दवा की पूरी खुराक से फाइलेरिया का प्रबंधन संभव, इलाज और सावधानी है बचाव का मार्ग

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• 2 साल से कम उम्र के शिशुओं और गर्भवती महिलाओं को रखें दवा से दूर
• लक्षण दिखें तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क कर चिकित्सा शुरू करवाना सुनिश्चित करवाएँ
• फाइलेरिया उन्मूलन के लिए विभाग तत्पर

श्रीनारद मीडिया‚ पंकज मिश्रा‚ छपरा (बिहार)

छपरा जिले में फाइलेरिया जैसे गंभीर संक्रामक रोग से मुक्ति दिलाने के लिए स्वास्थ्य विभाग तत्पर है। फालेरिया / लिंफेटिक फाइलेरियासिस या हाथीपांव, मादा क्यूलैक्स फैंटीगंस मच्छर से फैलने वाला एक दर्दनाक रोग है जिसमें संक्रमित व्यक्ति के शरीर का प्रभावित हिस्सा विकलांग हो सकता है। रोग से ग्रसित व्यक्ति समाज में भेदभाव का सामना करता है व उसकी आजीविका भी प्रभावित होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार फाइलेरिया उन संक्रामक रोगों में से एक है जिससे देश में प्रति वर्ष काफी लोग प्रभावित हो रहे हैं । जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. दिलीप कुमार सिंह ने बताया फाइलेरिया से ग्रसित व्यक्ति दवा के पूरा सेवन कर रोग को नियंत्रित रख सकता है। फाइलेरिया से संक्रमित हो जाने पर लंबे समय तक इलाज चलने और दवा की खुराक पूरी करने पर रोगी समान्य जीवन जी सकता है। दवाई की खुराक पूरी नहीं करने पर यह रोग शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए नुकसानदायक है। सभी सरकारी चिकित्सा केन्द्रों पर डीईसी दवा निःशुल्क उपलव्ध है।

लक्षण दिखें तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें:
डॉ. सिंह ने बताया कि यदि ज्यादा दिनों तक बुखार रहे, पुरुष के जननांग में या महिलाओं के स्तन में दर्द या सूजन रहे और खुजली हो, हाथ-पैर में भी सूजन या दर्द रहे तो यह फाइलेरिया होने के लक्षण हैं। तुरंत चिकित्सक से संपर्क कर चिकित्सा शुरू करवाना सुनिश्चित करवाएँ। मरीज नियमित रूप से बताये गए दवा का सेवन करें और अपने परिवारजनों को भी चाहे वो मरीज न भी हों तो एमडीए अभियान के दौरान डीईसी एवं अल्बेंडाजोल दवा का सेवन जरूर करने के लिए प्रेरित करें। पाँच साल तक एक बार इन दवाओं के सेवन से कोई भी व्यक्ति आजीवन फाइलेरिया के खतरे से मुक्त हो सकता है। उन्होंने बताया कि स्वच्छता का ध्यान और सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग फाइलेरिया से सुरक्षा देता है।

छोटे शिशुओं और गर्भवती महिलाओं को ना दें इसकी खुराक :
गर्भवती महिलाओं, दो साल से कम उम्र के बच्चों और किसी गंभीर रोग होने पर फाइलेरिया की दवा नहीं खिलानी है। ये गोलियां हमेशा चबा कर खाएं और खाली पेट कभी भी नहीं खाएं, अन्यथा नुकसान दायक हो सकता है। एक तरफ जहाँ मरीजों का उपचार एवं प्रबंधन तो दूसरे तरफ ज्यादा से ज्यादा लोगों को साल में एक बार डीईसी एवं अल्बेंडाजोल दवा का सेवन कराना आवश्यक है। जनमानस को दवा के लाभ के बारे में जागरूक करने की जरुरत है ताकि लोग फाइलेरिया रोग की गंभीरता और उसके खतरे से अवगत हो सकें।
आहार और सफाई पर ध्यान दें :
फाइलेरिया मच्छरों के काटने से होता है। मच्छर गंदगी में पैदा होते हैं। इसलिए इस रोग से बचना है, तो आस-पास सफाई रखना जरूरी है। दूषित पानी, कूड़ा जमने ना दें, जमे पानी पर कैरोसीन तेल छिड़क कर मच्छरों को पनपने से रोकें, सोने के समय मच्छरदानी का उपयोग करें।

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