लस्सी पीकर जीवन व्यतीत कर रहे महात्मा चिरंजीपुरी भोजन की कभी याद नहींआई
श्रीनारद मीडिया, वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक, हरियाणा
महात्मा चिरंजीपुरी पिछले 35 साल से लस्सी पीकर अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं। इस बीच उन्होंने फल,भोजन आदि का भी ग्रहण नहीं किया। यह प्रेरणा उनको अपने गुरु व संत महात्माओं की संगति से मिली। इसको वह संत महात्माओं का आशीर्वाद मान रहे हैं। जब इस बारे हमारे संवादाता ने महात्मा चिरंजीपुरी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि वह रात में सिर्फ एक बार लस्सी पीते हैं।
उसके बाद में पूरा दिन बिना भोजन के ही रहते हैं । चित्रकूट परमहंस अनुसूया आश्रम मध्य प्रदेश से उन्हें यह प्रेरणा मिली कि बिना भोजन के भी जीवन जिया जा सकता है। लोगों के ज्ञान में वृद्धि के लिए ज्ञान मंदिर निर्माणाधीन है जिसे वह अपनी अपनी मेहनत और लोगों के प्रयास से पूरा करवा रहे। इस ज्ञान मंदिर में 18 पुराण ,18 मील, 18 दिन महाभारत युद्ध, 18 मंजिल, 18 असुर सेना और 18 गोत्र का मिश्रण है ।
मंहत पुरी ने बताया कि यह ज्ञान मंदिर वह अपने गुरु भगवानानंद की प्रेरणा से बनवा रहे हैं। ज्ञान मंदिर का निर्माण एक करोड़ 35 लाख की राशि से तैयार होगा। उन्होंने बताया कि आज के मंदिर लोगों के लिए सेवा भाव ही नहीं बल्कि पैसे कमाने का साधन बन गया है। समाज ने आज के मंदिरों को आय का साधन मान लिया है। उन्होंने आज की राजनीति पर लोगों का ध्यान आकर्षण करने की बात कही है।
आज की राजनीति से लोगों में धर्म भाव नहीं रहा। लोग धर्म, जाति के आधार पर एक -दूसरे से भेदभाव करते रहते हैं। उन्होंने बताया कि सनातन में सभी धर्म का समान महत्व है । सभी धर्म सनातन धर्म की ही देन है। सभी धर्म का समान महत्व है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार देना चाहिए ताकि असमानता का भाव खत्म हो सके और सभी को धर्म का महत्व समझ आ सके।
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