महेंद्र मिश्र कला के एक कुशल साधक थे : डॉ अशोक प्रियंबद
पुस्तक का विमोचन के अवसर पर भोजपुरिया कवियों ने किया कविता पाठ
श्रीनारद मीडिया‚ एम सावर्ण‚ भगवानपुर हाट, सीवान (बिहार)
महेंद्र मिश्र आज भी भोजपुरी समाज के विद्वानों में प्रासंगिक है । महेंद्र मिश्र आजादी कि लड़ाई
के एक प्रखर योद्धा भी थे । लोक गायन के क्षेत्र में उनकी पहचान विश्व स्तर पर है । पूर्वी लोक गीत
के प्रवर्तक के रूप में अपनी पहचान समाज में छोड़ी है । यह बात इस्लामिया कालेज सिवान के हिंदी
के प्रोफेसर सह पत्रकार डॉ अशोक प्रियंबद्घ ने शनिवार को भगवानपुर के नगंवा गांव स्थित एक
सदा समारोह में महेंद्र मिश्र के जीवन पर आधारित स्व रामनाथ पांडेय द्वारा रचित औपन्यासिक कृति महेंदर मिसिर पुस्तक के विमोचन के अवसर पर कही । इस पुस्तक को स्व रामनाथ पांडेय सारण निवासी द्वारा वर्ष 1994 में लिखा गया था । जिसका विमोचन गंगा बाबा मठ के संत अनुपम दास के अध्यक्षता में की गई है । डॉ अशोक ने कहा कि इस पुस्तक की खास विशेषता यह है कि 20 वी सदी के शुरू में आजादी की लड़ाई , गुलामी की पीड़ा से निकलने की कमकस सामंती विलासिता के बिगड़े चेहरे , युवा चेतना में अंग्रेजो से देश को मुक्त कराने तथा मठ , मन्दिर , साधु सन्यासी को स्वतंत्रता सेनानी तथा संगठन कर्ता के रूप में इस पुस्तक के चित्रित किया गया है ।
महेंद्र मिश्र एक कला साधक थे । महेंद्र मिश्र द्वारा रचित अपूर्व रामायण भोजपुरी भाषा में है । इस अवसर पर कवि सम्मेलन का भी आयोजन किया गया । समारोह का संचालन बिभका र उपाध्याय ने किया । इस अवसर पर बीरेंद्र मिश्र अभय , अभय दुबे जय प्रकाश नारायण सिंह , मुकेश सिंह , रीना कुमारी , मीरा देवी आदि कविता पाठ किया ।
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