मांझी और सोनपुर को दूसरी बार और दिघवारा अस्पताल को पहली बार मिला कायाकल्प पुरस्कार 

मांझी और सोनपुर को दूसरी बार और दिघवारा अस्पताल को पहली बार मिला कायाकल्प पुरस्कार

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जिले के सभी पुरस्कृत अस्पतालों के एमओआईसी सहित अन्य कर्मियों के कठिन परिश्रम का मिला फल: सिविल सर्जन

अस्पताल को संचालित करने में कर्मियों की भूमिका काफ़ी महत्वपूर्ण: आरपीएम

श्रीनारद मीडिया, छपरा, (बिहार):


सारण जिले के अनुमंडलीय अस्पताल सोनपुर, सीएचसी मांझी और दिघवारा सहित शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मासूमगंज और बड़ा तेलपा को कायाकल्प अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। बुधवार की देर शाम स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी सूची में सांत्वना पुरस्कार से नवाजा गया है। सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि सोनपुर के एमओआईसी डॉ हरिशंकर चौधरी, मांझी के एमओआईसी डॉ रोहित कुमार, दिघवारा के एमओआईसी डॉ रौशन कुमार, शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बड़ा तेलपा और मासूमगंज के एमओआईसी के अलावा सभी स्टाफ नर्स, एएनएम सहित अन्य कर्मियों के कठिन मेहनत और उनके लगन का फल मिला है। उन्होंने कहा कि इसके लिए चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों सहित स्टाफ़ नर्स को समय-समय पर उचित प्रबंधन को लेकर प्रशिक्षित भी किया जाता है।

अस्पताल को संचालित करने में कर्मियों की भूमिका काफ़ी महत्वपूर्ण: आरपीएम
क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक प्रशांत कुमार ने कहा कि स्वास्थ्य संस्थान को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए स्थानीय चिकित्सकों एवं कर्मियों की भूमिका काफ़ी महत्वपूर्ण होती है। मरीज़ों के साथ सहज व्यवहार, उचित प्रबंधन के अलावा सरकार के विभिन्न कार्यक्रमों को संचालित करना अतिआवश्यक होता है। स्थानीय ग्रामीणों के बीच सभी तरह के सरकारी कार्यक्रमों और आयोजनों को लेकर समय समय पर जागरूकता अभियान भी चलाया जाता है।

 

मांझी और सोनपुर को दूसरी बार जबकि दिघवारा अस्पताल को पहली बार मिला कायाकल्प पुरस्कार: डीपीएम
जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम अरविंद कुमार ने बताया कि अनुमंडलीय अस्पताल सोनपुर, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, मांझी और दिघवारा में लगातार सुधार हुआ है। सोनपुर और मांझी अस्पताल को दोबारा कायाकल्प योजना के तहत पुरस्कृत किया गया है जबकि दिघवारा को पहली बार इस योजना का लाभ मिला है। लेकिन इससे भी बेहतर चिकित्सीय सुविधाएं मुहैया कराने को लेकर राज्य, जिला और स्थानीय स्तर पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगातार प्रयास किया जाएगा। जिले के सभी अस्पतालों के अंदर और बाहरी परिसर की साफ़-सफाई से लेकर कचरा निस्तारण तक में बहुत ज्यादा बदलाव आया है।

 

स्वास्थ्य संस्थानों की छवि पर पड़ता है सकारात्मक प्रभाव: डीसीक्यूए
जिला सलाहकार, गुणवत्ता यक़ीन पदाधिकारी रमेश चंद्र कुमार ने कहा कि कायाकल्प कार्यक्रम के तहत से सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों की छवि में काफ़ी सकारात्मक बदलाव आया है। सभी प्रकार की सुविधाएं मुहैया कराने के बाद ही कायाकल्प से प्रमाणीकरण होता है। हालांकि पहले से ही अस्पताल प्रशासन द्वारा विभागीय स्तर पर सीमित संसाधनों में स्थानीय नागरिकों को चिकित्सीय सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। इसका लाभ स्थानीय लोगों को मिल भी रहा है। सभी तरह के अस्पतालों को कायाकल्प और एनक्वास प्रमाणीकरण के लिए चयनित होने पर उनके मानकों के अनुरूप सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं।

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