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लोक की दीपावली:लोक की दीया। - श्रीनारद मीडिया

लोक की दीपावली:लोक की दीया।

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लोक का दीपोत्सव: हमारा दीया।

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

असतो मा सद्गमय ज्योतिर्गमय…..

दीया हमारे सनातन समाज का प्रतीक है। यह हमारे अंदर के अंधकार तमस को मिटाकर ज्योतिपुंज में ले जाता है। सृष्टि चक्र में पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध में कार्तिक मास वर्ष का सबसे अंधकार मय महीना है। यह सूर्य के दक्षिणायन यानी दक्षिण की ओर बढ़ने का भी प्रतीक है। भारतीय संस्कृतियों के लिए दिवाली का त्यौहार ही नए साल की शुरुआत का प्रतीक है।

“दीपावली” शब्द का अर्थ होता है “दीपों की श्रृंखला”. यह शब्द बना है “दीप” और “आवली” को जोड़ कर जिन्हें संस्कृत भाषा के शब्दों से लिया गया है.समृद्धि के लिए देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है और विघ्नहर्ता भगवन गणेश की भी साथ ही पूजा अर्चना होती है।

भगवान बुद्ध ने कहा है- अप्प दीपो भव, अर्थात स्वयं के लिए प्रकाश बनो। ज्ञान का प्रकाश फैलाने के लिए यह दीपावली आती है। प्रकाश हमारी स्वाभाविक मांग है, इसलिए दिवाली आत्मा के प्रकाश का त्यौहार है।

दीपावली की रात्रि में मां काली की पूजा पूरे विधि-विधान के साथ होती है। मां काली ज्ञान की प्रतीक है। मां एक ऐसी ऊर्जा है जिसकी वर्णन हम बुद्धि से नहीं कर सकते, केवल अनुभव कर सकते हैं।

दीपावली पर हम धन की देवी मां लक्ष्मी का आवाह्न करते हैं। उनका आशीर्वाद मांगते है। धन,वैभव, ऐश्वर्य प्रसन्नता का प्रतीक है, सुख का पोषक है। मां लक्ष्मी वाह्य पूजा के अपेक्षा आंतरिक शुचिता पर अधिक प्रसन्न होती है। दिवाली उत्सव देवी लक्ष्मी की मुक्ति का भी प्रतीक है, जिन्हें राजा बलि ने कैद कर लिया था। भगवान विष्णु ने भेष बदलकर उन्हें राजा से बचाया, जिससे कई क्षेत्रों में दिवाली का हर्षोल्लास मनाया जाने लगा, क्योंकि यह लोगों के घरों में पूजनीय देवी लक्ष्मी के आगमन का प्रतीक है। कई लोगों का मानना है कि वह आने वाले वर्ष में उन्हें धन और समृद्धि का आशीर्वाद देंगी।

भगवान श्री राम आज ही के दिन लंका से अयोध्या लौटे थे। यह दिवस असत्य पर सत्य के विजय का प्रतीक है। अपने ग्राम को स्वर्ग से मनोरम होने की बात श्री राम लक्ष्मण भैया से करते हैं।

“अपि स्वर्णमयी लंका न मे लक्ष्मण रोजते।
जननी जन्मभूमिशच स्वर्गादपि गरीयसी।।”

दीपावली प्रकाश का पर्व है। धर्म विजय के प्रति समर्पित जन मानस के लिए यह प्रेरणापुंज है। पंचतत्व का प्रतीक यह दीया जल, पृथ्वी, अग्नि, वायु और अंबर का ही रूप है। यह दीया हमारी ऊर्जा चक्र को जागृत करता है। वैदिक युग से ही दीपक प्रज्वलित करने की परंपरा है। दीप प्रज्वलन वास्तव में अग्नि तत्व की आराधना है। यह पवित्रता का भी प्रतीक है।

द्वापर युग में श्री कृष्ण द्वारा नरकासुर राक्षस का वध करने पर दीया जलाया गया था। अग्नि पुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण,देवी पुराण और उपनिषदों में दीप प्रज्वलित करने का प्रावधान है। यह पर्व हमारी सभ्यता और संस्कृति की गौरव गाथा है, इसलिए दीपावली हमारे राष्ट्र का उज्जवल उद्योग-पर्व भी है। आज की दीपावली उत्सव हमारी इसी नवयुग प्रवेश का प्रतीक है।

दीये के नाम पर शास्त्रीय संगीत में ‘दीपक राग’ की भी विधा है। राजा चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ईसा के 57 वर्ष पहले इसी दीपावली के दिन विक्रम संवत की शुरुआत की थी। इसके 135 वर्ष बाद यानी 78 ईस्वी में कनिष्क के काल में शक संवत् प्रारंभ हुआ जो आज भी भारत का राष्ट्रीय कैलेंडर है जिसकी शुरुआत चैत मास में होती है।

दीपावली केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं है बल्कि इसका सामाजिक, आध्यात्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और आर्थिक महत्व  है। जैन धर्म के लोग दीपावली के त्यौहार को इसलिए मनाते हैं क्योंकि चौबीसवें तीर्थंकर, महावीर स्वामी को इस दिन मोक्ष की प्राप्ति हुई थी और संयोगवश इसी दिन उनके शिष्य गौतम को ज्ञान प्राप्त हुआ था।

सिख धर्म के लोग भी इस त्यौहार को बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं। वे लोग त्यौहार को इसलिए मनाते है क्योंकि इसी दिन ही अमृतसर में 1577 में स्वर्ण मन्दिर का शिलान्यास हुआ था। साथ ही सिक्खों के छठे गुरु हरगोबिन्द सिंह जी को भी इसी दिन ग्वालियर की जेल से जांहगीर द्वारा रिहा किया गया था। आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानन्द तथा प्रसिद्ध वेदान्ती स्वामी रामतीर्थ ने इसी दिन मोक्ष प्राप्त किया था। इस त्योहार का संबंध ऋतु परिवर्तन से भी है। इसी समय शरद ऋतु का आगमन लगभग हो जाता है।

दीपावली का त्यौहार पांच दिनों तक चलता है।

पहले दिन धनतेरस होता है

– दूसरा दिन नरक चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है,

तीसरा दिन दीपावली त्यौहार का मुख्य दिन होता है।

चौथे दिन को गोवर्धन पूजा की जाती है,और

आखिरी दिन भाई दूज के रूप में मनाया जाता है।

दीपावली अपने अंदर के अंधकार को मिटा कर समूचे वातावरण को प्रकाशमय बनाने का त्यौहार है।

“दीप ज्योति परम जयोति दीप ज्योति जनार्दन:
दीपो हरतु मे पापं दीप जयोति नमोस्तुते।
शुभं करोति कल्याणं आरोग्यं धनसम्पदा”।।

दीपावली की ढ़ेर सारी शुभकामनाएँ।

 

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