महाकुंभ 2025: अनोखे बाबाओं की अनोखी दुनिया
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
महाकुंभ 2025 का आयोजन इस बार अद्भुत नजारे पेश कर रहा है। हर बार की तरह इस बार भी यहां साधु-संतों की अलग-अलग छवि और उनकी अनोखी जीवनशैली श्रद्धालुओं और सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी हुई है। इनमें से कुछ बाबा अपनी अनूठी साधना और खास अंदाज के लिए वायरल हो रहे हैं।
• आईआईटी वाले बाबा
महाकुंभ में जूना अखाड़े के शिविर में रहने वाले अभय सिंह को लोग आईआईटी वाले बाबा के नाम से जानते हैं। आईआईटी से पढ़ाई करने के बाद उनका साधु जीवन की ओर झुकाव हुआ। हालांकि, उन्हें अभी दीक्षा नहीं मिली है, लेकिन उनकी लोकप्रियता इतनी है कि लोग दूर-दूर से उन्हें देखने आते हैं।
• कांटे वाले बाबा
महाकुंभ में कांटे वाले बाबा की तपस्या भी आकर्षण का केंद्र है। उनका दावा है कि वह पिछले 40 वर्षों से कांटों पर तपस्या कर रहे हैं। उनके इस कठिन साधना ने उन्हें श्रद्धालुओं के बीच खास पहचान दिलाई है।
• कबूतर वाले बाबा
महंत राजापुरी जी महाराज कबूतर बाबा के नाम से जाने जाते है। वे अपने सिर पर हमेशा एक कबूतर के साथ नजर आते हैं। यहां तक कि उन्होंने शाही स्नान में भी अपने कबूतर के साथ हिस्सा लिया। उनका यह अंदाज उन्हें महाकुंभ का एक चर्चित चेहरा बना रहा है।
• स्कॉर्पियो बाबा
सौराष्ट्र के द्वारिका से आए नागा साधु कुशपुरी स्कॉर्पियो बाबा के नाम से मशहूर हैं। वह स्कॉर्पियो गाड़ी के बोनट पर बैठकर श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते हैं। उनका यह अनोखा अंदाज उन्हें भक्तों के बीच खासा लोकप्रिय बना रहा है।
• लिलिपुट बाबा
57 वर्षीय संत गंगा गिरी ‘लिलिपुट बाबा’ के नाम से मशहूर है। वे अपनी तीन फुट से कम लंबाई और अनोखी साधना के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने पिछले 32 वर्षों से स्नान नहीं किया है। उनके अनुसार, उनके गुरु ने उन्हें दीक्षा के समय स्नान न करने का वचन दिलाया था।
• अनाज बाबा
अनाज बाबा अपनी सिर पर अनाज उगाने की अनोखी कला के लिए मशहूर हैं। उनके सिर पर बंधी पगड़ी में उगे अनाज को देखकर लोग हैरान रह जाते हैं। एक वीडियो में वह अपने सिर की पगड़ी खोलकर इसे दिखाते भी हैं। हालांकि एक अन्य वीडियो में वह पगड़ी खोलने की बात पर नाराज भी हो जाते हैं।
• रुद्राक्ष वाले बाबा
महंत गीतानंद गिरी पिछले छह वर्षों से 45 किलो वजन के रुद्राक्ष धारण किए हुए हैं। उनका कहना है कि उन्होंने 12 साल तक रुद्राक्ष धारण करने का संकल्प लिया है। उनकी यह साधना श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का विषय है।
• चाबी वाले बाबा
रायबरेली के रहने वाले हरिश्चंद्र विश्वकर्मा जी चाबी वाले बाबा के नाम से मशहूर है। वे अपने गले में 20 किलो से ज्यादा वजनी चाबियां लटकाए रहते हैं। इसके अलावा, उनके पास कई आकार-प्रकार की चाबियां भी होती हैं।
• पायलट बाबा
जूना अखाड़े के सोमेश्वर पुरी महाराज को पायलट बाबा के नाम से जाना जाता है। वह एयरफोर्स से रिटायर्ड हैं और बैंक में नौकरी भी कर चुके हैं। अब वह संन्यास जीवन जी रहे हैं। उनका यह अनूठा सफर श्रद्धालुओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
• रबड़ी वाले बाबा
गुजरात से आए महंत देवगिरी महाराज को रबड़ी वाले बाबा कहा जाता है। उनके शिविर में सुबह पूजा के बाद दूध का कड़ाहा चढ़ता है और वह श्रद्धालुओं को रबड़ी वितरित करते हैं। उनकी इस सेवा भावना ने उन्हें महाकुंभ में लोकप्रिय बना दिया है।
महाकुंभ का अनोखा आकर्षण
महाकुंभ 2025 में इन बाबाओं की अनोखी साधना और जीवनशैली ने न केवल श्रद्धालुओं को आकर्षित किया है, बल्कि सोशल मीडिया पर भी इन्हें खासा चर्चित बना दिया है। यह बाबाओं की दुनिया उनके विश्वास, तपस्या और समर्पण का अद्भुत उदाहरण है।
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