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मंगल पांडेय ऐसे वीर योद्धा थे जिन्हें देखकर फांसी देने के लिए आये जल्लाद भाग गए : प्राचार्य - श्रीनारद मीडिया

मंगल पांडेय ऐसे वीर योद्धा थे जिन्हें देखकर फांसी देने के लिए आये जल्लाद भाग गए : प्राचार्य

मंगल पांडेय ऐसे वीर योद्धा थे जिन्हें देखकर फांसी देने के लिए आये जल्लाद भाग गए : प्राचार्य

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#राजेंद्र महाविद्यालय में मंगल पांडेय की जयंती धूमधाम से मनाई गई

कॉलेज में कैरियर काउंसलिंग की कार्यशाला आयोजित किया गया

श्रीनारद मीडिया, मनोज तिवारी, छपरा (बिहार):


छपरा । मंगलवार को राजेन्द्र महाविद्यालय सभागार में देश के महान स्वतंत्रता सेनानी मंगल पाण्डेय की जयंती धूमधाम से मनाई गई।वहीं उपस्थित छात्रों का कैरियर काउंसलिंग की कार्यशाला का आयोजन किया गया। मौके पर राजेंद्र महाविद्यालय के एनएसएस कार्यक्रम पदाधिकारी रमेश कुमार सिंह, इतिहास विभागाध्यक्ष डॉ संजय कुमार, डॉ प्रकाश कुमार निराला एवं हिंदी विभागाध्यक्ष अशोक कुमार सिन्हा के अलावा राष्ट्रीय सेवा योजना स्वयंसेवक उपस्थित थे। मौके पर बोलते हुए इतिहास विभागाध्यक्ष डॉ संजय कुमार ने सिपाही विद्रोह पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि मंगल पांडेय देश के क्रांतिकारियों में एक थे जिन्हें कभी भुला नहीं जा सकता।

 

श्री कुमार ने कहा कि22वर्ष के उम्र में वे 1849 में ईस्ट इंडिया कंपनी सेना में शामिल हुए और वे 34 वी बंगाल नेटिव इन्फेंट्री के सिपाही थे। मंगल पांडे ने अंग्रेजों की गलत नीतियों का बहिष्कार करते हुए 22 मार्च 1857 को अंग्रेजो के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दी। वह हाथ में बंदूक लेकर निकल पड़े और उनका लोकप्रिय नारा “मारो फिरंगी को” गरजते हुए भारतीय स्वतंत्रता की नींव रख दी।श्री सिंह ने कहा कि उन्होंने अपने अधिकारी मेजर हयूस्टन के साथ साथ लेफ्टिनेंट बॉब को भी गोली दाग दी । इस घटना के बाद उन्हें अंग्रेज सिपाहियों द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया एवं उन पर कोर्ट मार्शल द्वारा मुकदमा चलाकर अप्रैल 1857 को फांसी की सजा सुनाई गई ।

फैसले के अनुसार उन्हें 18 अप्रैल 1857 को फांसी दी जानी थी लेकिन अंग्रेजों द्वारा मंगल पांडे को 10 दिन पूर्व 8 अप्रैल 1857 को फांसी दी गई। उस वक्त उनकी उम्र 30 वर्ष थी। प्राचार्य डॉ बैकुंठ पांडेय ने कहां के मंगल पांडे बैरकपुर के सैनिक छावनी की सिपाही थे। जब मंगल पांडे को फांसी की सजा हुई तो फांसी देने वाले सभी जलाद भाग गए।तब कोलकाता से जलाद बुलाकर मंगल पांडे को फांसी दी गई थी।फांसी पर लटकने से पहले मंगल पांडे ने अंग्रेजों को कहा था कि हमारी आजादी के लिए लड़ाई एक चिंगारी है जो भविष्य में विकराल रूप लेगी तथा अंग्रेजों को चेतावनी भी दिए की आज तक तुमने हमारी वफादारी देखी थी। अब हमारा क्रोध देखोगे और अंत में मंगल पांडे ने मारो फिरंगी को कहते हुए देशवासियों को अंग्रेजो के खिलाफ लड़ने का साहस दिया।

 

फांसी पर लटक कर भारत माता की जय कहां। महाविद्यालय के एनएसएस के कार्यक्रम पदाधिकारी रमेश कुमार सिंह द्वारा कैरियर काउंसलिंग के दौरान छात्रों को विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार के अवसर के बारे में बताये। प्राचार्य डॉ. बैकुंठ पांडेय ने सभी छात्रों को शुभकामना दी । कार्यक्रम में मंच का संचालन रोहित कुमार पाण्डेय के द्वारा किया गया एवं धन्यवाद ज्ञापन मंगलम कृष्णन व अर्जुन कुमार ने किया । कार्यक्रम मे मुख्य रूप से सचिन,अभषेक ,सूरज,वसील,रूपेश,क्विनी, श्रेया, सुमन,अनुप्रिया,अंजली,ईसा,इत्यादी छात्र-छात्रा उपस्तिथ हुए । राजेंद्र कॉलेज में कल कोविड टीकाकरण भी रखा गया है । इस संबध में सभी को बताया गया तथा अधिक से अधिक लोगों को टीकाकरण अभियान हेतु प्रेरित करने की लिए कहा गया।

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