*मणिकर्णिका घाट पर भूत-पिशाच संग होली खेलने पहुंचे महादेव, जलती चिताओं के बीच चिता-भस्म से हुआ रंगोत्सव*
*श्रीनारद मीडिया / सुनील मिश्रा वाराणसी यूपी*
*वाराणसी* / ‘खेले मसाने में होरी दिगम्बर खेले मसाने में होरी, भूत पिशाच बटोरी, भूत पिशाच बटोरी दिगम्बर खेले मसाने में होरी। खेले मसाने में होरी दिगम्बर खेले मसाने में होरी।’ काशी के मणिकर्णिका घाट पर रंगभरी एकादशी के ठीकदूसरे दिन होने वाली चिता-भस्म की होली पर पद्मविभूषण पंडित छन्नूलाल मिश्र द्वारा गया यह गीत भगवान् भोले नाथ और उनके साथ भूत-पिशाचों द्वारा खेली गयी होली की याद दिलाता है। मान्यता के अनुरूप रंगभरी एकादशी पर महादेव काशी की जनता के संग गुलाल खेलते हैं तो उसके अगले दिन अपने भूत-पिशाच के साथ चिता-भस्म की होली खेलने मणिकर्णिका घाट पहुँचते हैं। गुरुवार की सुबह से ही बाबा मशाननाथ की विधि विधान पूर्वक पूजा का दौर शुरू हुआ तो चारों दिशाएं हर-हर महादेव से गूंज उठीं। इस होली के आयोजक और मशाननाथ मंदिर के व्यवस्थापक गुलशन कपूर ने बताया कि कहा जाता है कि काशी मोक्ष की नगरी है और मान्यता है कि यहां भगवान शिव स्वयं तारक मंत्र देते हैं। लिहाजा यहां पर मृत्यु भी उत्सव है और होली पर चिता की भस्म को उनके गण अबीर और गुलाल की भांति एक दूसरे पर फेंककर सुख-समृद्धि-वैभव संग शिव की कृपा पाते हैं।चिता भस्म की होली में शामिल शिव भक्त जमकर झूम उठे। भक्तों ने बाबा के संग जमकर मसान की होली खेली। पूरे विश्व में यह अनोखा दिवस है जहां जलती चिताओं के बीच लोग होली का उल्लास मनाते हैं।