लॉकडाउन ने बढ़ाई भावी मुखिया और सरपंच की टेंशन!

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नहीं हुआ पंचायत चुनाव, 31 जुलाई तक लौटानी है इवीएम.

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बिहार सरकार द्वारा पंचायत चुनाव की तिथियों की घोषणा में विलंब होने से पंचायत चुनाव के विभिन्न पदों पर अपनी किस्मत आजमाने की फिराक में बैठे प्रत्याशियों में बेचैनी बढ़ी शुरू हो गयी है. वाल्मीकिनगर क्षेत्र सहित पूरे देश में फैले कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के दूसरे चरण में बढ़ रहे तेजी से संक्रमण को देखते हुए राज्य सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन के तहत सभी प्रकार की सामाजिक गतिविधियों पर रोक लगा दी गयी है. लौकडाउन को पुनः विस्तारित करते हुए 1 जून तक इसकी तिथि तय कर दी गयी है.

जिसमें सामाजिक दूरी बनाए रखना नितांत आवश्यक है. संक्रमण से पहले क्षेत्र में पंचायत चुनाव के विभिन्न पदों पर अपनी किस्मत आजमाने वाले प्रत्याशियों द्वारा पंचायत क्षेत्र में लगातार विभिन्न क्रियाक्लापों में दिन रात एक करते हुए जन संपर्क को तेज कर दिया गया था. कुछ मतदाताओं के द्वारा चतुराई दिखाते हुए तमाम पदों के उम्मीदवारों से अपनी समस्याओं को दर्शाते हुए उम्मीदवारों का दोहन जारी था.

उम्मीदवार भी मई 2021 तक चूनाव पुरा होने की आस में हर तरीके का पैंतरा और चाल आजमा रहे थे. किंतु अब मई महीने के अंत तक भी चुनाव की तिथि राज्य सरकार द्वारा कोरोना संक्रमण और ब्लैक फंगस महामारी को देखते हुए निर्धारित नहीं करने से वैसे उम्मीदवारों के आशा की किरण टूटती नजर आ रही है जो प्रलोभनों के बदौलत जीतने की उम्मीद लगाये बैठे हैं. वैसे तमाम उम्मीदवारों की बेचैनी चुनाव की तिथि निर्धारित नहीं होने से बढ़ने लगी है.

बिहार में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में लगातार पेच फंसता जा रहा है. राज्य में करीब ढाई लाख जनप्रतिनिधियों के लिए निर्धारित पंचायत आम चुनाव नहीं हुआ. इधर, अब राज्य निर्वाचन आयोग को 31 जुलाई, 2021 तक पंचायत चुनाव कराकर इवीएम लौटानी है. राज्य निर्वाचन आयोग की बाध्यता है कि पंचायत चुनाव के लिए अगर दूसरे राज्यों से इवीएम मंगायी गयी है, तो उसको 31 जुलाई तक लौटा देनी है.

भारत निर्वाचन आयोग ने राज्य निर्वाचन आयोग को इस शर्त पर इवीएम के माध्यम से पंचायत चुनाव कराने की अनुमति दी थी कि वह दूसरे राज्यों से आवंटित की गयी इवीएम को 31 जुलाई तक वापस लौटा देनी है. पंचायत चुनाव के लिए इवीएम की आपूर्ति दूसरे राज्यों से प्राप्त की जानी थी. इसमें राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु आदि राज्य शामिल थे.

राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा इवीएम के माध्यम से पंचायत चुनाव का फिर से कार्यक्रम निर्धारित किया जाता है, तो इवीएम को लेकर दूसरे राज्य इसके लिए तैयार नहीं होंगे. जानकारों का कहना है कि भारत निर्वाचन आयोग ने 31 जुलाई तक इवीएम लौटाने की शर्त इसलिए लगायी थी कि जिन राज्यों द्वारा इवीएम की आपूर्ति की जानी है वहां पर भी पंचायतों का चुनाव कराना है.

राजस्थान और महाराष्ट्र में पंचायत चुनाव कोरोना के कारण रुका हुआ है. कोरोना महामारी के समाप्त होने के बाद महाराष्ट्र और राजस्थान अपना-अपना पंचायत आम चुनाव करायेंगे, तो वे इवीएम देने को तैयार नहीं होंगे. इधर, तमिलनाडु और कर्नाटक में पंचायत आम चुनाव होनेवाले हैं. इस परिस्थिति में बिहार के पंचायत चुनाव के लिए पर्याप्त संख्या में इवीएम मिलना संभव नहीं है.

मालूम हो कि राज्य में एक लाख 20 हजार बूथों पर चुनाव कराया जाना है. इसके लिए सात लाख 20 हजार कंट्रोल यूनिट और सात लाख 20 हजार बैलेट यूनिट की आवश्यकता है. अधिक चरण में चुनाव कराये जाने पर इसकी संख्या कम भी हो सकती है.

मंत्री ने कहा, आयोग को करना है तय

पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने बताया कि पंचायत आम चुनाव कराने की जिम्मेदारी राज्य निर्वाचन आयोग पर है. आयोग ही तय करेगा कि चुनाव कब कराया जाना है. उन्होंने कहा कि सरकार का काम है कि पंचायत चुनाव के लिए जितने भी आवश्यक संसाधन हैं उसे उपलब्ध करा दिया जाये.

30 जून तक समाप्त हो जायेगा पंचायतों का कार्यकाल

राज्य में त्रिस्तरीय पंचायतों का कार्यकाल 10 से 30 जून तक समाप्त हो जायेगा. पंचायत प्रतिनिधियों का जून 2016 में विभिन्न तिथियों को शपथ ग्रहण किया गया था. ऐसे में जिन प्रतिनिधियों का कार्यकाल 10 जून से 30 जून के बीच पूरा हो जायेगा, वहां की पंचायतें स्वत: भंग हो जायेंगी.

राज्य में फिलहाल 8000 ग्राम पंचायतें हैं, जहां पर आठ हजार मुखिया व सरपंच का कार्यकाल समाप्त हो जायेगा. इसी प्रकार से राज्य में एक लाख 10 हजार वार्डों में निर्वाचित वार्ड सदस्य और ग्राम कचहरी के पंचों का कार्यकाल भी समाप्त हो जायेगा. इसके साथ ही पंचायत समिति के 11490 और जिला परिषद सदस्य के 1161 पदों का कार्यकाल भी 30 जून तक समाप्त हो जायेगा.

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