को युवा अध्यक्ष बनाया गया और साथ ही महिला इकाई का भी गठन किया गया जिसमें बलिया के श्री रेखा कुमारी को महिला अध्यक्ष और छपरा की रंजीता प्रियदर्शनी को महिला महासचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई।

दूसरे सत्र में भोजपुरी भाषा का मानकीकरण विषय पर परिचर्चा श्री भोला प्रसाद आग्नेय की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। विषय परवर्तन डॉ कुमार कौशल ने किया मुख्य वक्तव्य डॉ दिवाकर राय डॉ गुरुचरण सिंह डॉ आदित्य कुमार अंशु प्रदीप भोजपुरिया ने दिया।
तीसरे सत्र विचार गोष्ठी “भोजपुरी कहानियों का आंचलिक प्रभाव” पर श्री महामाया प्रसाद बिनोद ने कहियो के प्रभाव और स्वरूप की व्याख्या किया। डॉ उमाशंकर साहू ने पूरे के कहानियों के स्वरूप और उसके प्रभाव पर अपनी बात रखी। अध्यक्षता श्री महामायाप्राद बिनोद ने किया एवम संचालन प्रकाश प्रियांशु ने किया।

कवि सम्मेलन की अध्यक्षता सोमनाथ जी सोमेश जी ने किया वहीं दो दर्जन से अधिक कवियों ने काव्य पाठ किया । संचालन बेतिया के प्रशांत सौरभ ने किया।
सम्मान समारोह में विशिष्ट लोगो को किया गया सम्मानितसंस्थान द्वारा संचालित विभिन्न सम्मान देश के वरिष्ठ साहित्यकार कवियों को दिया गया
डॉ बच्चू पाण्डेय साहित्य सम्मान – श्री चतुर्भुज नाथ मिश्र
डॉ वैधनाथ विभकर साहित्य सम्मान- शिवनंदन जायसवाल,नेपाल
डॉ प्रभूनाथ सिंह भोजपुरी सेवा सम्मान – हीरालाल अमृतपुत्र
जनकवि जामदार भाई सम्मान- डॉ गुरुचरण सिंह
स्वर्णलता देवी स्वतंत्रता सेनानी सम्मान- श्री नरेंद्र सिंह
रघुनाथ सिंह विसारद कवि साहित्य सम्मान- महामाया प्रसाद बिनोद।
भिखारी ठाकुर सेवा सम्मान प्रदीप सिंह भोजपुरिया – टाटानगर

मालूम हो कि यह सम्मान प्रत्येक वर्ष भोजपुरी साहित्य एवम कविता के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए दिया जाता है।
अंतिम सत्र में समापन का रहा जिसको संबोधित करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ हरेंद्र सिंह ने कहा कि यह अधिवेशन भोजपुरी भाषा के आंदोलन के लिए मिल का पत्थर साबित होगा और सफल नेतृत्व के लिए जाना जाएगा। कार्यकारी अध्यक्ष में महाराजगंज के जनता ,प्रतिनिधियों सामाजिक कार्यकर्ता और परोक्ष अपरोक्ष रूप से सहयोग करने वाले मीडिया व प्रशासन के प्रति आभार व्यक्त किया।

सांस्कृतिक सत्र का उद्घाटन कुंवर वाहिनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जितेंद्र स्वामी ने करते हुए माननीय पूर्व सांसद उमाशंकर बाबू के भोजपुरी में किए गए योगदान को याद किया।  बाद में कोलकाता से आई प्रियंका सिंह ने अधिवेश के अंतिम क्षण को यादगार बना दिया। साथ ही राजू सिंह,सुनीता साक्षी,सोनम मिश्रा,रमेश सजल ने लोगो को अपनी प्रस्तुति से झूमने पर मजबूर किया।

दिलीप सिंह पत्रकार ने अंत में सम्मेलन की सम्मति की घोषणा यह कहते हुए किया की यह महाराजगंज के लिए गौरव की बात है की ऐसे संस्कृति और साहित्यिक आयोजन हुआ।

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