एक छात्रा के लिए आधी रात में मद्रास हाईकोर्ट ने की सुनवाई, क्या है पूरा मामला.

एक छात्रा के लिए आधी रात में मद्रास हाईकोर्ट ने की सुनवाई, क्या है पूरा मामला.

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow

तिरंगे और अशोक चक्र वाला केक काटने पर मद्रास हाई कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला.

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

एक छात्रा के लिए मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court) ने आधी रात को एक केस की सुनवाई की. मामला राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) से जुड़ा है. मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै पीठ ने एक छात्रा के नीट के प्रवेश पत्र में किसी अन्य उम्मीदवार की तस्वीर लगे होने के मामले में विशेष सुनवाई करते हुए उसके बचाव में आयी. उसे इस परीक्षा में बैठने की अनुमति भी दी.

शनिवार को मदुरै क्षेत्र की वी षणमुगप्रिया ने जब अपना प्रवेश पत्र (हॉल टिकट) इंटरनेट से डाउनलोड किया, तो उसमें अपनी तस्वीर और हस्ताक्षर के स्थान पर एक पुरुष उम्मीदवार की तस्वीर देखकर चौंक गयी, जबकि अन्य सभी प्रविष्टियां सही थीं. मदद के लिए अधिकारियों से संपर्क करने की उसकी सारी कोशिशें नाकाम हो गयीं.

चूंकि उसे परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जाती, इसलिए उसके पिता ने शनिवार शाम एक याचिका के साथ उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ का रुख किया. मामले की गंभीरता को देखते हुए न्यायमूर्ति सुरेश कुमार ने रात करीब नौ बजे विशेष सुनवाई में इस पर विचार किया. आधी रात तक अदालत में बहस चलती रही. देर रात करीब एक बजे न्यायाधीश ने अंतरिम आदेश जारी किया और अधिकारियों को छात्रा को परीक्षा में बैठने की अनुमति देने का निर्देश दिया.

अदालत ने मदुरै के एक कॉलेज के परीक्षा केंद्र के पर्यवेक्षकों और प्रभारी अधिकारियों सहित अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे याचिकाकर्ता की बेटी षणमुगप्रिया को बिना किसी आपत्ति के रविवार को नीट स्नातक (यूजी), 2021 की परीक्षा में बैठने की अनुमति दें, क्योंकि प्रवेश पत्र में उसकी तस्वीर और हस्ताक्षर के स्थान पर गलती से एम एलेक्सपांडियन नाम के उम्मीदवार की तस्वीर और हस्ताक्षर दिख रहे थे.

अदालत ने कहा, हालांकि षणमुगप्रिया को उम्मीदवारों के लिए निर्धारित अन्य सभी आवश्यक निर्देशों का पालन करना होगा. न्यायाधीश ने कहा कि प्रतिवादी अधिकारी इस आदेश को अमल में लायेंगे और वे मुख्य रिट याचिका में जल्द से जल्द कोई आपत्ति या जवाब दाखिल करने के लिए स्वतंत्र हैं और इसके लिए दो सप्ताह का समय दिया जाता है.

मद्रास उच्च न्यायालय (Madras High Court) ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा है कि तिरंगे और अशोक चक्र के डिजाइन वाला केक काटना न तो असंगत है और न ही राष्ट्रीय सम्मान अधिनियम 1971 के तहत राष्ट्रीय ध्वज का अपमान है. बता दें कि यह मामला 2013 से कोर्ट में चल रहा था.

सेंथिल कुमार ने क्रिसमस के अवसर पर तिरंगे वाला 6.5 फीट का केक काटने और 2500 से अधिक मेहमानों के बीच बांटने को लेकर शिकायत दर्ज करायी थी. जिस कार्यक्रम में ये केक काटा गया था, उसमें कोयम्बटूर के जिला कलेक्टर, पुलिस उपायुक्त और विभिन्न अन्य धार्मिक नेताओं और गैर सरकारी संगठनों के सदस्य शामिल हुए थे. इसी मामले पर सुनवाई करते हुए मद्रास हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है. दरअसल, करीब 8 साल पहले देशभक्ति और राष्ट्रीय गौरव को आहात पहुंचाने के लिए तिरंगे के नक्शे के साथ केक काटने को अपमान बताया था. जिसे न्यायमूर्ति एन आनंद वेंकटेश ने सोमवार को खारिज करते हुए केस को समाप्त कर दिया.

जस्टिस एन आनंद वेंकटेश ने सुनवाई करते हुए कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में राष्ट्रवाद बहुत महत्वपूर्ण है. लेकिन, एक देशभक्त सिर्फ वहीं नहीं होता है, जो ध्वज को उठाता है. अपनी हाथ, कलाई या बांह में पहनता है. कोर्ट ने आगे कहा कि राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक देशभक्ति का पर्यायवाची नहीं है, ठीक उसी तरह जैसे केक काटना कोई असंगत नहीं है.

कोर्ट ने आगे कहा कि जिस कार्यक्रम में केक काटा गया था, उसमें शामिल किसी भी लोग ने किसी भी तरह से राष्ट्रवाद का अपमान नहीं किया. आपराधिक कार्रवाई खारिज करते हुए जस्टिस एन आनंद वेंकटेश ने आगे कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत जैसे लोकतंत्र में राष्ट्रवाद बहुत महत्वपूर्ण है.

Leave a Reply

error: Content is protected !!